Thursday 28 February 2013

भगवददर्शन [continued] 4


भगवददर्शन [continued]          'यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत |
                                                अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
                                                परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् |
                                                  धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे '॥



श्री कृष्ण भगवान् ने जिस विराट रूप का दर्शन अर्जुन को करवाया था वही दर्शन पा कर श्रद्धावान पाठक आनंद प्राप्त करें गे [लेखक प्रो महेन्द्र जोशी ]

श्री कृष्ण नमो नम:

भगवददर्शन 
[श्री मद भगवदगीता अध्याय 11 का पद्यानुवाद ]
आगे ....

22 रूद्र और आदित्य ,वसु और साध्य ,
विश्वदेव अश्विनी मरुत पितर  सब ,
गंधर्व यक्ष राक्षस औ सिद्धगण ,
देखें तुझे ही विस्मित हुए सब ।

23बहु मुख नेत्र बहु पाद जंघा ,
महाबाहो यह महारूप तेरा ,
उदर बड़े और विकराल दाढ़े ,
डरें  लोग देख ,डरें मन मेरा ।

24नभ छू रहा बहु रंगों से दीप्त ,
फैला यह मुख चमके नेत्र बड़े ,
तुझे देख विष्णु भयभीत है मन ,
न इसको धीरज न शान्ति मिले।

25विकराल दाढ़े और मुख तेरे
जो काल अग्नि सदृश धधकते ,
देख सुख न पाऊं ,न जानू दिशा ,
प्रसीद देवेश ,निवास जगत के

26हों प्रविष्ट तुझ में धृतराष्ट्रपुत्र ,
सभी पृथ्वीपालों  के साथ सब ,
भीष्म कर्ण द्रोण और हमारे ,
है मुख्य जो वे योधा भी सब ।  क्रमश:.....


Wednesday 27 February 2013

व्याजोक्ति [लघु कथा ]


आलोक की बहन रीमा के पति के अचानक अपने घर परिवार से दूर पानीपत में हुए निधन के समाचार ने आलोक और उसकी पत्नी आशा को हिला कर रख दिया |दोनों ने जल्दी से समान बांधा ,आशा ने अपने ऐ टी म कार्ड से दस हजार रूपये निकाले और वह दोनों पानीपत के लिए रवाना हो गए ,वहां पहुंचते ही आशा ने वो रूपये आलोक के हाथ में पकड़ाते हुए कहा ,''दीदी अपने घर से बहुत दूर है और इस समय इन्हें पैसे की सख्त जरूरत होगी आप यह उन्हें अपनी ओर से दे दो और मेरा ज़िक्र भी मत करना कहीं उनके आत्मसम्मान को ठेस न पहुंचे''|अपनी बहन के विधवा होने पर अशोक बहुत भावुक हो रहा था ,उसने भरी आँखों से चुपचाप वो रूपये अपनी बहन रीमा के हाथ थमा दिए | देर रात को रीमा अपनी बहनों के साथ एक कमरे में सुख दुःख बाँट रही थी तभी आशा ने उस कमरे के सामने से निकलते हुए उनकी बाते सुन ली, उसकी आँखों से आंसू छलक गए ,जब उसकी नन्द रीमा के शब्द पिघलते सीसे से उसके कानो में पड़े ,वह अपनी बहनों से कह रही थी ,''मेरा भाई तो मुझसे बहुत प्यार करता है , आज मुसीबतकी इस घड़ी में पता नही उसे कैसे पता चल गया कि मुझे पैसे कि जरूरत है ,यह तो मेरी भाभी है जिसने मेरे भाई को मुझ से से दूर कर रखा है |

भगवददर्शन [continued] 3


भगवददर्शन [continued]          'यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत |
                                                अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
                                                परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् |
                                                  धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे '॥



श्री कृष्ण भगवान् ने जिस विराट रूप का दर्शन अर्जुन को करवाया था वही दर्शन पा कर श्रद्धावान पाठक आनंद प्राप्त करें गे [लेखक प्रो महेन्द्र जोशी ]

श्री कृष्ण नमो नम:

भगवददर्शन 
[श्री मद भगवदगीता अध्याय 11 का पद्यानुवाद ]
आगे ....
15 देखूं तुम्हारी देह में देव ,
देवता भूतविशेष समूह सब ,
शिव और कमलासन स्थित ब्रह्मा ,
कई सर्प दिव्य और ऋषि भी सभी ।

16 अनेक बाहु मुख उदर और नयन ,
दिखे सर्वत्र अनन्त रूप तेरा ,
न आदि न अंत न मध्य ही दिखे ,
विश्वेश्वर हे विश्व रूप तेरा ।

17 मुकुट और गदा चक्र धारण किये ,
तेजपुंज चमके जो सब ओर से ,
अग्नि और सूर्य सम ज्योतियुक्त ,
असीमित ,कठिन देखना है तुझे ।

18 तुम अक्षर परम तुम ज्ञान योग्य ,
तुम ही विश्व के परम आश्रय हो ,
रक्षक अव्यय शाश्वत धर्म के ,
मानूं  मै तुम सनातन पुरुष हो ।

