Friday 29 June 2018


महिमा प्रभु की सदा मै गाती  रहूँ
शीश  अपना सदा मै  नवाती  रहूँ
जन जन  में  देखूँ  रूप मै  तुम्हारा
ख़ुशी सबके जीवन  में  लाती रहूँ
,

 है खिल खिल गये उपवन महकाते संसार
 फूलों  से  लदे  गुच्छे   लहराते  डार   डार
सज रही रँग बिरँगी पुष्पित सुंदर  वाटिका
भँवरें  अब   पुष्पों  पर  मंडराते  बार  बार

रेखा जोशी

जीवन नैया

झूलती सुख दुख की लहरों पर
जीवन नैया

जाना है उस पार
उदंड लहरों में डोल रही
जीवन नैया

नहीं छोड़ सकते इसे
हवाओं के सहारे
उठानी होगी खुद ही
पतवार हाथों में
कर्म करने से ही होगी पार
जीवन नैया

है भाग्य हाथों में तेरे
कर्मों से ही बनेगा नसीब तेरा
उठो संवार लो अपनी तकदीर
जब जागो तभी सवेरा
नहीं तो बस
अंधेरा ही अंधेरा
संभल जाओ
नहीं तो डूब जाये गी
जीवन नैया

रेखा जोशी

Tuesday 26 June 2018

अस्त व्यस्त हुई है जिंदगी बिन तेरे


ढूँढ   रहे   लगा   तेरी   गलियों    के   फेरे
पड़   गये    छाले   अब   तो  पैरों   में  मेरे
आ भी जाओ तुम अब तो थक चुके हैं हम
अस्त   व्यस्त   हुई   है  जिंदगी   बिन   तेरे

रेखा जोशी

 

रेखा जोशी

Monday 25 June 2018

गर्मी से  हुआ  है  हाल बेहाल

आँखे लगी अंबर पर कबसे है
बूँद  बूँद को धरा अब तरसे है
गर्मी से  हुआ  है  हाल बेहाल
आये  बदरा  पर  नहीं बरसे है

रेखा जोशी

Sunday 24 June 2018

बाइस्कोप

बाइस्कोप

आज रितु ने अपने पति सोनू एवं बच्चों टीनू और रिंकू संग खूब मज़े किए, मेले में बच्चों के लिए खिलौने खरीदे और अपने लिए सुंदर रंग बिरंगी चूड़ियाँ ली, चलते चलते सब काफी थक गए थे, तभी सोनू ने बच्चों को बाइस्कोप दिखाया, "यह क्या है रिंकू ने पूछा" l, "बेटा इसे बाइस्कोप कहते हैं, जब मै छोटा था तो इसमें पिक्चर देखा करता था, बहुत मज़ा आता था, चलो आज फिर से इसमें पिक्चर देखते हैं," सोनू अपने दोनों बच्चों के साथ  बाइस्कोप के अंदर की तसवीरें देखने लगा l बच्चों की तरह सोनू भी जोर जोर से ताली बजा रहा था l पिक्चर खत्म होने के बाद रितु ने अपने पति की ओर देखा, उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी, बिल्कुल टीनू की आंखों की तरह, बाइस्कोप देख  सोनू के चेहरे पर एक खूबसूरत बच्चा झाँक रहा था l

रेखा जोशी

Tuesday 12 June 2018

इक हवा के झोंके सी गुज़र गई ये जिंदगी


गीतिका

इक हवा के झोंके सी गुज़र गई ये जिंदगी
देखते देखते रेत सी बिखर गई ये जिंदगी
..
प्यार का आँचल भी लहराया था कभी जीवन में
दामन छुड़ा के प्यार भरा किधर गई ये जिंदगी
..
उजड़ा है यहाँ चमन न फूल है न बगिया गुलजार
जाने कहाँ पर आ कर अब ठहर गईं ये जिंदगी
...
गरम हवा के झोंके से झुलस गया है घर अपना
तन बदन को हम सब के जला कर गई ये जिंदगी
....
टूटा आशियाना यहाँ तेज चलती हवाओं से
रुला कर अब हमें  आठों  पहर  गई ये जिंदगी

रेखा जोशी

Monday 11 June 2018

शब्द


दिल की बात शब्दों  की ज़ुबानी लिखती हूँ
शब्द शब्द  चुन कर फिर कहानी लिखती हूँ
भर  आते   नयन   जज़्बातों  के  सैलाब  से
जब   खूबसूरत  याद  सुहानी    लिखती  हूँ

रेखा जोशी

Tuesday 5 June 2018

प्यार के नाम चलो आज इक जाम हो जाये

प्यार के नाम चलो आज इक जाम हो जाये
देखते  रहें  तुम्हें  सुबह  से  शाम  हो  जाये
उम्र भर चलें  सदा हम थामें  हाथों  में  हाथ
ख़ुदा  करे  ज़िंदगी  यूंही   तमाम   हो  जाये

रेखा जोशी