Friday, 20 November 2015
उमंग से भरी वह उछलती इठलाती
छोड़ कर दामन पहाड़ों का इतराती
उमंग से भरी वह उछलती इठलाती
आकुल नदिया चली समाने सागर में
मिलने प्रियतम से लहराती बलखाती
रेखा जोशी
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