19 अनादिममध्यान्त अनन्तवीर्य ,
अनंतबाहू शशिसूर्यनयन को ,
अनलदीप्तमुख तुझको मै देखूं ,
जो निज तेज से तपाते विश्व को ।

20 पृथ्वी स्वर्ग मध्य यह अन्तराल ,
और हर दिशा है व्याप्त तुझी से ,
देख कर यह उग्र रूप तुम्हारा ,
है लोक तीनो अत्यंत दुखी ये ।

21 हों प्रविष्ट तुझ में सभी देवता ,
डरे हाथ जोड़ सभी गुण गाते ,
'हो कल्याण 'कह महां ऋषि सिद्धगण ,
उत्तम स्त्रोतों से स्तुति गाते ।   क्रमश :.......



Tuesday 26 February 2013

भगवददर्शन [continued] 2

भगवददर्शन [continued]         'यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत |
                                                अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
                                                परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् |
                                                  धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे '॥



श्री कृष्ण भगवान् ने जिस विराट रूप का दर्शन अर्जुन को करवाया था वही दर्शन पा कर श्रद्धावान पाठक आनंद प्राप्त करें गे [लेखक प्रो महेन्द्र जोशी ]

श्री कृष्ण नमो नम:

भगवददर्शन 
[श्री मद भगवदगीता अध्याय 11 का पद्यानुवाद ]
आगे ....

संजय ने कहा -
9 राजन यह कह कर हरि  महायोगेशवर ने ,
दिखलाए अर्जुन को रूप ऐश्वर अपने ।
1o अनेक मुख अनेक नयन ,अद्धभुत अनेक दर्शन ,
अनेक शस्त्र दिव्य औ अनेक दिव्य आभरण ।
11 दिव्यवस्त्र दिव्यमाल और दिव्य गंधयुक्त ,
अनन्त विश्वरूप जो सर्व आश्चर्ययुक्त ।
12 एक साथ नभ में हों सहस्त्र सूर्य ज्यों उदय ,
उन की ज्योति से अधिक ,अधिक जो हो ज्योतिमय ।
13 एकस्थ वहां जगत को विभक्त कई रूप में ,
देखा पार्थ ने देव देव के स्वरूप में ।
14 तब विस्मययुक्त उस रोमहर्षित पार्थ ने ,
शिर झुका हाथ जोड़ कर कहा यह भगवान् से ।  क्रमश: ...


Monday 25 February 2013

आ गई बहार

आ गई  बहार जो आये हो तुम
चहकने लगी बुलबुल अब दिल की

फूलों पर भंवरे  भी लगे मंडराने
महकने लगा अब आलम सब ओर

तरसती थी निगाहें तुम्हे देखने को
भूल गये अचानक वो रस्ता इधर का

मुद्दते हो चुकी थी देखे हुए उनको
भर दी खुशियों से आज झोली उसी ने

महकती रहे बगिया मेरे आंगन की
खुशिया ही खुशिया बनी रहे दिल में

आ गई  बहार जो आये हो तुम
चहकने लगी बुलबुल अब दिल की

Sunday 24 February 2013

भगवददर्शन

                                               '
                                                  'यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत |
                                                अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
                                                परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् |
                                                  धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे '॥



श्री कृष्ण भगवान् ने जिस विराट रूप का दर्शन अर्जुन को करवाया था वही दर्शन पा कर श्रद्धावान पाठक आनंद प्राप्त करें गे [लेखक प्रो महेन्द्र जोशी ]

श्री कृष्ण नमो नम:

भगवददर्शन 
[श्री मद भगवदगीता अध्याय 11 का पद्यानुवाद ]

अर्जुन ने कहा 
1 अध्यात्म परम गूढ़ कहा मुझ पर कर दया ,
आप के इस वचन पर मोह मेरा मिट गया । 
2 भूतों का लय उदभव है सुना विस्तार से ,
औ माहात्म्य आप का ,कमलाक्ष आप से । 
3 जैसा कहा आपने ,आप हो हे ईश्वर ,
देखना मे चाहता रूप अव्यय ऐश्वर ।
4 यदि समझो हे प्रभु मै देख सकता हूँ उसे ,
योगेश्वर दिखाओ रूप अव्यय वह मुझे । 

श्री भगवान ने कहा [To be continued]

खड़ा यहाँ जाने कब से

मै खड़ा यहाँ जाने कब से ,
अब सूखे भी न रहे पत्ते ,
डाली डाली सब सूख चुकी ,
मै खड़ा रहा फिर भी तन के। 
................................
हैं याद मुझे दिन वे गुज़रे ,
सब ओर छटा वैभव बिखरे ,
सम्मोहित से सब रुक जाते ,
इस पथ से जो रही गुज़रे ।
...............................
यह मस्त पवन लहरा जाती ,
अब नही मुझे सिहरा पाती ,
जाने कितने बीते बसंत .
न कभी धडकन भी हो पाती ,
.................................
जाने कब तक मै खड़ा रहूँ ,
यूंही निष्फल निश्वास लिए 
फूल खिलेंगे फिर यहां कभी ,
यह झूठा सा विशवास लिए 

