Thursday 21 July 2016

महकाती रही ज़िंदगी हरदम

रंग बिरंगी ज़िंदगी में 
आये अनेक रंग
इंद्रधनुषी रंगों से
सजा था जीवन कभी 
छलकते थे कभी 
अँगना  हमारे
प्यार और ख़ुशी के रंग
जिन्हें ऊँगली थाम
सिखाया था चलना कभी
बन गये  वही
अब हमारे सहारे
समझा था जिसे कभी
हमने पराया
प्यार से उसी ने हमे
सहलाया
बनी वह लाठी हमारी
जिसे डोली में था हमने
बिठाया
पोंछ कर नैनों से
आँसू
भर दिये जीवन में
फिर से उसने
उम्मीद के रंग
भूला दिये  सब गम
आशा के संग
महकाती रही ज़िंदगी
हरदम 

रेखा जोशी 

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