न कोई तमन्ना जीने की रही हो जैसे
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रूठी सभी चाहते जीने की आस नहीं
जी कर भी क्या करें अपने ही पास नहीं
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लगता था जो हमें दुनिया में सबसे प्यारा
तोड़ कर दिल चला गया वोह ही हमारा
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साज सूने गीत सूना सूनी है सरगम
आंसू अविरल बह रहे हर ओर ग़म ही ग़म
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रह गए हम तो अकेले दुनिया की भीड़ में
जो किया शायद अच्छा ही किया तकदीर ने
रेखा जोशी
सुन्दर रचना
ReplyDeleteमार्मिक रचना
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