लेखक प्रो महेन्द्र जोशी 

Friday 22 February 2013

बहार

गीत

मेरे जीवन में तुम आ जाना ;
बन के बहार छा जाना

दूँढू  तुझे इन गलियों में ;
देखूं तुझे इन कलियों में
इन्ही राहों को महकाते हुए
सूनी बाँहों में तुम आ जाना

मेरे दिल में है धडकन तेरी
मेरी आँखों में तेरे आंसू है
मैं तुझमे समां जाऊं
तू मुझमे समां जाना

मेरे जीवन में तुम आ जाना ;
बन के बहार छा जाना

जल रहा है भारत आग में


जल  रहा है भारत आग में ,आवाज़ यही है आती ,
मुट्ठी भर अंगारों से अब ,धरा भी दहल है जाती ,
 जला कश्मीर असम है जला,हमारे देश के वासी ,
नक्सलियों की चली गोलियां ,मरते है भारत वासी
...................................................................
काँप उठती है जमीन यहाँ की,जब आतंकी धमाकों से .
खून से लथपथ जिस्म कटे यहाँ वहां,अपने ही भाइयों के
उजड़े सुहाग ,चिराग बुझे ,अनाथ हुए ,हुए बर्बाद अनेक
घर में जिनके जले न चूल्हे, कौन पोंछेगा आंसू यं सब के
......................................................................
बिक रहा ईमान यहाँ पर , है झूठ का बोलबाला ,
खून खौलता है ममता का ,जब जलती उसकी बाला ,
.धर्म नपुंसक बना देखता ,है भूल चुका  मर्यादा ,
जला देगा देख बेशर्मी ,यह मुट्ठी भर अंगारा .

Wednesday 20 February 2013

तुम ही तुम

तुम ही तुम

महक उठती  है तमन्नाए दिल की 
जब गुजरते हो इन गलियों से तुम 
..............................................
खिल उठते है यह तन्हाई के लम्हे 
यादों में हमारी जब गुजरते हो तुम 
बहारे सकून की छा जाती हर ओर 
ख्यालों में हमारे जब आते हो तुम 
............................................
खिल उठती है बगिया मेरे दिल की 
जब गुनगुनाती मै तुम्हारे वह गीत 
सहेज रखी है अब तलक वही यादे
समाये हो जिसमे सिर्फ तुम ही तुम 
...............................................
महक उठती  है तमन्नाए दिल की 
जब गुजरते हो इन गलियों से तुम 

Tuesday 19 February 2013

हसीन यादें


लहर पर लहर आती रही,
तुम्हारी हसीन यादें लिए।
.....................................
साथ होते जो तुम यादों में ,
आज कुछ और बात होती ।
देती रही यह  दर्द दिल को ,
तुम आते तो और बात होती।|
..................................
कुछ तो बोलो हमदम मेरे,
तुम न जाने कहाँ खो गए ।
चुपके से लिख जाते तुम ,
कोई गजल ख़्वाबों में मेरे ।|
....................................
मचलती लहरों का संगीत ,
समुंद्र की  तरंगों पर गीत ।
इन तन्हाइयों में चुपके से ,
चांदनी रात समुंद्र किनारे ।|
......................................
मुस्कराती हुई वह झलक  ,
काफी थी दीदारे यार की   ।
मेरे महबूब थी क्या खता  ,
जो रुसवा हुई चाहतें मेरी  ।|
.......................................
लहर पर लहर आती रही,
तुम्हारी हसीन यादें लिए।

Saturday 16 February 2013

आह

दिल में यह हसरत थी कि कांधे पे उनके
रख के मै सर ,ढेर सी बाते करूँ ,बाते
जिसे सुन कर वह गायें,गुनगुनायें
बाते जिसे सुन वह हसें ,खिलखिलायें
बाते जिसे सुन प्यार से मुझे सह्लायें
तभी उन्होंने कहना शुरू किया और
मै मदहोश सी उन्हें सुनती रही
वह कहते रहे ,कहते रहे और मै
सुनती रही ,सुनती रही सुनती रही
दिन महीने साल गुजरते गए
अचानक मेरी नींद खुली और मेरी
वह ढेर सी बातें शूल सी चुभने लगी
उमड़ उमड़ कर लब पर मचलने लगी
समय ने दफना दिया जिन्हें  सीने में ही
हूक सी उठती अब इक कसक औ तडप भी
लाख कोशिश की होंठो ने भी खुलने की
जुबाँ तक ,वो ढ़ेर सी बाते आते आते थम गयी
होंठ हिले ,लब खुले ,लकिन मुहँ से निकली
सिर्फ इक आह ,हाँ ,सिर्फ इक आह

