Sunday 27 May 2018

लो  गर्मियों  की  छुट्टियाँ  आईं


लो  गर्मियों  की  छुट्टियाँ  आईं

लो  गर्मियों  की  छुट्टियाँ  आईं
छुट्टियाँ  आईं    छुट्टियाँ    आईं
.....
मौज मस्ती के अब  दिन हैं आए
खेलना   कूदना  अब   है   भाए
दिन भर  घर में  हम  नाचें   गायें
पढ़ने   से    हमने    छुट्टी    पाई 
लो   गर्मियों   की   छुट्टियाँ  आईं
....
दिन भर साइकिल हम चलाएँ गे
घर  बाहर  उधम  हम  मचाएँ गे
मम्मी  पापा  की   डांट  खाएँ गे
सभी ओर अब  है खुशियाँ  छाई
लो   गर्मियों   की   छुट्टियाँ  आईं

रेखा जोशी

Saturday 26 May 2018

दोहे

दोहे

सजना को पाती लिखूँ,भर नैनों में नीर
पगला मोरा मन भया, जियरा हुआ अधीर
...
घर आये मोरे पिया, हुई धूप में छाँव
माथे पे टीका सजे, पायल छनके पाँव

रेखा जोशी 

Wednesday 16 May 2018

यह गली प्यार की

सज गई सजना
अभिवादन तेरा करने के लिए
यह गली प्यार की

पीले सुनहरी
अमलतास के फूलो से सजा
मनमोहक गलियारा
कर रहा इंतज़ार तेरे आने का
बेचैन है राहें यहाँ चूमने को
कदम तेरे
महक रही हैंयहाँ फिज़ाएँ
तेरे अभिनंदन के लिए
बुला रही तुम्हें सजना
यह गली प्यार की

गीत मधुर गा रहे
पवन के नर्म झोंकों से
लहराते शाखाओं पर झूलते
अमलतास के पीले पीले फूल
बेताब हो रही
सुनने को रूनझुन
तेरी  पायल की
यह गली प्यार की

न जाने कब ख़त्म होंगी
घड़ियां इंतज़ार की
पुकारती जा रही तुम्हें
यह गली प्यार की

रेख जोशी

Tuesday 15 May 2018

ढूंढे राधिका कहाँ छुपे नटखट कन्हाई


ढूंढे राधिका कहाँ छुपे नटखट कन्हाई
बहुत सताया दरस अपना दिखला हरजाई
हुई बावरी प्यार में तेरे बन बन डोले
प्यार में कान्हा के सुध बुध अपनी बिसराई

रेखा जोशी

Sunday 13 May 2018

गर्मी की छुट्टियाँ

 
अहा बच्चों गर्मी की छुट्टियाँ आ रही हैं, वाह मौज मस्ती के दिन आने वाले हैं, गर्मी की छुट्टी का मतलब भारी भरकम बस्ते से छुट्टी, सारा दिन घर में धमा-चौकड़ी और शोर मचाना,मज़ा आ जाएगा, यही सोच रहे हो न बच्चों l हाँ बिल्कुल सही सोच रहे हो, लेकिन आप सब को तो समय की कीमत का पता है न, गुज़रा हुआ वक्त वापिस नहीं आता, इसलिए सारा दिन खेलकूद में वक्त बिताना ठीक नहीं है, खेलकूद के साथ साथ पढ़ना भी आवश्यक है, इसलिए समय का सदुपयोग भी जरूरी होता है l कितना ही अच्छा है कि अगर हम अपनी  छुट्टियों का  एक अच्छा सा टाइम टेबल बना कर उसके अनुसार चलें, खेलकूद धमा चौकड़ी के साथ साथ अपने स्कूल के काम भी करें, जो काम कक्षा में कर  चुके हैं उसका अभ्यास भी कर लें l
आप इन छुट्टियों में अपनी कोई होब्बी भी विकसित कर सकते हैं, हो सकता  है कुछ दिनों के लिये तुम्हारे मम्मी पापा तुम्हें कहीं घुमाने ले जाएं,  किसी हिल स्टेशन पर या तुम्हारी मम्मी तुम्हें नानी के घर ले जाए, ठीक है कभी-कभी स्थान परिवर्तन से  नई ऊर्जा मिलती है, इसलिए सब कुछ ध्यान में रखते हुए हमे छुट्टियों का सही ढंग से सदुपयोग करना चाहिए  न कि सारा दिन सिर्फ खेलकूद में ही अपनी सारी छुट्टियां व्यर्थ ही बर्बाद कर देनी चाहिए l

 

