Friday 28 December 2018

है संघर्षरत यह जीवन

सुख दुख की लहरों पर अक्सर
लड़खड़ाती है जीवन नैया
काटना कठिन है जीवन सफर
है संघर्षरत यह जीवन
.
घिर घिर काले घन आते जब
प्रलय की आँधी से फिर तब
रह रह कर उठे बवंडर
ऊंची नीची लहरों से जूझते लड़ते
थक जाता है मानव अक्सर
बाधाओं से घिर जाये मानव तब
है संघर्षरत यह जीवन
.
चमक चमक कर नभ में जब
जिया धड़काती दामिनी
घबराना नहीं डरना भी नहीं
चीर कर घोर तूफानों को तब
बढ़ते रहना तुम निरंतर
पार बाधाओं को कर सारी  

मंजिल पानी है तुम्हें 

उस पार नैया ले जानी तुम्हें 

चलते जाना तुम अविचल
है संघर्षरत यह जीवन

रेखा जोशी

प्यार

हाँ  किया हमने भी प्यार, इंकार नहीं हैं
था  हमें  इंतज़ार  अब  इंतज़ार नहीं  हैं
बेवफा से दिल लगाया बहुत चोट खाई
दर्द  सीनें  में  छुपाया  पर  प्यार नहीं हैं

रेखा जोशी

Thursday 6 December 2018

छटा प्रकृति की तो मतवारी है

फ़ूलों  से  महकी अब क्यारी  है
अँगना खिली आज फुलवारी है
..
नाचते  झूम  झूम   मोर  बगिया
कुहुके   कोयल   डारी  डारी  है
..
रंगीन   तितली  उड़े  फूलों  पर
गुन गुन भँवरों की अब बारी है
..
ऊँची   ऊँची   पर्वत  शृंखलाएँ
छा  रही   घटा  कारी  कारी  है
..
है  मधुर  स्वर  में   गाते   झरनें
कल कल ध्वनि नदी की जारी है
...
अनुपम  रूप  है छाया चहुं  ओर
छटा  प्रकृति  की  तो मतवारी है

रेखा जोशी

Sunday 18 November 2018

बुझ गए आस के दीपक

बुझ गए आस के दीपक
खंडहर हुआ उम्मीद का महल
टूटी प्रीत की माला ऐसी
बिखर गया मोती मोती
रूठी मुझसे तकदीर मेरी
पल पल जीना हुआ दुश्वार
ग़मों का छाया इस कदर अंधेरा
नहीं दूर दूर तक
कोई  रोशनी की किरण
घुटेगा दम यहाँ अब मेरा
तन से प्राण निकलने तक

रेखा जोशी

Saturday 10 November 2018

छठ पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

छठ पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

कर सवार
सात घोड़ों के रथ पर
अपनी लालिमा से
दिवाकर ने रंग दिया आसमान

चलो सखी नदिया के नीर
करने प्रणाम
मिला जिससे हमें जीवन दान

आओ दें अर्ध्य 
सूरज की
प्रथम मचलती रश्मियों को
लहराती झूमती
तरंगिनी की लहरों पर
चलो सखी नदिया के नीर
थाली सजा के पूजने
सूरज के रथ को
प्रणेता जीवन का
जिसके
आगमन से हुई आलौकिक धरा
जीवन दाता हमारा
है उससे ही तन में प्राण

चलो सखी नदिया के नीर
करने प्रणाम
मिला जिससे हमें जीवन दान

रेखा जोशी

Friday 2 November 2018

न्याय

है हल्ला बोलता दुनिया में अन्याय
आँखों  पे  पट्टी  बांधे  खड़ा  न्याय
घिस जाते  जूते  न्याय की आस में
न्याय मिले जल्दी नहीं कोई उपाय

रेखा जोशी

Monday 29 October 2018

कभी तो मुस्कुराओ  तुम

1222 1222

कभी तो गुनगुनाओ तुम
कभी तो मुस्कुराओ  तुम
.
रहो गुमसुम न तुम हरदम
पिया अब गीत गाओ तुम
.
नहीं  अब  ज़िंदगी   तन्हा
हमारे  पास  आओ   तुम
.
खिली उपवन कली साजन
उसे  अपना  बनाओ   तुम
.
हमारी    ज़िंदगी    तुमसे
इसे प्रियतम सजाओ तुम