Friday 15 February 2013

बेवफाई |


जिनके लिए हमने दिल औ जान लुटाई .
मिली  सिर्फ  उनसे हमको है  बेवफाई |
...............................................
सजदा किया उसका निकला वो हरजाई ,
मुहब्बत के बदले पायी  हमने रुसवाई |
...............................................
धडकता है दिले नादां सुनते ही शहनाई,
पर तक़दीर से हमने तो  मात  ही खाई |
................................................
न भर नयन तू आग तो दिल ने है लगाई ,
धोखा औ फरेब फितरत में, दुहाई है दुहाई,|
................................................
छोड़ गए क्यूँ तन्हां दे कर लम्बी जुदाई,
जी लेंगे बिन तेरे ,काट लेंगे सूनी तन्हाई |

विश्वासघात

देवभूमि हिमाचल प्रदेश में एक छोटा सा गाँव सुन्नी ,हिमालय की गोद में प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर इस गाँव के भोले भाले लोग ,एक दूसरे के साथ मिलजुल कर प्यार से रहते थे | इसी गाँव की दो सहेलियाँ प्रीतो और मीता,बचपन से ले कर जवानी तक का साथ ,लेकिन आज प्रीतो गौने के बाद ,पहली बार अपने ससुराल दिल्ली जा रही थी |मीतो दूर खड़ी अपनी जान से भी प्यारी सहेली को कार में बैठते हुए देख़ रही थी ,उसके आंसू थमने का नाम ही नही ले रहे थे और यही हाल प्रीतो का भी था ,उसकी नम आँखें अपनी सहेली मीता को ढूंढ़ रही थी ,लेकिन मीता उससे आँखे चुरा रही थी ,वह अपनी सखी को बिछुड़ते हुए नही देख़ पा रही थी |प्रीतो के पीछे मुड़ते ही ,दोनों की आँखे चार हुई और भीगी आँखों से मीता ने प्रीतो को विदा किया ,प्रीतो बहुत दूर मीता को छोड़ कर चली गई |दिन ,महीने ,साल गुजर गए ,मीता का ब्याह वही उसी गाँव के एक नौजवान से हो गया ,मीता की जिंदगी खुशियों से भर गई जब उसे एक नन्हे मेहमान के आने का पता चला | उसकी खुशिया दुगनी हो गई जब उसे पता चला कि प्रीतो आ रही है |मीता ने जल्दी से अपने घर का काम खत्म किया और चल पड़ी प्रीतो से मिलने ,लेकिन यह क्या ,प्रीतो के मुरझाये हुए चेहरे को देखते ही मीता समझ गई कि प्रीतो अपने ससुराल में खुश नही है |मीता प्रीतो का हाथ पकड़ उसे खींच कर बाहर खुली वादियों में ले आई |दोनों आपस में गले मिल कर जोर जोर से रोते हुए अपने दिल के दुखड़े एक दूसरे के साथ बांटने लगी ,प्रीतो की बात सुन कर मीता अवाक खड़ी उस का मुंह देखने लगी ,ईश्वर ने प्रीतो के साथ यह कैसा अन्याय कर दिया ,क्या वह कभी भी माँ नही बन पाए गी ?उसके ससुराल वालों ने हमेशा के लिए उसे मायके भेज दिया है ,दोनों बाहर आंगन में आकर चारपाई पर बैठ गई ,सदा चहकने वाली दोनों सहेलियों के बीच आज एक लम्बी चुप्पी ने जगह ले ली ,जैसे कहने सुनने को अब कुछ भी नही रहा हो ,तभी मीता ने प्रीतो का हाथ अपने हाथ में लेते उस लम्बी चुप्पी तोड़ते हुए कहा ,”प्रीतो तुम माँ बनो गी ,मेरी कोख का बच्चा आज से तेरा हुआ ,अपने ससुराल में अभी कहलवा भेज कि तुम जल्दी ही उनको वारिस देने वाली हो ,बस मैने फैसला ले लिया ,जैसे ही बच्चा पैदा होगा तुम उसे लेकर दिल्ली चले जाना ,मेरी किस्मत में होगा तो मै फिर से माँ बन जाऊं गी ,तुम्हे मेरी कसम तुम अब कुछ नही बोलो गी ”|प्रीतो अपनी सखी की तरफ एकटक देखती रह गई ,इतना बड़ा त्याग ,”नही नही मीता ,मै ऐसा नही कर सकती ”.रुंधे गले से प्रीतो ने जवाब दिया ,लेकिन मीता ने उसकी एक नही सुनी और उसे अपनी कसम दे कर मना लिया |दिन गुजरने लगे ,माँ बनने की आस ने एक बार फिर से प्रीतो के मुरझाये चेहरे की चमक वापिस ला दी |आखिर वह दिन आ ही गया और मीता ने एक सुंदर से राजकुमार को जन्म दिया ,प्रीतो के पाँव जमीन पर टिक ही नही रहे थे ,बच्चे को अपनी गोद में ले कर वह अपने ससुराल वापिस जाए गी ,उसकी सास ,ससुर ,देवर ,पति सब कितने खुश होंगे ,इन्ही सपनो में खोयी वह मीता के पास पहुँच गई ,जैसे ही वह वहां पहुंची ,मीता की आँखों में आंसू आ गए ,दबी आवाज़ में उसने अपने नन्हे से राजकुमार को निहारते हुए उसे प्रीतो को सौपने से इनकार कर दिया |प्रीतो के सीने पर मानो किसी ने वज्रपात कर दिया हो ,आसमान से किसी ने जमीन पर झटक कर गिरा दिया हो ,अपने सीने में उफनते जज़्बात लिए वह वहां से चुपचाप चली गई ,वापिस अपने ससुराल |उसका वहां क्या हुआ किसी को कुछ नही मालूम .हाँ मीता के साथ एक अनहोनी हो गई ,उसके राजकुमार की आँखों की ज्योति किसी गलत दवा डालने के कारण हमेशा के लिए बुझ गई |यह प्रीतो के दिल से निकली आह थी ,याँ मीता दुवारा किया गया विश्वासघात |