Friday 11 May 2018

है बरकत मां के हाथों में


है बरकत मां के हाथों में
भर देती अपने बच्चों की झोली
खुशियों से
रह जाती सिमट कर दुनिया सारी
उसकी अपने बच्चों में
करती व्रत अपने परिवार के
कल्याण के लिए
चाहती सदा उन्नति उनकी
लेकिन अक्सर नहीं समझ पाते
बच्चे मां के प्यार को
जो चाहती सदा भलाई उनकी
नहीं देखा भगवान को कभी
लेकिन रहता
सदा वह संग तुम्हारे
धर कर रूप मां का
मां ही है ईश्वर का रूप
सदा करो सम्मान उसका
सदा करो सम्मान उसका

रेखा जोशी

Tuesday 8 May 2018

मर रही संतान तेरी अपने बंधुजनों से

समझ सकती पीड़ा तुम्हारी
खून के प्यासे
दो भाईयों को देख कर
तिलमिला उठी दर्द से
यह कोख मेरी माँ हूँ न
रचना जो की उनकी
रचयिता जो तुम हो
संपूर्ण जग के
महसूस कर रही तड़प तुम्हारे मन की
क्या गुज़रती होगी सीने में तुम्हारे
नाम तेरा ले कर जब लड़ते बच्चे तेरे
धर्म के नाम
देख लाल होती धरा
धमाकों की गूँज से
कालिमा पुत गई नील गगन पर
मर रही संतान तेरी अपने बंधुजनों से
दिखा के शक्ति प्रेम की हे जगदम्बे
मिटा दे वो घृणा कालिमा लिए हुए
सांस सुख की ले सकें
फिर नीले अम्बर तले
पोंछ दो वो आँसू खून बन जो टपक रहे
दिखा दो माँ
करुणा और शक्ति प्रेम की

रेखा जोशी

सुरक्षा कवच

है सुरक्षा कवच  ज़िंदगी का
साया सिर पर माँ का
हूँ निर्भय मै
जो है अपार स्नेह
मुझ पर मेरी माँ  का
मिलता बल मुझे
जब हाथों ने उनके
है थामा मेरा हाथ
शत शत नमन भवानी का
जो अवतरित हुई इस धरा पर
लुटाया जिसने स्नेह मुझ पर
प्यारी ममतामई माँ बन कर

रेखा जोशी

Friday 4 May 2018

मजदूर दिवस पर

खून पसीना कर
अपना एक
दो जून की रोटी 
खाते  हैं
जिस दिन मिलता
कोई काम नहीं
भूखे ही सो जाते है

रहने को मिलता
कोई घर नहीं
सर ऊपर कोई
छत नहीं
श्रम दिवस
मना कर इक दिन
भूल हमें सब जाते हैं

किसे सुनाएँ इस दुनिया  में
हम दर्द अपना कोई भी नहीं
इस जहां में हमदर्द  अपना
गिरता है जहाँ पसीना अपना
पहन मुखौटे नेता यहां पर
सियासत
अपनी करते हैं
हमारे पेट की अग्नि पर
रोटियाँ अपनी सेकते  हैं

मेहनत कर
हाथों से अपने
जीवन यापन करते हैं
नहीं फैलाते हाथ अपने
अपने दम पर जीते हैं

रेखा जोशी

Wednesday 2 May 2018

लेकर नव रूप करे सिंगार यह जिंदगी

हर्ष  में  खिलता  हुआ  प्यार  है  ज़िंदगी
ले  नव  रूप  करे    सिंगार    है  जिंदगी
सूरज  नित  आता  गगन नई  आस लिए
आगमन   भोर  का  आधार   है  ज़िंदगी

रेखा जोशी

पड़ोसी नहीं थे वो


याद है वो दिन
तपती दोपहरी के बाद
शाम को
जब गली में अपनी
लगता था बच्चों का मेला
पड़ोस के सब बच्चे
मिल कर खेलते थे खेल नये
और हाथ में परात  लिये
लगता था मेला
साँझे  चुल्हे  पर
भीनी भीनी पकती
वह तन्दूर की गर्मागर्म रोटियाँ
याद कर खुशबू जिनकी
आ जाता मुहँ में पानी
पड़ोसी नही थे वो
भाई बंधु थे अपने
सुख दुख  के साथी
हाथ बँटाते बिटिया की शादी में
आँसू  बहाते उसकी विदाई पे
जाने कहाँ गये वो दिन
जब पड़ोसी ही
इक दूजे के काम आते

रेखा जोशी

Tuesday 1 May 2018

ज़िन्दगी में मुस्कुराना सीख लो
गीत अब तुम गुनगुनाना सीख लो
दर्द से यह जिन्दगी माना भरी
हर घड़ी खुशियाँ मनाना सीख लो

रेखा जोशी