Sunday, 13 July 2014
अगन बरस रही अब आसमान से देखो धरती पर
एक बूँद न बरसी पानी की व्योम
से
पड़ा
सूखा
खेत खलिहान चहुँ ओर यहाँ दिख रहा रूखा रूखा
अगन बरस रही अब आसमान से देखो धरती पर
बरसा पानी मेघ नही तो किसान रहेगा भूखा
रेखा जोशी
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