Friday, 20 December 2013
शांत है विस्तृत सागर
गिरती उठती लहरें
सागर की
शोर मचाती
आती पग चूमती
साहिल का
फिर लौट जाती
चमक रही सीने पर
अरुण की सुनहरी रश्मियाँ
असीमित नीर
समेटे अपने में
अथाह शक्ति फिर भी
है शांत विस्तृत सागर
तूफ़ान छुपाये
अपने सीने में
रेखा जोशी
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