रेखा जोशी

Friday 26 October 2018

करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं


करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं

सजधज कर सजना आज सोलह सिंगार करूँ
माथे सजा बिंदिया चाँद का दीदार करूँ
.
तुमसे ही  है प्रियतम रंग जीवन में मेरे
प्रार्थना प्रभु से तेरे लिए बार बार करूँ
.
खुशनसीब हूँ जिंदगी में तुम आए मेरे
सपने अपने पिया तुमसे ही साकार करूँ
.
जन्म जन्‍म में साथी रहों तुम साजन मेरे
हर जन्‍म में पिया तुमसे ही सदा प्यार करूँ
.
खुशियाँ सदा मिलती ही रहें जीवन में तुम्हें
वारी जाऊँ जीवन यह तुम पर निसार करूँ

रेखा जोशी

Wednesday 24 October 2018

खुशियाँ लेकर आई दिवाली


फुलझड़ी  से निकले अंगारे
हवा में  ज्यों नाचते  सितारे
खुशियाँ लेकर आई दिवाली
खिले बच्चों  के चेहरे  प्यारे

रेखा जोशी

Sunday 30 September 2018

Vastu tips

आपके घर का ब्र‍हम स्थान (Vastu tips)

आपके घर के केंद्रीय स्थान को ब्र‍हम स्थान कहते हैं
1.इस स्थान को खुला या यहाँ पर हल्का सामान रखना चाहिए ,भारी वस्तुएँ कदापि नहीं रखनी चाहिए l
2.यहां पर सीढ़ियों, बीम आदि का कदापि निर्माण नहीं करना चाहिए l
3.इसके नीचे बोरिंग या सेप्टिक टैंक नहीं होना चाहिए
4.इस स्‍थान पर रसोई घर नहीं होना चाहिए
5.इस स्‍थान पर पूजा कर सकते हैं

रेखा जोशी



Saturday 29 September 2018

भूख लगी है दादी अम्मा

दादी अम्मा दादी अम्मा
भूख लगी है दादी अम्मा
कुछ भी बना कर खिलाओ
.
झटपट मैगी बनाओ
स्माइली फ्रेंच फराइस खिलाओ
पेट में चूहे कूद रहे हैं
भूख शांत उनकी कराओ
भूख लगी है दादी अम्मा
कुछ भी बना कर खिलाओ
.
दादी की प्यारी प्यारी
छोटी छोटी नन्ही परियों.
अभी खिलाती हूँ तुमको
बना कर
हैल्दी स्वादिष्ट पौष्टिक व्यंजन
जंक फूड से दूर रहो
खूब खाओ सब्जियाँ फल
भोजन भर पेट करो
केला सेब आम खाओ
पेट के चूहों को दूर भगाओ
अपनी अच्छी सेहत बनाओ
.
दादी अम्मा दादी अम्मा
भूख लगी है दादी अम्मा
कुछ भी बना कर खिलाओ

रेखा जोशी

Friday 28 September 2018

गाँव की सोंधी महक


गाँव से दूर शहर तक का यह सफर
ऊँची  इमारतों  का   बना  है  नगर
छूट  गई  गाँव की  सोंधी सी महक
प्रदूषित हवा में  है  घुला यहाँ ज़हर

रेखा जोशी

Thursday 27 September 2018

पिरोए  मोती प्यार के धागे

पिरोए  मोती प्यार के धागे
दिल में मुहब्बत प्रीत  है जागे
याद रहे  ये जश्न ए अल्फाज़
रहे पर्पल  पेन  सबसे  आगे

Monday 24 September 2018

संस्मरण


संस्मरण

बात लगभग बीस वर्ष पहले की है,जून का महीना था और चिलचिलाती धूप, ऐसे में घर से बाहर निकलना मुश्किल सा हो गया था l एक दिन,भरी दोपहर के समय मै  अपनी पड़ोसन के घर गई और उनके यहाँ मैने एक छोटा सा  सुसज्जित  पुस्तकालय देखा,जिसमे करीने से रखी हुई अनेक पुस्तकें थी   |उस अमूल्य निधि को देखते ही मेरे तन मन में प्रसन्नता की एक लहर दौड़ने लगी ,''आंटी आपके पास तो बहुत सी पुस्तके है ,क्या आपने यह सारी पढ़ रखी है,''मेरे  पूछने पर उन्होंने कहा,''नही बेटा ,मुझे पढने का शौंक है ,जहां से भी मुझे कोई अच्छी पुस्तक मिलती है मै खरीद लेती हूँ और जब भी मुझे समय मिलता है ,मै उसे पढ़ लेती हूँ ,पुस्तके पढने की तो कोई उम्र नही होती न ,दिल भी लगा रहता है और कुछ न कुछ नया सीखने को भी मिलता  हैl
मुझे महात्मा गांधी की  लिखी पंक्तियाँ याद आ गयी ,'' अच्छी पुस्तके मन के लिए साबुन का काम करती है ,''हमारा आचरण तो शुद्ध होता ही है ,हमारे चरित्र का भी निर्माण होने लगता है ,कोरा उपदेश या प्रवचन किसी को इतना प्रभावित नही कर पाते जितना अध्ययन या मनन करने से हम प्रभावित होते है l तब से मैं अपनी पड़ोसन आंटी जी के घर के प्रकाश पुँज रूपी पुस्तकालय  में से हर रोज पुस्तक रूपी अनमोल रत्न अपने घर लेकर आने लगी और  लम्बी दोपहर में उन्हे पढ़ना शुरू कर दिया, पुस्तकें पढ़ने की आदत तब से आज तक  बरकरार है l

