Monday 24 September 2012

सनम बेवफा

इतने मिले जख्म कि जख्म ही दवा बने 
न पाई ख़ुशी में ख़ुशी न रोये गम में हम 
दिल और यह दिमाग सब शून्य हो गये 
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है मुहब्बत इक फरेब औ प्यार इक धोखा 
साये में है जिसके  बस आंसूओं का सौदा 
चोट पर चोट दिल पे हम खाते चले गये
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वफा को जो न समझे तुम सनम बेवफा हो
रहें गैरों की बाहों में और सिला दो वफा का 
मेरे सपनो की तस्वीर के टुकड़े हुए तुम्ही से 
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इधर दिल टूटा हमारा गूंजी सदा वादियों में 
शोर हुआ हर गली गली  अंजान रहे तुम्ही 
खामोश रही धड़कन न बनी जुबां दिल की

Sunday 23 September 2012

ख्वाहिशें


आवारा कदम,आधी अधूरी खंडहर जैसी पहाड़ सी ख्वाहिशें
उन्ही यादों में भटकते रहते है रात भर अकेले तन्हाईयों में
वो लम्हा लम्हा पिरोई अरमानो से मोतियों की माला हमने
 सुबह होते होते खुद ही तोड़ देते है कल बुनने को वही यादें
यूं लगता है सुबह होने से पहले तुम आती हो मेरी नींदों में
क्योंकि महक उठता है सुबह सुबह कई बार आशियाना मेरा

Thursday 13 September 2012

गुनगुना रहीं है हवाएं मुस्करा उठी फिजायें 
बदलती  रुत में महकने लगी  मेरी तन्हाई 
तेरी खुशबू बसी है मेरी यादों में मेरे ख़्वाबों में 
बस कुछ ही पल इंतज़ार के बाकी है आने में