Monday, 11 April 2016
रूठा यार अपना मनाने चला हूँ
आसमाँ में तारे सजाने चला हूँ
बगिया अपनी मै महकाने चला हूँ
सूनी है ज़िंदगी बिन तेरे प्रियतम
रूठा यार अपना मनाने चला हूँ
रेखा जोशी
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