रेखा जोशी

Wednesday 19 September 2018

छुप गया न जाने कहाँ


छुप गया
न जाने कहाँ
वोह
भोला सा बचपन
ईंटों और पत्थरों में
खो गया कहीं
पढ़ने लिखने की उम्र में
श्रम का बोझ
क्यों आन पड़ा
नन्हें नन्हें हाथों पर
हथोड़े की  ठक ठक से
है टूट गई जिंदगी
सुकोमल हाथों पर
पड़ गये अनगिनत छाले
गरीबी और लाचारी के मारे
यूँ ही अपना जीवन बिताते
यूँ ही अपना जीवन बिताते

रेखा जोशी

जब से छूटा बाबुल का अंगना मिला न कोई अपना


जलता रहा चूल्हा
सुलगती रही
लकड़ियाँ
पीर हिया की मेरे
कोई न जाने
जब से
छूटा बाबुल का अंगना
मिला न कोई अपना

धुआँ धुआँ चहुं ओर
घूँघट की आढ़ में
दिखा न किसी को
आँखों से बहता पानी
बाते रही
हृदय में अपनी
जब से
छूटा बाबुल का अंगना
मिला न कोई अपना

भीतर
जले अंगार
सिक रही रोटियाँ
जाया ने जना
किसलिए मुझे
बापू की लाडली का
बचपन खोया
जब से
छूटा बाबुल का अंगना
मिला न कोई अपना

रेखा जोशी

Friday 14 September 2018

हिंदी हमारी शान


कैसे करूँ यशगान
हिंदी हमारी शान
.
समेटे स्वयं में ज्ञान
प्रेमचंद की कहानि‍यां
महाकवि निराला जी की
निराली रचनाएँ
है मंत्र मुग्ध कर देती
जयशंकर प्रसाद जी की
अनुपम रचनाएँ कविताएँ
किस किस का नाम लिखूँ
अनमोल रतन है सारे

कैसे करूँ यशगान
हिंदी हमारी शान

सहज सरल भाषा यह
अनुपम अलंकृत शब्द इसके
सीधे  उतरते  जो दिल में हमारे
है सुन्दर अप्रतिम
यह मातृभाषा हमारी
है हमारा स्वाभिमान

कैसे करूँ यशगान
हिंदी हमारी शान

महादेवी वर्मा, पंत, दिनकर
है सभी जगमगाते सितारे
वंदन अभिनंदन करते हम
चमकेंगे  युगों युगों तक
ज्यूँ अंबर में चंदा तारे
राष्ट्र भाषा का कब
मिलेगा इसे मान सम्मान

कैसे करूँ यशगान
हिंदी हमारी शान

रेखा जोशी

माँ  भारती


पूजा की थाली  से करें आरती
तेरी  रक्षा के लिए  माँ  भारती
...
चलते चलें आगे आगे  हम सदा
दुश्मन से नहीं  डरते  माँ भारती
..
रुकें नहीं बढ़ते हुए कदम अपने
वार  देंगे   सर  तुझपे माँ भारती
..
वीर  सेनानी है खड़े सीमा पर
सर्दी  गर्मी  झेलते  माँ  भारती
...
परवाह नहीं अंजाम की हम करें
वतन के लिए मर मिटे माँ भारती

रेखा जोशी

Thursday 13 September 2018

हिंदी दिवस


सभी  मित्रजनों को हिन्दी दिवस की ढेर सारी बधाईयां

जान अपनी
पहचान अपनी
है हिंदी भाषा
.................
खाते कसम
हिंदी दिवस पर
है अपनाना
.................
हिंदी हमारी
मिले सम्मान इसे
है मातृ भाषा
.................
शान यह है
भारत हमारे की
राष्ट्र की भाषा
.................
मित्र जनों को
हिंदी दिवस पर
मेरी बधाई

