Sunday 31 July 2016

चलो  चले  सजन  हों बहारें जहाँ
खूबसूरत   से   हों   नज़ारे  जहाँ
,
मिल रहा हो जहाँ धरती से गगन
खुशियाँ हरदम हमें  पुकारे जहाँ
,


रेखा जोशी 

सावन बरसे भादों बरसे

रिमझिम बरखा बहार लाई 
ठंडी    पड़ती  बौछार   लाई 
सावन   बरसे  भादों  बरसे 
प्यार  की  संग  फुहार लाई 

रेखा जोशी

Saturday 30 July 2016

आज जियरा जले क्या करें

दर्द तुम ने दिये क्या करें 
ज़ख्म हम को मिले क्या करें 
... 
खूबसूरत   नज़ारे  यहाँ 
फूल उपवन खिले क्या करें 
... 
ये  बहारे  पुकारे  पिया 
आज जियरा जले क्या करें 
... 
मुस्कुरा कर पुकारो सनम 
यूँ  चले सिलसिले क्या करें 
... 
खत्म शिकवे करें अब सजन 
आज छोडो  गिले क्या करें 

रेखा जोशी 


Friday 29 July 2016

रँगीन छटा छाई आज हरे भरे उपवन में

खिली खिली बगिया अँगना महकाती फूलों सँग
लिपट   पेड़ों   से   लतायें    इठलाती  फूलों  सँग
रँगीन   छटा   छाई   आज   हरे  भरे  उपवन  में
है   झूमती    मधुमालती   इतराती   फूलों   सँग

रेखा जोशी 

Thursday 28 July 2016

सहते रहे हम दर्द सीने में छिपाये प्यार

बीते  हुए  वो  पल  बिताये  ज़िन्दगी  में साथ 
आते हमे  तुम  याद अक्सर जब चले थे साथ 
सहते   रहे   हम  दर्द  सीने  में  छिपाये  प्यार 
आजा सजन फिर लौट आ अँगना हमारे साथ 

रेखा जोशी 
  

Wednesday 27 July 2016

श्रम ही हमारी ज़िन्दगी

 मिलकर चलते  सुबह शाम
चलते  रहते   सुबह   शाम 
श्रम   ही    हमारी  ज़िन्दगी
नहीं   रुकते   सुबह   शाम

रेखा जोशी

Tuesday 26 July 2016

जन्म देकर संसार में तुम्हे लाया नारी ने

अपने    खून   से   इंसान   को  बनाया   नारी  ने 
जन्म   देकर   संसार    में  तुम्हे  लाया  नारी  ने 
मत करना ज़िन्दगी  में कभी अपमान उसका तुम 
गोदी  में  अपनी   तुम  को   तो  खिलाया नारी ने 



रेखा जोशी 

Sunday 24 July 2016

है वोटों की राजनीति बन चुकी खेल खिलाडियों का

दाँव   पेंच  का  खेल  रच   बैठे   ऐसे  नेता   कुर्सी  पर
कैसे   टिक   पाते   यहाँ   ऐसे   वैसे   नेता  कुर्सी   पर
है वोटों  की राजनीति बन चुकी  खेल  खिलाडियों  का
बिकते   खरीदे   जाते    कैसे    कैसे   नेता   कुर्सी  पर

रेखा जोशी 

Friday 22 July 2016

कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हम सब है एक

चमकेगा पूरी  दुनिया  में  भारत   देश   हमारा
अपने  दोस्तों  का प्यारा  ये भारत देश  हमारा
कश्मीर  से लेकर कन्याकुमारी  तक हम  सब है एक
दुश्मन  को  धूल  चटाता  ये  भारत देश हमारा

रेखा जोशी 

आज हम खुशनसीब है साजन

वक्त हमको कभी उठाता है 
यह उठा कर कभी गिराता है 
.... 
साथ कोई यहाँ नहीं देता 
हमसफर साथ तब निभाता है 
... .. 
राह चलते मिले यहाँ सुख दुख 
ज़िंदगी   पार  रब   लगाता है 
.... 
देख कर मुश्किलें न डरना तुम 
वक्त ही  खेल  आज़माता है 
.... 
आज हम खुशनसीब है साजन 
कल हमें क्या समाँ दिखाता है 
...


