Saturday 5 July 2014

खुशनसीब हूँ मिली जो मुहब्बत

ज़ुल्फ़ों की छाँव में उलझ गए जब 

धागे मुहब्बत के सुलझ गए सब 

खुशनसीब हूँ मिली जो मुहब्बत 

ज़िन्दगी हसीन है समझ गए अब

रेखा जोशी

No comments:

Post a Comment