रेखा जोशी

Thursday 30 August 2018

नदिया

लहरें गुनगुनाती किनारों के बीच
मचलती लहराती किनारों के बीच
.
हिमालय से निकली कल कल मधुर स्वर
है नाचती गाती किनारों के बीच
...
है बहती नदिया अठखेलियाँ करती 
सरिता खिलखिलाती किनारों के बीच
.
लहर लहर बेताब मिलने सागर से
नदी शोर मचाती किनारों के बीच
...
नदिया सी बहती है यह जीवन धारा
है जीना सिखाती किनारों के बीच

रेखा जोशी

मुक्तक


आँखों  से छलकता तेरे  प्यार है 
लब से करते फिर कैसे  इन्कार है 
चंचल  नयन  ढूंढें  तुम्हें यहाँ वहाँ
कर  रहे  तुम्हारा  हम  इंतज़ार  है

रेखा जोशी

Tuesday 28 August 2018

दौड़ी आई राधिका (गीत)

दौड़ी आई राधिका छोड़ सब काम धाम
जादू कर डाला तेरी बांसुरी ने श्याम
.
भूल गई सुध बुध सुन मुरली की धुन
खिची चली आई बजे पायल रुनझुन
छेड़ दी कैसी तूने  ये तान  मनमोहन
बावरी भई प्रीत होंठो पे तेरा नाम

दौड़ी आई राधिका..
.
आँख मिचौली यूँ मत खेलो भगवन
जाओगे कहाँ छोड़ मोरा ये मन
रूप सलोना सजे पीताम्बर तन
वारी जाये कान्हा पर राधा सुबह शाम
.
दौड़ी आई राधिका छोड़ सब काम धाम
जादू कर डाला तेरी बांसुरी ने श्याम

रेखा जोशी

क्षणिकाएँ

क्षणिकाएँ
1
ओ पंछी छोड़ पिंजरा
भर ले उड़ान
नील गगन में
सांस ले तू
उन्मुक्त खुली हवा में
तोड़ बंधन
फैला कर पँख
ज़मीं से अम्बर
छू लेना तुम
अनछुई ऊँचाईयाँ
………………
2
बहता पानी नदिया का
चलना नाम जीवन का
बहता चल धारा संग
तुम में रवानी
है हवा सी
खिल उठें वन उपवन
महकने लगी बगिया
रुकना नही चलता चल
................
3
खिलती है
कलियाँ
महकती है
बगिया
बिखरती रहे
महक
दोस्ती की
बनी रहे दोस्ती
हमारी सदा
रेखा जोशी

Wednesday 22 August 2018

उड़ते पंछी

उड़ते पंछी
नील गगन पर
उन्मुक्त इनकी उड़ान
.
भरोसा है अपने
पंखों पर
हौंसलों में है जान
थकते नहीं रुकते नहीं
लड़ते आँधियों तूफानों से
पा लेते हैं मंज़िल अपनी
नहीं मानते कभी हार
.
मिल कर उड़ते
साथी संगी
देते इक दूजे का साथ
चहक चहक
खुशियाँ बांटे
गीत मधुर स्वर में गाते
..
उड़ते पंछी
नील गगन पर
उन्मुक्त इनकी उड़ान

रेखा जोशी

राखी की हार्दिक शुभकामनाएं


भाई बहन के प्यार का छोटा सा संसार
छोटे  से संसार में छुपा है अनुपम प्यार
रक्षा भैया तुम करना माथे तिलक सजाये
राखी बांध कलाई पर बहना करे दुलार

रेखा जोशी

Tuesday 21 August 2018

आओ बनें इक दूजे के सहारे


पुष्पित उपवन यहाँ सुन्दर नज़ारे
आओ  बनें इक  दूजे  के  सहारे
तर्क वितर्क में आखिर क्या है रखा
हंसते    खेलते    जिंदगी   गुज़ारें

रेखा जोशी

Friday 10 August 2018

बंजारे हम बंजारे

घूम घूम
जीवन है गुज़ारे
बंजारे  हम   बंजारे

गर्मी हो या हो सर्दी
चलते जाना चलते जाना
नहीं है कोई ठौर ठिकाना
मस्ती में ही जीवन बिताना
ओढ़े रात को चंदा तारे

घूम घूम
जीवन है गुज़ारे
बंजारे  हम   बंजारे

धराअपनी अपना गगन
अपनी दुनिया रहते मगन
मिल बैठ सभी खाना खाना
गीत मिलजुल कर है गाना
रहते हम मिलजुल कर सारे