रेखा जोशी 




Thursday 21 July 2016

ज़िंदगी मधुर गीत अब गाने लगी


याद तेरी हमें आज आने लगी 
 मधुर स्वर में ज़िन्दगी गाने लगी
.....
चाँद ने ली आज अंगड़ाई सजन 
चाँदनी अब  यहाँ मुस्कुराने  लगी 
.... 
रात काली यहाँ  बिन सजन प्यार के 
दीप की रोशनी जगमगाने लगी 
.... 
नाम लेकर पुकारें नज़ारे यहाँ 
अब पवन भी हमें तो बुलाने लगी 
.... 
थाम लो  हाथ तुम अब हमारा सजन 
प्रीत भी गीत अब गुनगुनाने लगी 

रेखा जोशी 

महकाती रही ज़िंदगी हरदम

रंग बिरंगी ज़िंदगी में 
आये अनेक रंग
इंद्रधनुषी रंगों से
सजा था जीवन कभी 
छलकते थे कभी 
अँगना  हमारे
प्यार और ख़ुशी के रंग
जिन्हें ऊँगली थाम
सिखाया था चलना कभी
बन गये  वही
अब हमारे सहारे
समझा था जिसे कभी
हमने पराया
प्यार से उसी ने हमे
सहलाया
बनी वह लाठी हमारी
जिसे डोली में था हमने
बिठाया
पोंछ कर नैनों से
आँसू
भर दिये जीवन में
फिर से उसने
उम्मीद के रंग
भूला दिये  सब गम
आशा के संग
महकाती रही ज़िंदगी
हरदम 

रेखा जोशी 

Wednesday 20 July 2016

मेहनत कर खायेंगे हम खून पसीने की

ज़िंदगी भले ही  कुछ दिनों की है मेहमान
नहीं भूले हम आज भी अपनी ये पहचान
मेहनत  कर  खायेंगे  हम  खून पसीने की
बूढ़ी   हड्डियों  में  मेरी  आज  भी है जान

रेखा जोशी


झूला झूलें सखियाँ घर आजा साँवरिया

रिम झिम बरसता सावन ठंडी पड़े फुहार
धड़के मोरा जियरा साजन सुन ले पुकार
झूला झूलें सखियाँ  घर आजा साँवरिया 
उडे मोरी  चुनरिया हम राह रहे  निहार

रेखा जोशी 

Tuesday 19 July 2016

नहीं सहेंगे अब देंगे मुँहतोड़ जवाब

कैसे   देंगे   आतंकी    कर्मो  का  हिसाब
खून  से  लथपथ  लाशें  बिछाई बेहिसाब
पाक हुआ  नापाक मनाया  काला दिवस
नहीं   सहेंगे   अब   देंगे  मुँहतोड़  जवाब

रेखा जोशी 

मिल गये हमको सहारे ज़िंदगी


खूबसूरत है नज़ारे ज़िंदगी 
साथ है अब तो बहारें ज़िंदगी 
तुम मिले सारा जहाँ पाया यहाँ
मिल गये हमको सहारे ज़िंदगी 

रेखा जोशी 

गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 

दीप ज्ञान का 
प्रज्जवलित  कर
प्रकाशित करता पथ 
हाथ थाम मार्गदर्शक बन 
लक्ष्य प्राप्ति  कराता  वह 
अर्पित करती हूँ मै
श्रद्धासुमन
अपने गुरुवर को
शत शत नमन  

करती हूँ मै  
अपने गुरुवर को  

रेखा जोशी

Tuesday 12 July 2016

हिन्दुस्तान हमारा सारे जहाँ से निराला

भारत   की माटी  से तिलक  लगायें साथियो
जन जन को सभी मिल ऊपर उठायें साथियों
हिन्दुस्तान   हमारा   सारे  जहाँ   से  निराला
आओ  मिल  देश  को स्वच्छ बनायें साथियो

रेखा जोशी 

हमारे तुम्हारे मिलन की इक कहानी बन गई

आये  जो  तुम  अँगना   शाम   सुहानी  बन गई 
खिली बगिया  तितली गुल की दिवानी  बन  गई 
छिड़ने  लगे  मधुर तार अब दिल के हमारे सजन 
हमारे  तुम्हारे  मिलन  की  इक कहानी  बन गई 