Thursday 14 February 2013

गर्भावस्था के दौरान वास्तु का रखें ध्यान



वास्तु टिप्स 

1 आपके घर की उत्तर पश्चिम दिशा गर्भाधारन करने के लिए शुभ दिशा मानी गई है ।
2गर्भाधारन करने के बाद उत्तर पूर्व दिशा के कमरे में रहना चाहिए ।
3 गर्भवती महिला को कभी भी घर की दक्षिणपूर्व दिशा में नही रहना चाहिए ।
4गर्भवती महिला को ज्यादा समय टीवी के सामने नही रहना चाहिए ।
5गर्भवती महिला को माइक्रोवेव याँ जो उपकरण इलेक्ट्रो मेगनेटिक वेव्स छोड़ते है उनसे दूर रहना चाहिए 
 

Wednesday 13 February 2013

साहस


नीले नभ पर .,
उड़ चले पंछी ,
इक लम्बी उड़ान,
संग साथी लिए ,
निकल पड़े सब,
तलाश में अपनी ,
थी मंजिल अनजान .
अनदेखी राहों में
जब हुआ सामना,
था भयंकर तूफ़ान
घिर गए चहुँ ओर से ,
और फ़स गए वो सब ,
इक ऐसे चक्रव्यूह में ,
अभिमन्यु की तरह ,
निकलना था मुश्किल ,
पर बुलंद हौंसलों ने ,
कर दिया नवसंचार ,
उन थके हारे पंखो में ,
भर दी इक नयी ताकत ,
उस कठिन घड़ी में ,
मिलकर उन सब ने ,
अपने पंखों के दम पे ,
टकराने का तूफान से ,
था साहस दिखलाया,
अपने फडफडाते परों से,
था तूफ़ान को हराया ,
हिम्मत और जोश लिए
बढ़ चले वह  फिर से,
 इक अनजान डगर पे |

बसंत पर हाइकु


चमक रही
सूरज की तरह
पीली सरसों
...............
बिखर गई
खुशिया सब ओर
आया बसंत
................
लाल गुलाबी
रंग बिरंगे फूल
लाया बसंत
.................
बगिया मेरी
महक उठी आज
आया बसंत
..............
नमन तुझे
दो मुझे वरदान
माता सरस्वती




Tuesday 12 February 2013

पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए सुसज्जित करें अपना डाईनिंग रूम


पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए सुसज्जित करें अपना डाईनिंग रूम
 
1 डाईनिंग रूम की दीवारों का रंग हल्का गुलाबी ,संतरी शुभ माना जाता है ।

2 फ्रिज को दक्षिण पूर्व याँ दक्षिण पश्चिम की तरफ रखना ठीक माना गया है । 

3 खाने की मेज़ सदा चाकोर याँ आयताकार होनी चाहिए ।

4 खाना  खाते समय मुख पूर्व की ओर होना सबसे अच्छा माना गया है ,दक्षिण की ओर मुख करके नही खाना चाहिए।

5 खाते समय आपका सिर  बीम के नीचे नही होना चाहिए ।


Sunday 10 February 2013

एक नूर से सब जग उपजे

एक नाम ,एक ओमकार ,एक ही ईश्वर और हम सब उस परमपिता की संतान है जिसने हमे इस दुनिया में मनुष्य चोला दे कर भेजा है और धर्म एक जीवन शैली का नाम है ,धर्म के पथ पर जीवन यापन कर हम उस परमपिता परमात्मा को पा सकते है |''|रिलिजियन धर्म  का पर्यायवाची हो ही नही सकता ,जहाँ रिलिजियन में विभिन्न विभिन्न सुमदाय के लोग अपने ही ढंग से ईश्वर की पूजा आराधना करते है ,वहां धर्म जिंदगी जीने के लिए मानव का सही  मार्ग दर्शन कर इस अनमोल जीवन को सार्थक बना देता है |हमारे वेदों में  भी लिखा है ,''मानवता ही परम धर्म है '',और हम सब ईश्वर के बच्चे क्या एक दूसरे के साथ प्रेम से नही रह सकते ?क्यों हम विभिन्न सुमदायों में बंट कर रह गये है ?सोचने का विषय है |

Saturday 9 February 2013

आपके घर की समृद्धि के लिए



वास्तु टिप्स 

1 वास्तु शास्त्र के अनुसार अपने घर को सदा साफ़ सुथरा रखना चाहिए ।
2  अपने घर की वस्तुयों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित  करते रहना चाहिए ,इससे घर में सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता रहता है और सफाई भी बनी रहती है ।
3 अपने घर के कोनो में नमक वाले पानी का छिडकाव करते रहना चाहिए ,इससे घर में बीमारियाँ नही आती ।
4अपने घर की उत्तर दिशा में ऐसा चित्र लगाइए जिसमे पानी की झील हो याँ कोई मंदिर का चित्र हो जिसके साथ पानी हो क्योंकि इस दिशा में कुबेर का वास होता है 
5 अपने घर की उत्तरपूर्व दिशा में बहता हुआ पानी जैसे छोटा सा झरना शुभ होता है 

क्षमा बड़न को चाहिये ..