घूम घूम
जीवन है गुज़ारे
बंजारे  हम   बंजारे

रेखा जोशी

Wednesday 8 August 2018

मुक्तक

दो दिन की है ज़िन्दगी पूरे अरमान कीजिए
रंग रूप का अपने न कभी भी गुमान कीजिए
रहें सदा हर्षित मनाएँ उत्सव सी जिंदगी
पल दो पल यहाँ पर कभी तो आराम कीजिए
रेखा जोशी

मुक्तक


मुक्तक

है  बोल सत्य के  कड़वे लगते जीवन  में
सत्य की  राह पर जाना  चलते जीवन में
झूठ दो दिन चले यहां अंत सत्य ही जीते
नहीं झूठ से  सांठ  गांठ   करते जीवन में

रेखा जोशी 

सावन पर गीत

गीत
झूला झूले सखियाँ पिया तोहे पुकारूँ
उड़ उड़ जाये चुनरी राह तेरी निहारूँ
……
है तीज का त्यौहार बाबुल तोरे अँगना
मेहँदी रचे हाथ नाम के तोरे सजना
खन खन चूड़ी खनके माथे बिंदिया सजाऊँ
झूला झूले सखियाँ पिया तोहे पुकारूँ
उड़ उड़ जाये चुनरी राह तेरी निहारूँ
…...
न लागे मोरा जिया तेरे बिन ओ सैयाँ
पकड़ो मोरी बैयाँ लूँगी सजन बलैयाँ
छन छन पायल बाजे रूठा बलम मनाऊँ
झूला झूले सखियाँ पिया तोहे पुकारूँ
उड़ उड़ जाये चुनरी राह तेरी निहारूँ
……
रिम झिम बरसे पानी ठंडी पड़े फुहारें
धड़के मोरा जियरा साजन तुम्हे पुकारे
संग चलूँ मै तेरे सातों वचन निभाऊँ
झूला झूले सखियाँ पिया तोहे पुकारूँ
उड़ उड़ जाये चुनरी राह तेरी निहारूँ

रेखा जोशी

Friday 3 August 2018

यूँ ही आता है ख्याल कभी कभी


यूँ ही आता है ख्याल कभी कभी
उर  में उठे ये  सवाल कभी कभी
गर  तुम  न होते  कैसे  जीते  हम
कौन पूछता फिर हाल कभी कभी
रेखा जोशी

Saturday 28 July 2018

हर घड़ी खुशियाँ मनाना सीख लो

प्यार के नाम चलो आज इक जाम हो जाये
देखते  रहें  तुम्हें  सुबह  से  शाम  हो  जाये
उम्र भर चलें  सदा हम थामें  हाथों  में  हाथ
ख़ुदा  करे  ज़िंदगी  यूंही   तमाम   हो  जाये
...
ज़िन्दगी में मुस्कुराना सीख लो
गीत अब तुम गुनगुनाना सीख लो
दर्द से यह जिन्दगी माना भरी
हर घड़ी खुशियाँ मनाना सीख लो

रेखा जोशी

Wednesday 25 July 2018

छलकते रहे नयन बहते रहे आँसू

छलकते रहे नयन
बहते रहे आँसू
खाते रहे कसमे हम
ज़िन्दगी भर
देते रहे दुहाई हम
अपनी वफ़ा की
लेकिन
गहराती शक की
खाईयों में
मिट गई उल्फत मेरी

देख उनको
कभी
थी बजा करती दिल मे
शहनाईयां
पर मिली ज़िन्दगी में हमे
रुसवाईयाँ
लेकिन गहराती रही
शक की खाईयां
वक्त चलता रहा
फासले बढ़ते रहे
दूर दिल होते रहे
पास रहते हुये भी  उनसे
जुदा हो गये
हम आजकल

रेखा जोशी

प्रेम ही है मधुबन

अजब पहेली
है यह जिंदगी हमारी
जितना भी इसे सुलझाए
उतनी ही उलझती जाये
टेढ़ी मे मेढ़ी राहें इसकी
हर मोड़ पर इसके 
जिया घबराये
न जाने
क्या लिखा है आगे
तकदीर में हमारी
कर भरोसा खुद पर अपने
राह पकड़ लो प्रेम की
जला कर दीपक नेह का
फैला उजियारा पथ पर
प्रेम ही है जीवन
प्रेम ही है मधुबन
प्रेम गीत
प्रेम ही है संगीत
डूब कर प्रेम सागर में
लहर लहर कर प्रेममय

रेखा जोशी

Friday 20 July 2018

शत शत नमन नीरज जी को


हस्ती थी वह दुनिया में इक जानी मानी
गीतों  में   बहती  सदा  प्रेम  की  रवानी
सो गये चिरनिन्द्रा में  चले  गये  वह  दूर
लिख गये नीरज जी जीवन  की कहानी