रेखा जोशी 

Monday 11 July 2016

कुछ अधूरी ख्वाहिशें

उड़ रही
रंगबिरंगी तितलियाँ
मेरी
ख्वाहिशों की बगिया में
फूलों से लदी
डालियाँ
झूला रही मदमस्त पवन
महकने लगी
मेरी
कुछ अधूरी ख्वाहिशें
जाग उठी तमन्ना
मेरी
ख्वाहिशें और ख्वाहिशें
बढ़ती रही
चाहतों की दुनिया में
खो गई
न खत्म हुई
मेरी
हसरते कभी
ज़िंदगी यूँही
चलती रही

रेखा जोशी

Sunday 10 July 2016

बनाते सम्बन्ध देख पैसे की चमक

थे  कहते   लोग  पर  हमने  नहीं माना
समझ गये दुनिया हमने अब यह जाना
बनाते   सम्बन्ध   देख   पैसे  की चमक
बदल  गये  रिश्ते  कैसा  आया  ज़माना

रेखा जोशी 

सोच विचार कर कर्म करो

न रहना तुम यहाँ अंजान
है   कर्म   ही  धर्म  इंसान
सोच विचार कर कर्म करो
देंगे  इसका  फल भगवान

रेखा जोशी 

Saturday 9 July 2016

ओढ़ देखते जब हम मुखौटे चेहरे पर अपने

कौन  कहता है  आईना सदा सच बोलता है
जो  देखना चाहते   है उसमें वही  दिखता है
ओढ़ देखते जब  हम मुखौटे चेहरे पर अपने
देख आईने में आत्मा  का भी सर झुकता है

रेखा जोशी

जी नहीं सकते सजन हम ज़िंदगी तेरे बिना

क्या करें हमको हुआ है प्यार तुमसे ज़िंदगी 
हम  सदा  करते   रहेंगे  प्यार   तेरी  बंदगी 
थाम लो  अब  प्यार से  जायें कहाँ तेरे बिना 
जी  नहीं सकते सजन हम ज़िंदगी तेरे बिना 

रेखा जोशी 

Friday 8 July 2016

घनघोर घिरी घटायें बदरा कारे कारे

रिमझिम बरसता पानी ठंडी पड़े फुहारें
धड़कता मोरा जियरा साजन तुम्हे पुकारे
झूला झूले सखियाँ उड़ उड़ जाये चुनरिया 
घनघोर घिरी घटायें बदरा कारे कारे 

रेखा जोशी 

Thursday 7 July 2016

है लाडो हमारी सब को नचाती

है  लाडो  हमारी  सब को  नचाती
दुपट्टे   से  माँ के खुद  को सजाती
खेलती कूदती घर अँगना बिटिया
कभी रूठती कभी हम को मनाती

आज   तेरी   हमे   जरूरत  है
प्यार  का  यह   हसीं महूरत है 
क्या पता कल कहाँ रहे हम तुम
ज़िन्दगी  आज   खूबसूरत   है

रेखा जोशी

देना हमारा साथ तुम

मत ज़िंदगी में बहकना 
तुम बंदगी को समझना 
... 
हम थाम लेंगे हाथ को 
तब हाथ तुम भी पकड़ना 
... 
देना हमारा साथ तुम 
तुम साथ फिर मत छोड़ना 
.... 
जीवन ख़ुशी से भर गया  
खिल खिल उठा अब अंगना 
 .... 
खिलने लगे है फूल अब 
उपवन सदा अब  महकना 

रेखा जोशी 










पिया आये हमारे घर सितारे जगमगायें है

शमा जलती रही महफ़िल सजाने आप आयें है
यहाँ अब रात में किसने सजन दीपक जलाये हैं
चले आये हमारी आज महफ़िल में सनम फिर से
पिया आये हमारे घर सितारे जगमगायें है 

रेखा जोशी 

Wednesday 6 July 2016

तुम पास हो कर भी दूर हो बहुत दूर मुझसे

बहुत करीब हो
तुम मेरे
फिर भी
बहुत दूर हो
क्यों
नही समझ पा रहे
मेरे अंतस की पीड़ा
क्यों
नही सुन पा रहे
शोर
मेरे दिल में
जो मचल रहे
मचा रहे हलचल
अनकहे जज़बात का
मौन हूँ मै
नही सुन पा रहे
क्यों 
नहीं समझ पा रहे
मेरी आँखों की
भाषा तुम
क्योंकि
तुम पास हो कर भी
दूर हो
बहुत दूर मुझसे

