Monday, 16 May 2016
नहीं छोड़ना बीच रास्ते सजन
छन्द -वाचक भुजंगी
122 122 122 12
कभी अाँख में नीर देना नहीं
कभी प्यार में पीर देना नहीं
नहीं छोड़ना बीच रास्ते सजन
जियें हम सदा प्रीत वास्ते सजन
रेखा जोशी
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