रेखा जोशी

Thursday 19 July 2018

बाढ़

ऊफ यह बाढ़
रह जाती है अखबार की
इक खबर बन कर
या दिखते टेलीविजन पर
डूबे हुए घर
चहुं ओर जलथल
है पढ़ते देखते हम
बाढ़ से पीड़ित लोगों की
बेबसी लाचारी
फिर फेंक अखबार को एक ओर
टेलीविजन बंद कर
है भूल जाते उनकी व्‍यथा
नहीं महसूस कर पाते हम
उनकी भूख उनकी पीड़ा
डूबे हुए घरों में तैरती गंदगी
कितने असंवेदनशील
हो जाते हैं हम
बस छोड देते उनको
हाल पर उनके
इक आम खबर की तरह

रेखा जोशी

बुत हूँ मैं

सिर पर बैठे
चील, चिड़िया या कबूतर
क्या अंतर पड़ता है मुझे
मै तो बुत हूँ इक
नहीं उड़ा सकता किसी को भी
टुकर टुकर रहता हूँ देखता

सोचता हूँ आखिर
क्यों निर्माण किया मेरा
नाचते कूदते कभी वह सिर पर मेरे
झेलता हूँ कभी गंदगी भी उनकी
और मै बस
टुकर टुकर रहता हूँ देखता

आंधी के थपेड़े खाता
बारिश में भीग जाता
सर्दी हो या गर्मी
चाहे तपती हवाएं चलें
मुझे तो है यहीं खड़े रहना
और मैं सब
टुकर टुकर रहता हूँ देखता

रेखा जोशी

Wednesday 18 July 2018

मुहब्बत की राहें


प्रियतम
आओ  चलें हम
सागर किनारे
कितनी ख़ूबसूरत हैं देखो
यह मुहब्बत की राहें
बाहें फैलाये हमे
है  बुला  रही
और हम उन पर
चलते ही  रहें निरंतर

दुनिया से दूर
खोये रहे हम
इक  दूजे में  सदा
ज़िंदगी भर
थामें इक  दूजे का हाथ
कदम से कदम मिला कर
चलते ही  रहें निरंतर

भूल कर
दुनिया के  सारे गम
बस  मै और तुम
निभाते रहें साथ
मंजिल मिले न मिले
है कोई नही  गम
बस रहें महकती सदा
प्रेम की राहें
और हम
चलते ही  रहें निरंतर

 रेखा जोशी

Sunday 15 July 2018

बरसात

आसमां से आज फिर जम कर बरसात हुईं
दिल  मचलता  रहा  तुमसे न मुलाकात हुई
रिमझिम  बरसी  बूंदें  है  नहाया  तन बदन
अब  के सावन पिया न  जाने क्या बात हुई

रेखा जोशी

Thursday 12 July 2018

खुशियाँ ही खुशियाँ

दीपक से
मैंने जलना सीखा
गिरतों को मैंने उठाया
फूलों के संग संग
मुस्कुराना सीखा
गुन गुन करते
भँवरों से
गुनगुनाना सीखा
रंग बिरंगी चाहतें मेरी
आसमां छूने को मचलती
देख रंगीन इंद्रधनुष को
बादल में
आशियाना बनाती
कल्पनाओं के
महल फिर सजाती
हवाओं संग खेलती
बादल पकड़ती
बजाती हूँ साज़ प्रेम का
मै सबका मन बहलाती
गले लगा कर
प्रेम से सबको
खुशियाँ ही खुशियाँ
बांटती

रेखा जोशी

Wednesday 11 July 2018

ओ चाँद पाना चाहती हूँ तुम्हें


ओ चाँद
पाना चाहती हूँ तुम्हें
जैसे ही करीब आती हूँ तेरे
उतने ही हो जाते हो
तुम दूर बहुत दूर  मुझसे
..
मै तो
हर यतन कर हारी चंदा
उपर भी  आ  गई  धरा  से
जितना पास आती हूँ  मैं  तेरे
उतने ही हो जाते हो
तुम दूर बहुत  दूर  मुझसे
.
बढ़ती जा रही
तुम्हें पाने की चाहत
और तुम
बढ़ाते ही जा रहे हो  मुझसे  दूरियाँ
आ जाओ  पहलू  में  मेरे
मत जाओ चंदा
तुम दूर बहुत दूर  मुझसे

