Tuesday, 14 January 2014
हाल ऐ दिल अपना
दिल के जज़्बात अपनी भीगी पलकें कैसे छिपायें
हाल ऐ दिल अपना अब हम किस किस को कैसे बतायें
समझ न पाये जब वह जिसे हमने सदा अपना माना
गैर तो गैर है यहाँ तो अपने भी हुए है पराये
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment