Sunday 31 May 2015

एकरस हो जायें हमजब भी मिले ईश तुमसे

जैसे मिले नदिया का नीर  अपार  सागर में 
खो देता मिल कर नीर भी आकार  सागर में 
एकरस हो जायें हमजब भी मिले ईश तुमसे 
समायें  तुझ में हम जैसे जलधार  सागर  में 

रेखा जोशी 

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