रेखा जोशी

Wednesday 4 July 2018


ढूँढ   रहे   लगा   तेरी   गलियों    के   फेरे
पड़   गये    छाले   अब   तो  पैरों   में  मेरे
सूखे  नयन   के  आँसू    भी  याद  में  पिया
अस्त   व्यस्त   हुई   है  जिंदगी   बिन   तेरे

रेखा जोशी

 

Tuesday 3 July 2018

माना दर्द भरा संसार यह ज़िंदगी


माना दर्द भरा संसार यह ज़िंदगी
लेकिन फिर भी है दमदार यह ज़िंदगी
,
आंसू  बहते  कहीं  मनाते जश्न  यहां
सुख दुख देती हमें अपार यह ज़िंदगी
,
रूप जीवन का बदल रहा पल पल यहां
लेकर नव रूप करे सिंगार यह जिंदगी
,
ढलती शाम डूबे सूरज नित धरा पर
आगमन भोर का आधार यह ज़िंदगी
,
चाहे मिले ग़म खुशियां मिली है हज़ार
हर्ष में खिलता हुआ प्यार यह ज़िंदगी

रेखा जोशी

शाम गमगीन साजन मिली क्या करें

शाम गमगीन साजन मिली क्या करें
रात में शाम अब यह  ढली क्या करें
..
छोड़ हम को अकेले चले तुम कहाँ
देख कर आज सूनी गली क्या करें
....
साथ दोनों चले ज़िन्दगी में सजन
साथ छूटा मची खलबली क्या करें
....
फूल खिलते नहीं  प्यार में अब यहाँ
बाग़ में आज खिलती कली क्या करें
.....
दर्द में डूब कर क्या हमें है मिला
ज़िन्दगी जो नही अब खिली क्या करें

रेखा जोशी

Friday 29 June 2018


महिमा प्रभु की सदा मै गाती  रहूँ
शीश  अपना सदा मै  नवाती  रहूँ
जन जन  में  देखूँ  रूप मै  तुम्हारा
ख़ुशी सबके जीवन  में  लाती रहूँ
,

 है खिल खिल गये उपवन महकाते संसार
 फूलों  से  लदे  गुच्छे   लहराते  डार   डार
सज रही रँग बिरँगी पुष्पित सुंदर  वाटिका
भँवरें  अब   पुष्पों  पर  मंडराते  बार  बार

रेखा जोशी

जीवन नैया

झूलती सुख दुख की लहरों पर
जीवन नैया

जाना है उस पार
उदंड लहरों में डोल रही
जीवन नैया

नहीं छोड़ सकते इसे
हवाओं के सहारे
उठानी होगी खुद ही
पतवार हाथों में
कर्म करने से ही होगी पार
जीवन नैया

है भाग्य हाथों में तेरे
कर्मों से ही बनेगा नसीब तेरा
उठो संवार लो अपनी तकदीर
जब जागो तभी सवेरा
नहीं तो बस
अंधेरा ही अंधेरा
संभल जाओ
नहीं तो डूब जाये गी
जीवन नैया

रेखा जोशी

Tuesday 26 June 2018

अस्त व्यस्त हुई है जिंदगी बिन तेरे


ढूँढ   रहे   लगा   तेरी   गलियों    के   फेरे
पड़   गये    छाले   अब   तो  पैरों   में  मेरे
आ भी जाओ तुम अब तो थक चुके हैं हम
अस्त   व्यस्त   हुई   है  जिंदगी   बिन   तेरे

रेखा जोशी

 

रेखा जोशी

Monday 25 June 2018

गर्मी से  हुआ  है  हाल बेहाल

आँखे लगी अंबर पर कबसे है
बूँद  बूँद को धरा अब तरसे है
गर्मी से  हुआ  है  हाल बेहाल
आये  बदरा  पर  नहीं बरसे है

रेखा जोशी

Sunday 24 June 2018

बाइस्कोप

बाइस्कोप

आज रितु ने अपने पति सोनू एवं बच्चों टीनू और रिंकू संग खूब मज़े किए, मेले में बच्चों के लिए खिलौने खरीदे और अपने लिए सुंदर रंग बिरंगी चूड़ियाँ ली, चलते चलते सब काफी थक गए थे, तभी सोनू ने बच्चों को बाइस्कोप दिखाया, "यह क्या है रिंकू ने पूछा" l, "बेटा इसे बाइस्कोप कहते हैं, जब मै छोटा था तो इसमें पिक्चर देखा करता था, बहुत मज़ा आता था, चलो आज फिर से इसमें पिक्चर देखते हैं," सोनू अपने दोनों बच्चों के साथ  बाइस्कोप के अंदर की तसवीरें देखने लगा l बच्चों की तरह सोनू भी जोर जोर से ताली बजा रहा था l पिक्चर खत्म होने के बाद रितु ने अपने पति की ओर देखा, उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी, बिल्कुल टीनू की आंखों की तरह, बाइस्कोप देख  सोनू के चेहरे पर एक खूबसूरत बच्चा झाँक रहा था l

