एक सुसज्जित भव्य पंडाल में सेठ धनीराम के बेटे की शादी हो रही थी ,नाच गाने के साथ पंडाल के अंदर अनेक स्वादिष्ट व्यंजन ,अपनी अपनी प्लेट में परोस कर शहर के जाने माने लोग उस लज़ीज़ भोजन का आनंद उठा रहे थे |खाना खाने के उपरान्त वहां अलग अलग स्थानों पर रखे बड़े बड़े टबों में वह लोग अपना बचा खुचा जूठा भोजन प्लेट सहित रख रहे थे ,जिसे वहां के सफाई कर्मचारी उठा कर पंडाल के बाहर रख देते थे |पंडाल के बाहर न जाने कहाँ से मैले कुचैले फटे हुए चीथड़ों में लिपटी एक औरत अपनी गोदी में भूख से रोते बिलखते नंग धडंग बच्चे को लेकर एक बड़े से टब के पास आ गई और उस बची खुची जूठन से खाना निकाल कर अपने बच्चे के मुहं में डालने लगी |उसके पास खड़ा एक कुत्ता भी टब में मुहं डाल कर प्लेटें चाट रहा था |
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