छंदमुक्त रचना
बहुत प्यार है देश अपने से
मान नहीं ईमान है मेरा
बसती भारत में अपनी जान है
अभिमान नहीं स्वाभिमान है मेरा
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सदियों पुरानी संस्कृति हमारी
ऋषि मुनियों की पावन भूमि
भरा ज्ञान का यहाँ भंडार है
बसती भारत में अपनी जान है
अभिमान नहीं स्वाभिमान है मेरा
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राम कृष्ण की धरती हमारी
गुरुओं की गूंजे अमृतबानी
देश धर्म की खातिर
कटा शीश रखा देश का मान है
बसती भारत में अपनी जान है
अभिमान नहीं स्वाभिमान है मेरा
रेखा जोशी