रेखा जोशी

Tuesday 12 June 2018

इक हवा के झोंके सी गुज़र गई ये जिंदगी


गीतिका

इक हवा के झोंके सी गुज़र गई ये जिंदगी
देखते देखते रेत सी बिखर गई ये जिंदगी
..
प्यार का आँचल भी लहराया था कभी जीवन में
दामन छुड़ा के प्यार भरा किधर गई ये जिंदगी
..
उजड़ा है यहाँ चमन न फूल है न बगिया गुलजार
जाने कहाँ पर आ कर अब ठहर गईं ये जिंदगी
...
गरम हवा के झोंके से झुलस गया है घर अपना
तन बदन को हम सब के जला कर गई ये जिंदगी
....
टूटा आशियाना यहाँ तेज चलती हवाओं से
रुला कर अब हमें  आठों  पहर  गई ये जिंदगी

रेखा जोशी

Monday 11 June 2018

शब्द


दिल की बात शब्दों  की ज़ुबानी लिखती हूँ
शब्द शब्द  चुन कर फिर कहानी लिखती हूँ
भर  आते   नयन   जज़्बातों  के  सैलाब  से
जब   खूबसूरत  याद  सुहानी    लिखती  हूँ

रेखा जोशी

Tuesday 5 June 2018

प्यार के नाम चलो आज इक जाम हो जाये

प्यार के नाम चलो आज इक जाम हो जाये
देखते  रहें  तुम्हें  सुबह  से  शाम  हो  जाये
उम्र भर चलें  सदा हम थामें  हाथों  में  हाथ
ख़ुदा  करे  ज़िंदगी  यूंही   तमाम   हो  जाये

रेखा जोशी

Sunday 27 May 2018

लो  गर्मियों  की  छुट्टियाँ  आईं


लो  गर्मियों  की  छुट्टियाँ  आईं

लो  गर्मियों  की  छुट्टियाँ  आईं
छुट्टियाँ  आईं    छुट्टियाँ    आईं
.....
मौज मस्ती के अब  दिन हैं आए
खेलना   कूदना  अब   है   भाए
दिन भर  घर में  हम  नाचें   गायें
पढ़ने   से    हमने    छुट्टी    पाई 
लो   गर्मियों   की   छुट्टियाँ  आईं
....
दिन भर साइकिल हम चलाएँ गे
घर  बाहर  उधम  हम  मचाएँ गे
मम्मी  पापा  की   डांट  खाएँ गे
सभी ओर अब  है खुशियाँ  छाई
लो   गर्मियों   की   छुट्टियाँ  आईं

रेखा जोशी

Saturday 26 May 2018

दोहे

दोहे

सजना को पाती लिखूँ,भर नैनों में नीर
पगला मोरा मन भया, जियरा हुआ अधीर
...
घर आये मोरे पिया, हुई धूप में छाँव
माथे पे टीका सजे, पायल छनके पाँव

रेखा जोशी 

Wednesday 16 May 2018

यह गली प्यार की

सज गई सजना
अभिवादन तेरा करने के लिए
यह गली प्यार की

पीले सुनहरी
अमलतास के फूलो से सजा
मनमोहक गलियारा
कर रहा इंतज़ार तेरे आने का
बेचैन है राहें यहाँ चूमने को
कदम तेरे
महक रही हैंयहाँ फिज़ाएँ
तेरे अभिनंदन के लिए
बुला रही तुम्हें सजना
यह गली प्यार की

गीत मधुर गा रहे
पवन के नर्म झोंकों से
लहराते शाखाओं पर झूलते
अमलतास के पीले पीले फूल
बेताब हो रही
सुनने को रूनझुन
तेरी  पायल की
यह गली प्यार की

न जाने कब ख़त्म होंगी
घड़ियां इंतज़ार की
पुकारती जा रही तुम्हें
यह गली प्यार की

रेख जोशी

Tuesday 15 May 2018

ढूंढे राधिका कहाँ छुपे नटखट कन्हाई


ढूंढे राधिका कहाँ छुपे नटखट कन्हाई
बहुत सताया दरस अपना दिखला हरजाई
हुई बावरी प्यार में तेरे बन बन डोले
प्यार में कान्हा के सुध बुध अपनी बिसराई

रेखा जोशी