मीना की अपनी अंतरंग सखी दीपा से किसी बात को लेकर अनबन हो गई  |दोनों बचपन की सखियाँ जब भी एक दूसरे को देखती तो मुहं मोड़ लेती ,मन आक्रोश से भर जाता ,महीने बीत गए एक दूसरे से बात किये ,मीना अंदर ही अंदर बहुत  दुखी थी और वह अपनी प्यारी बचपन की सहेली से बात करना चाहते हुए भी नही कर पाती थी बल्कि उसे दीपा पर और भी अधिक गुस्सा आता ,''आखिर वह अपनी गलती मान क्यों नही लेती'' ,दीपा भी मीना से बहुत प्यार करती थी लेकिन वह भी उसके आगे झुकना नही चाहती थी ,नतीजा क्या हुआ दोनों सहेलियाँ अपने दिलों में एक दूसरे के प्रति क्रोध लिए भीतर ही  भीतर सुलगती रही और उन दोनों ने  सदा के लिए एक दूसरे को खो दिया |अगर दोनों ने आपसी मनमुटाव  को समाप्त करने के लिए एक दूसरे से क्षमा मांग ली होती या किसी एक सखी ने पहल कर दूसरी से  क्षमा मांग ली होती और उसने भी उसे दिल से माफ़ कर दिया होता तो दोनों बचपन की सखियाँ यूँ  एक दूसरे से नही बिछुड्ती बल्कि वह दोनों एक दूसरे के और अधिक करीब आजाती |मीना की मौसी ने उसे दुखी देख कर उसका कारण पूछा और सारी घटना जानने पर उसे समझाया कि बहुत ही  खुशनसीब होते है वह लोग जो रिश्तों की  गरिमा को पहचान कर उसे सजों कर रखना जानते है | अपने से हुई गलती पर क्षमा मांग लेने से कोई छोटा नही हो जाता और किसी को उसकी गलती पर माफ़ कर देना तो बड्पन की निशानी है हम अंपने जीवन में जाने अनजाने कितनी ही गलतियां करतें है ,कितनो का दिल दुखातें है लेकिन किसी से हुई कोई गलती को हम अनदेखा नही कर सकते बस क्रोधित हो कर उस पर बरस पडतें है  ,कई बार तो किसी की क्षमा याचना करने पर भी  ताउम्र  हम उसे क्षमा नही कर पाते और मन ही मन सदा के लिए बैर भाव की गाँठ बाँध कर रख लेते है |जब कभी भी उस के बारे में मन में विचार आता है , तब एक अजीब सी कडवाहट भर जाती है हमारे दिल में जो हमे बेचैन कर देती है और न जाने हमारे भीतर उठ रही वह क्रोधाग्नि अनगिनत रोगों को निमन्त्रण दे देती है |असल में जब हम किसी से क्षमा मांगते है या किसी को क्षमा करते है तो किसी दूर्सरे से अधिक हम अपने उपर उपकार करते है |क्षमा हमारे भीतर उठ रही क्रोधाग्नि के ज्वालामुखी को शांत कर हमारे अंतर्मन को ठंडक प्रदान कर उसे शुद्ध बना देती है |क्षमा का अर्थ है किसी की गलती को दिल से माफ़ कर दो और उसके बाद उसकी उस गलती को सदा के लिए भूल जाना |सभी धर्मो ने क्षमा के महत्व को पहचाना है ,जिन्होंने ईसामसीह को सूली पर चढाया उनके लिए ईसामसीह ने परमात्मा से क्षमा करने के लिए प्रार्थना की |स्वामी दयानंद जी ने उस पुरुष जगन्नाथ को क्षमा कर वहां से भागने के लिए पैसे थमा दिए,जिसने उन्हें दूध में  संखिया घोल कर पिलाया था |अपनी मौसी की बातों को सुनाने के बाद  मीना ने  दीपा को मनाने का फैसला लिया ,उसने एक सुंदर सा कार्ड बनाया और उस पर बड़े बड़े अक्षरों से लिखा ''सौरी ''और उस कार्ड को दीपा के पास जा कर उसके हाथ में थमा दिया |

