Friday, 27 May 2016
ओढ़ कर लाज का आँचल मुस्कुराया वह शर्मीला चाँद
बन प्रियतम धरा पर उतर आया वह
शर्मीला चाँद
ओढ़ कर लाज का आँचल मुस्कुराया वह शर्मीला चाँद
खेल रहा चन्दा आँख मिचोली चाँदनी लिये संग मेरे
बादलों के झरोखों से खिलखिलाया वह शर्मीला चाँद
रेखा जोशी
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