Sunday 6 July 2014

ग़ज़ल 

मापनी 

1222 1222 1222

तुझे चाहें सदा अब ज़िंदगी में  
न हो हमसे  खफा अब ज़िंदगी में

रहे तन्हा बिना तेरे सहारे 
सताये गी वफ़ा अब ज़िंदगी में 

बहुत रोये सनम तेरे लिये हम 
नही कुछ भी कहा अब ज़िंदगी में 

तड़प तुम यह हमारी देख लो अब 
मिले जो इस दफा अब  ज़िंदगी में 

न कर शिकवा बहारों से सनम तू  
नही वह  बेवफा अब ज़िंदगी में


रेखा जोशी 




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