Friday, 8 August 2014
मिटने लगी अब सीमायें भी विश्व की
देश औ विदेश अब रहे सिमट आजकल
विज्ञान से मिल रहा ज्ञान अमिट आजकल
मिटने लगी अब सीमायें भी विश्व की
दूरियाँ दिलों की भी रही मिट आजकल
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment