Wednesday 15 March 2017

मुक्तक

 
दर्द दिल का न कभी प्यार दिखाया हमने
तार  टूटा  न   कभी  साज़  बजाया  हमने
अधर  खामोश  रहे  सजन हमारे तो  क्या
राज़  इक  यह ज़िन्दगी से छिपाया हमने
,
मन  को  भाये  कारे  कजरारे  कजरे की धार
हुआ  कसूर हमसे अब तो  हमने मान ली हार
मिले   हम   ऐसे   जैसे  नदी   समाई सागर में
अब किसी को भी नज़र आती नही कोई दरार

रेखा जोशी

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