Saturday 21 November 2015

राह निहारती गोरी ,पिया मिलन की आस है

आओ चलें कहीं दूर ,
हाथों में लेकर हाथ , कहनी दिल की बात है । 
झूमते  नभ पर तारे ,
चाँदनी गुनगुना रही ,मुस्कुरा रहा चाँद है । 
खिलते सुमन उपवन  में ,
तितली नाचे झूम के ,छाई  बहार ख़ास है 
सजन गये अब परदेस ,
राह निहारती गोरी  ,पिया मिलन की आस है । 
चमका सूरज गगन पर ,
गुज़ारा  दिन यादों  में ,आई अब तो शाम है 

रेखा जोशी 









No comments:

Post a Comment