Friday 8 February 2013

लाभ उठायें अपने आफिस की आंतरिक साज सज्जा से


लाभ उठायें अपने आफिस की आंतरिक साज सज्जा से 

वास्तु टिप्स
१  आफिस के मुखिया को सदा दक्षिण पश्चिम दिशा में बैठने चाहिए |
२   आफिस में लेखाधिकारी के लिए दक्षिण पूर्वीय दिशा शुभ है |
३ आफिस में काम करने वालों को सदा पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुख कर के कार्य करना चाहिए |
४ आफिस में ब्रह्म स्थान सदा साफ़ सुथरा और खाली रहना चाहिए |
५आफ़िस के ईशान कोण में पानी का फुवाहरा अति उत्तम माना गया है |
६ आफिस में मार्किटिंग के लिए उत्तर पश्चिम दिशा शुभ होती है

रेखा जोशी 


Wednesday 6 February 2013

बनी रहे कृपा प्रभु की आपके घर पर


वास्तु टिप्स
१ वैसे तो ईश्वर सर्वव्यापक है लेकिन अपने घर में उस प्रभु  की पूजा , आराधना के लिए ईशान कोण सर्वोत्तम स्थान है |
२ पूजा करते समय मुख सदा पूर्व की तरफ होना चाहिए |
३ मूर्तियों को पूर्व से पश्चिम याँ दक्षिण से उत्तर की तरफ स्थापित करना चाहिए |
४ पूजा करते समय आपका आसन सदा दायें कोण में होना चाहिए |
५ इस कोण में सुबह ,शाम  जोत जलाना ,धूप अगरबत्ती जलाना  याँ समिधा से हवन आदि करने से मानसिक तनाव दूर होते है और चित प्रसन्न रहता है |

Tuesday 5 February 2013

तकदीर से ही बाज़ी हारे है हम |


तकदीर पर विशवास तो नही मुझे ,
आये क्यों हो मेरी जिंदगी में तुम ,
निभाया सदा साथ तुम्हारा लेकिन ,
दर्देदिल के सिवा क्या मिला मुझे|
.........................................
भुला कर हमने हर सितम तुम्हारे ,
साथ निभाने का क्यों वादा किया ,
हद हो गई अब ज़ुल्मो सितम की ,
प्यार में तो हमने धोखा ही खाया |
.........................................
निभा न सके जब तुम वफ़ा को ,
चुप रहे फिर भी खातिर तुम्हारी ,
दफना दिया सीने में ही दर्द को ,
उफ़ तक न की किसी के आगे |
.....................................
कर लो चाहे जितने भी सितम,
सब सह लेंगे उसे ताउम्र हम ,
न करें गे शिकवा न शिकायत ,
तकदीर से ही बाज़ी हारे है हम |

Monday 4 February 2013

तमसो मा ज्योतिर्गमय---

मेरे पड़ोस में एक बहुत ही बुज़ुर्ग महिला रहती है ,उम्र लगभग अस्सी वर्ष होगी ,बहुत ही सुलझी हुई ,मैने न तो आज तक उन्हें किसी से लड़ते झगड़ते देखा  और न ही कभी किसी की चुगली या बुराई करते हुए सुना है ,हां उन्हें अक्सर पुस्तकों में खोये हुए अवश्य देखा है| गर्मियों के लम्बे दिनों की शुरुआत हो चुकी थी ,चिलचिलाती धूप में घर से बाहर निकलना मुश्किल सा हो गया था ,लेकिन एक दिन,भरी दोपहर के समय मै उनके घर गई और उनके यहाँ मैने एक छोटा सा  सुसज्जित  पुस्तकालय ,जिसमे करीने से रखी हुई अनेको पुस्तकें थी ,देखा  |उस अमूल्य निधि को देखते ही मेरे तन मन में प्रसन्नता की एक लहर दौड़ने लगी ,''आंटी आपके पास तो बहुत सी पुस्तके है ,क्या आपने यह सारी पढ़ रखी है,''मेरे  पूछने पर उन्होंने कहा,''नही बेटा ,मुझे पढने का शौंक है ,जहां से भी मुझे कोई अच्छी पुस्तक मिलती है मै खरीद लेती हूँ और जब भी मुझे समय मिलता है ,मै उसे पढ़ लेती हूँ ,पुस्तके पढने की तो कोई उम्र नही होती न ,दिल भी लगा रहता है और कुछ न कुछ नया सीखने को भी मिलता रहता है ,हम बाते कर ही रहे थे कि उनकी  बीस वर्षीय पोती हाथ में मुंशी प्रेमचन्द का उपन्यास' सेवा सदन' लिए हमारे बीच आ खड़ी हुई ,दादी क्या आपने यह पढ़ा है ?आपसी रिश्तों में उलझती भावनाओं को कितने अच्छे से लिखा है मुंशी जी ने |आंटी जी और उनकी पोती में पुस्तकों को पढ़ने के इस जज़्बात को देख बहुत अच्छा लगा | अध्ययन करने के लिए उम्र की कोई सीमा नही है उसके लिए तो बस विषय में रूचि होनी चाहिए |मुझे महात्मा गांधी की  लिखी पंक्तियाँ याद आ गयी ,'' अच्छी पुस्तके मन के लिए साबुन का काम करती है ,''हमारा आचरण तो शुद्ध होता ही है ,हमारे चरित्र का भी निर्माण होने लगता है ,कोरा उपदेश या प्रवचन किसी को इतना प्रभावित नही कर पाते जितना अध्ययन या मनन करने से हम प्रभावित होते है ,कईबार महापुरुषों की जीवनियां पढने से हम भावलोक में विचरने लगते है  और कभी कभी तो ऐसा महसूस होने लगता है जैसे वह हमारे अंतरंग मित्र है | अच्छी पुस्तकों के पास होने से हमें अपने प्रिय मित्रों के साथ न रहने की कमी नही खटकती |जितना हम अध्ययन करते है ,उतनी ही अधिक हमें उसकी विशेषताओं के बारे जानकारी मिलती है | हमारे ज्ञानवर्धन के साथ साथ अध्ययन से हमारा  मनोरंजन भी होता है |हमारे चहुंमुखी विकास और मानसिक क्षितिज के विस्तार के लिए अच्छी  पुस्तकों ,समाचार पत्र आदि का बहुत महत्वपूर्ण  योगदान है |ज्ञान की देवी सरस्वती की सच्ची आराधना ,उपासना ही हमे अज्ञान से ज्ञान की ओर ले कर जाती है |हमारी भारतीय संस्कृति के मूल धरोहर , एक उपनिषिद से लिए गए  मंत्र  ,''तमसो मा ज्योतिर्गमय   '',अर्थात हे प्रभु हमे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो ,और अच्छी पुस्तकें हमारे ज्ञान चक्षु खोल हमारी बुद्धि में छाये अंधकार को मिटा देती है | इस समय मै अपनी पड़ोसन आंटी जी के घर के प्रकाश पुँज रूपी पुस्तकालय में खड़ी पुस्तको की उस अमूल्य निधि में से पुस्तक रूपी अनमोल रत्न की  खोज में लगी हुई थी ताकि गर्मियों की लम्बी दोपहर में मै  भी अपने घर पर बैठ कर आराम से उस अनमोल रत्न के प्रकाश से  अपनी बुद्धि को प्रकाशित कर सकूं |

