मीनू और अजय अपनी छोटी सी गुड़िया दीप्ती के साथ घर का कुछ जरूरी सामान लेने डी मार्ट स्टोर पहुँच गए वहां एक रैक में बहुत आकर्षक ढंग से खिलौने सज रहे थे जिन्हें देखते ही दीप्ती की आँखें चमक उठी, वह वहीं खड़ी होकर एक एक खिलौने को अपने नन्हें नन्हें हाथों से छू कर देखने लगीl
अजय की नौकरी छूट जाने के कारण आजकल उनका हाथ कुछ तंग था इसलिए वह एक ट्रॉली में घर में इस्तेमाल होने वाला बहुत ही जरूरी सामान सोच समझ कर रख रहे थेl घर के हालात से बेखबर दीप्ती एक छोटी सी लाल रंग कार जिसे बच्चे खुद चलाते हैँ लेने की ज़िद्द करने लगीl. अजय नें बड़े प्यार से उसे गोद में उठा लिया और समझाने की कोशिश करने लगा कि अगले महीने उसे वह बहुत बढ़िया गाड़ी खरीद देगा, लेकिन बाल हठ कहाँ कुछ सुनता है l वह उस कार को लेने के लिए और भी मचल उठी और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी l वह मीनू और अजय की बात ही नहीं सुन रही थी बस रोये जा रही थीl
मीनू रोती हुई दीप्ती को खींचते हुए स्टोर से बाहर आ गई और अजय सामान के बिल का भुगतान करने लगा l स्टोर से बाहर आते ही अजय नें नन्ही सी लाल रंग की चाबी से चलने वाली कार अपनी प्यारी बिटिया के हाथ में थमा दी उसे देखते ही दीप्ती के मासूम चेहरे पर मुस्कान आ गई और अजय नें भी राहत की सांस ली l
रेखा जोशी
माता-पिता अपने सामर्थ्य के अनुरूप अपनी संतान की हर इच्छा को पूरा करने का सदैव प्रयास करते हैं।
ReplyDeleteसादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ३१ जनवरी २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।