रेखा जोशी

ईद मुबारक

मनाते रहें हम सभी  तीज त्यौहार
आती रहें खुशियाँ जीवन में हजार
ईद  हो  या  फिर मनायें दीपावली
देते   रहें    इक  दूसरे  को  उपहार

रेखा जोशी 

है डर डर कर जीना भी क्या जीना

हमारी   ज़िंदगी  कुछ  बीते   ऐसे 
छोटी   कितनी  भी   हो  चाहे वैसे
है डर डर कर जीना भी क्या जीना
जियें तो जियें हम शेर जिये जैसे

रेखा जोशी 

Tuesday 5 July 2016

है देती ज़िंदगी हमें गम सौ बार

ज़िंदगी  में  कभी  निराश  होना नहीं 
दुख मिलें हमें  हज़ार कभी रोना नहीं 
है  देती   ज़िंदगी  हमें  गम  सौ  बार 
सजन  काँटे  यहाँ पर  तुम बोना नहीं 

रेखा जोशी 

Monday 4 July 2016

रिमझिम बरसे मेघ है ,झूम रहा संसार


आसमाँ गरजता मेघ घटा घिरी घनघोर
रास रचाये दामिनी  मचा रही  है शोर 

आँचल लहराती  हवा ठंडी पड़े फुहार
उड़ती जाये चुनरिया बरखा की बौछार 

सावन बरसा झूम के भीगा तन मन आज
पेड़ों पर झूले पड़े  बजे है मधुर साज़ 

भीगा सा मौसम यहाँ भीगी सी यह रात
भीगे से अरमान ये  ले आई बरसात 

आई बरखा झूम के गाये राग मल्हार 
रिमझिम बरसे मेघ है झूम रहा संसार 

रेखा जोशी 

हाइकु [बरसात ]

हाइकु [बरसात ]

बरसात में
खिलता तन मन
चुनरी भीगे
...
कारे बदरा
आसमान बिजुरी
धड़के जिया
....
गगन छाई
घटायें  घनघोर
बरखा आई
....
शीतल हवा
है  पड़ गये झूले
सावन आया
....
आजा पिया
बदली आसमान
झूमें जियरा

रेखा जोशी

Sunday 3 July 2016

है पैसे की भी चमक निराली

रहती  कभी  उनकी जेब खाली
किस्मत ने ऐसी  निगाह  डाली
बदल गये फिर उनके हाव भाव
है  पैसे  की  भी चमक  निराली

रेखा जोशी 

Saturday 2 July 2016

मनु भाई मोटर चली पम पम पम |

पूर्व प्रकाशित रचना 

मोटर कार में सवार होकर मनु भाई अपने घर से निकले ,बीच रास्ते में ही उनकी मोटर गाड़ी ने दे दिया जवाब ,चलते चलते ढुक ढुक कर के गाड़ी गई रुक ,परेशान हो कर मनु भाई मोटर कार से नीचे उतरे ,गाड़ी के आगे पीछे घूमे,चारो और चक्कर लगाया लेकिन समझ में कुछ नहीं आया |हाईटेक जमाना है ,मोबाईल मिला कर झट से मैकेनिक को बीच सड़क पर बुलवा लिया ,मैकेनिक ने बोनट खोल कर अच्छे से गाड़ी की जांच की और हाथ खड़े कर दिए ,”साहिब जी यह तो न चलने की ,इसके तो ब्रेक ही जाम हो गए,इसकी तो ओइलिंग करवानी पड़ेगी |

