Monday 25 February 2013

आ गई बहार

आ गई  बहार जो आये हो तुम
चहकने लगी बुलबुल अब दिल की

फूलों पर भंवरे  भी लगे मंडराने
महकने लगा अब आलम सब ओर

तरसती थी निगाहें तुम्हे देखने को
भूल गये अचानक वो रस्ता इधर का

मुद्दते हो चुकी थी देखे हुए उनको
भर दी खुशियों से आज झोली उसी ने

महकती रहे बगिया मेरे आंगन की
खुशिया ही खुशिया बनी रहे दिल में

आ गई  बहार जो आये हो तुम
चहकने लगी बुलबुल अब दिल की

2 comments:

  1. सुन्दर गीत
    खुशियाँ ही खुशियाँ बनी रहे दिल में

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    1. उत्साह वर्धन पर आपका हार्दिक धन्यवाद यशोदा जी

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