Sunday 3 February 2013

अर्धांगिनी

आरती और वैभव के बीच  में कल रात से ही झगड़ा चल रहा था ,मुद्दा वही उपर की आमदनी का ,जिसे आरती अपने घर में  कदापि भी खर्च  करना नही चाहती थी | वैभव ने अपनी पत्नी  आरती को पैसे की अहमियत के बारे में बहुत समझाया और बताया कि उसके दफ्तर  में सब मिल बाँट कर खातें है लेकिन आरती के लिए रिश्वत तो पाप कि कमाई थी , वैभव के लाख समझाने पर भी जब आरती नही मानी तो गुस्से में उसने आरती से साफ़ साफ़ कह दिया था कि अगर आरती ने इस मुद्दे पर और बहस की तो वह उससे  सदा के लिए सम्बन्ध विच्छेद कर लेगा ,बात बढ़ती देख आरती खामोश हो गई और मेज़ पर रखा हजार का नोट उठा कर उसे एक सफेद लिफाफे में डाल कर अपने  घर में बने छोटे से मंदिर में रख दिया और भारी मन से रसोई में व्यस्त हो  गई |तभी उसे बाहर आंगन में माली कि आवाज़ सुनाई दी ,जो वैभव से कुछ दिनों की छुट्टी मांग रहा था  और उसे अपने बीमार बेटे के इलाज के लिए कुछ रुपयों की जरूरत थी ,आरती  ने झट से मंदिर से सफेद लिफाफा उठाया और  माली के हाथ में थमा दिया |  

स्वागत करें अपने मेहमानों का अपने ड्राइंग रूम में

स्वागत करें अपने मेहमानों का अपने ड्राइंग रूम में
1आपके घर की उत्तर दिशा ड्राइंग रूम के लिए शुभ होती है |
२अपने घर के ड्राइंग रूम की दीवारों पर नकारात्मक उर्जा वाले चित्र कदापि न लगायें |
३ एयर कंडिशनर सदा दक्षिण पूर्व दिशा में लगाने चाहिए |
४ फर्नीचर रखने के लिए पश्चिम याँ दक्षिण दिशा शुभ होती है |
५ अतिथि को कभी भी ठीक दरवाज़े के सामने नही बैठाना चाहिए |


Friday 1 February 2013

रखिये ध्यान अपने घर की दक्षिण दिशा का


वास्तु टिप्स

१  घर के दक्षिण की दीवार मजबूत होने से शुभ फल मिलता है |
२ घर के दक्षिण भाग की दीवारें उत्तरी भाग की दीवारों से नीची होनी चाहिए |
३ पढ़ाई में व्यवधान न पड़े इसलिए कभी भी दक्षिण दिशा में अध्ययन का कमरा न रखे |
४  घर में शांति और धनधान्य के लिए दक्षिण दिशा की तरफ अधिक खाली स्थान न रखें |
५ घर के स्वामी की अच्छी सेहत के लिए ,घर की दक्षिण दिशा में पुराना कबाड़ याँ कूड़ाकरकट नही होना चाहिए |