Thursday, 25 June 2015
पा कर स्पर्श तेरा जी उठी ज़िंदगी
अधूरी यहाँ तुम बिन हमारी ज़िंदगी
जी रहे कब से सूनी सूनी ज़िंदगी
जग उठे है सपने कई आये जो तुम
पा कर स्पर्श तेरा जी उठी ज़िंदगी
रेखा जोशी
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