परेशान मनु भाई क्या करते ,उन्हें तो आज हर हालत लोन पास करवाना था | गाड़ी की चाबी मैकेनिक को सोंप ,बगल में फ़ाइल दबा कर ,ऑटो रिक्शा में सवार हो चल दिए लोन पास करवाने दफ्तर की ओर,लेकिन यह क्या ,दरवाज़े पर ही बेचारे को रोक लिया एक चपड़ासी ने ,”किससे मिलना है ?,क्यों मिलना है ?” अनेकों सवालों की बौछार लगा दी ”| मनु भाई ने उसे उपर से ले कर नीचे तक देखा,और जवाब दिया ”अरे भाई ,लोन पास करवाना है ,तुम मुझे अंदर क्यों नहीं जाने दे रहे ,मुझे आज यहाँ बुलाया है ”एक ही सांस में मनु भाई बोलते चले गए |चपड़ासी आराम से दरवाज़े के आगे रास्ता रोके अपनी हथेली पर तम्बाकू रगड़ता रहा ,हाथ की एक ऊँगली से सामने पड़े धूल माटी से सने बेंच की ओर इशारा करते हुए बैठने को कहा ,मुंह में तम्बाकू फांकते हुए बोला ,”अभी साब नहीं है ,इंतज़ार करो |

 हताश हो कर बेंच को रुमाल से साफ़ किया और उस पर बैठ गए मनु भाई |तभी एक महिला धड़धडाते हुए आई और दरवाज़ा खोल कर अंदर चली गयी ,उसके अंदर घुसते ही मनु भाई भी उसके पीछे जाने को हुए ,तभी चपड़ासी ने दरवाज़े पर अपनी बाजू लम्बी कर उसका रास्ता रोक दिया ,अरे अरे कहां घुसे जा रहे हो ,वो जो अंदर गयी है न ,पार्षद है , चलिए चलिए जनाब अभी और इंतज़ार कीजिये |मुंह मसोस कर बेचारे फिर उसी बेंच पर आ कर बैठे ही थे कि तभी एक आदमी आया और उसने अपनी जेब से सौ  रूपये का नोट निकला और उस चपड़ासी की हथेली पर अपना हाथ रखते हुए अंदर चला गया |उसे ऐसा करते देख मनु भाई भी बेंच से उठे और अपनी जेब से सौ  का नोट निकाल कर चपड़ासी को थमाया और भीतर दाखिल हो गये ,सीधे उस बाबू की मेज़ पर पहुचे और पूछा कि उसका लोन तो पास हो गया न ,पिछले महीने फाइल जमा करवाई थी |बाबू ने अपनी नाक पर रखा चश्मा उपर किया ,”एयं कौन की फाइल ” मनु भाई की आवाज़ थोड़ी तेज़ हो गई ,”अरे पिछले महीने लोन के लिए फार्म जमा करवाया था ,आपने आज बुलाया था ,क्या हुआ अभी तक लोन पास क्यों नहीं हुआ ”बाबू ने अपने सामने खुले हुए रजिस्टर को बंद किया ,अपनी कुर्सी से उठे अपना चश्मा ठीक करते हुए मनु भाई के कंधे पर हाथ रखा और उन्हें एक कोने में ले गये ,धीरे से उनके कान में फुसफुसाते हुए बोले ,”लोन के लिए अर्जी दी है न ,ऐसे कैसे पास हो जाये गा ,पहले कुछ चढावा तो चढाओ ,फिर देखें गे” |

मनु भाई का माथा ठनका,गुस्से में दांत भिच गये ,”हिम्मत तो देखो सरेआम रिश्वत मांग रहा है ,बाबू भाई थोडा और आगे बढ़े ,”देखो भैया थोड़ी ओइलिंग ही तो करनी है फिर देखना कैसे भागे गी तुम्हारी यह लोन की फाइल, नहीं तो खटारा मोटर कार की तरह यह भी रुक जाए गी| ” यहाँ बार बार चक्कर कटवाएं गे ”यह सोचते हुए उसने अपनी जेब से सौ का नोट निकला और थमा दिया उस बाबू के हाथ |बाबू ने नोट जेब में डाला और अपनी सीट पर जा कर बैठ गया ,पीछे पीछे मनु भाई भी हो लिए ,सीट पर बैठते ही बाबू ने चश्मे के अंदर से झांक कर कहा,”एक महीने के बाद आना भाई ”|मनु भाई हैरान परेशान ,अब ऐसा क्या हुआ ” अरे भाई जाओ यहाँ से खाली पीली दिमाग मत खाओ मेरा |यहाँ बीसियों जगह फाइल जाती है उपर से नीचे तक सब मिल बाँट कर खाते है ,सौ रूपये से क्या होगा ?जाओ यहाँ से जाओ बहुत हो चुका|” मनु भाई का तो दिमाग जैसे सुन्न पड़ गया ,पास पड़ी कुर्सी पर धम से बैठ गये ”,अब क्या होगा अगले महीने तो बेटी की शादी है ,पैसा हाथ नही आया तो कैसे होगी बेटी की शादी ,बेटे की पढाई का खर्चा कैसे उठा पाऊंगा , पत्नी के सारे अरमान धरे के धरे रह जाएँ गे ”|

