Tuesday 31 July 2012

टूटता तारा

 शाम ढलते ही पिंकी अपने भाई के साथ छत पर आ गई ,दोनों भाई बहन आज खूब मौज मस्ती के मूड में थे ,तभी पिंकी को चिढ़ाते हुए राजू ने आसमान की तरफ इशारा करते हुए कहा ,''पिंकी देखो वह तारा टूट कर तुम्हारे सिर पर गिरने वाला है ''|पिंकी ने झट से अपने सिर पर हाथ रखते हुए उपर देखा तो उसे एक टूटता हुआ तारा दिखाई दिया जो तेज़ी से जमीन की तरफ आ रहा था |पिंकी हैरानी से राजू को देखने लगी ,उसकी भोली सूरत देख कर राजू जोर जोर से हंसने लगा और ताली बजा कर उसे चिढ़ाने लगा ,''तुम तो एकदम बुधू हो,वह कोई टूटता हुआ तारा नही है बल्कि उल्का पिंड है ,जब दूर उपर आसमान से कोई भी छोटी यां बड़ी चट्टान हमारी धरती के वायुमंडल में प्रवेश करती है तो उन में आपसी रगड़ के कारण आग उत्पन होती है| धरती उस चट्टान को अपनी तरफ खींचती है तो हमे ऐसा दिखाई देता है जैसे कोई तारा टूट रहा हो ,मेरी भोली बहना,आई बात समझ में ''|पिंकी कहाँ चुप रहने वाली थी वह भी राजू को मुहं चिढ़ा कर बोली ,''तुम भी बुधू हो ,भूल गए उस दिन मौसी ने क्या कहा था ,यह तो विश स्टार है ,जब भी यह दिखाई दे तो जल्दी से कुछ मांग लो ,तुम्हारी वह इच्छा जरुर पूरी हो जाये गी''|उसकी बात सुन कर राजू फिर से हंसने लगा ,''नही नही मेरी नन्ही सी गुडिया विज्ञान इन बातों को नही मानता ,टूटता तारा और कुछ नही बस अन्तरिक्ष से पृथ्वी पर एक गिरती हुई चट्टान है ''|