यह सब मन ही मन सोचता हुआ वो उस सरकारी दफ्तर से बाहर निकल आया और टकरा गया इक पागल से ,जिसके हाथ में थी तेल की इक शीशी ,टकराते ही वो जोर से चिल्लाया ,”बहुत कीमती है यह ,टूट जाती तो ,इसमें वो चीज़ है जो हमारे हिन्दुस्तान को चला रही है ,एक एक बूंद कीमती है इसकी ,इससे हर मुश्किल काम मिन्टों में हो जाता है ,हर सरकारी विभाग इसके बलबूते पर ही चल रहा है |एक राज़ की बात बताता हूँ .इससे कोई भी रातोरात लखपति ,करोडपति बन सकता है ,लाकर नोटों से भर जाते है इसका जादू तो हर छोटे बड़े के सर चढ़ कर बोल रहा है एक चपड़ासी से ले कर ऊँचे ओहदे वाले अफसर हर कोई इसका ही गुणगान कर रहें है ,अगर इसकी मेहरबानी न हो तो आज हमारे देश का हर काम रुक जाए गा और देश जाएगा धरातल में ,जी हाँ धरातल में ही जा रहा है देश ,रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार का पेट बढ़ता ही जा रहा है |और यह दिन प्रतिदिन फलफूल रहा है ,खोखली कर रहा है यह नीव हमारे आदर्शों की,मूल्यों की और हमारी संस्कृति की”|

उस पागल की बाते सुन मनु भाई हतप्रद रह गये ,”कितनी कडवी सच्चाई है यह आज ईमानदारी ,मेहनत जैसे शब्द खोखले हो चुके है ,बेमायने हो गए है ,ईमानदार और मेहनती इंसान को लोग बेवकूफ कहते है ,बेवकूफ ”| मनु भाई ने मेकेनिक को फोन कर अपनी खटारा मोटर कार मंगवाई ,उसकी ओइलिंग हो चुकी थी ,मनु भाई गाडी में बैठे और उनकी मोटर चली पम पम पम | 

रेखा जोशी 

श्याम  आओ हमारे द्वार 
राह  बैठी पथ रही  निहार 
... 
हाथ बढ़ा कर उठाओ हमें 
नाव  डोले  बीच  मझधार 
... 
जगत के हो रखवाले आप
लगा दो अब तो बेड़ा  पार 
.... 
नहीं कोई हमारा तुम बिन 
सुनो भगवन हमारी पुकार 
.... 
हाथ जोड़ हम करें वंदना 
करो प्रभु अब हम पर उपकार 

रेखा जोशी 


करो प्रभु अब हम पर उपकार


श्याम  आओ हमारे द्वार 
राह  बैठी पथ रही  निहार 
... 
थाम लो ईश  हमारा हाथ 
नाव  डोले  बीच  मझधार 
... 
जगत के हो रखवाले आप
लगा दो अब तो बेड़ा  पार 
.... 
नहीं कोई हमारा तुम बिन 
सुनो भगवन हमारी पुकार 
.... 
हाथ जोड़ हम करें वंदना 
करो प्रभु अब हम पर उपकार 


रेखा जोशी 


सावन बरसे झूम के ,भीगे तन मन आज

अम्बर गरज बदरा रहे,मचा  रहे  है शोर

बिजुरी रास रचा रही, घटा धिरी घनघोर 

सावन बरसे झूम के ,भीगे तन मन आज

अँगना झूले पड़ गये ,बगिया   नाचे  मोर 


रेखा जोशी 

Friday 1 July 2016

सबसे करें यहॉं पर हम प्यार ज़िंदगी

देना गरीब  को तुम अधिकार ज़िंदगी 
जो  गिर गये उठा  कर संवार ज़िंदगी 
गम  ज़िंदगी यहाँ पर देती बहुत कभी 
सबसे करें यहॉं  पर हम प्यार ज़िंदगी 

रेखा जोशी