Sunday 2 July 2017

ग़ज़ल

प्रदत बहर- ख़फ़ीफ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ

अर्कान- फाइलातुन मफाइलुन फेलुन
वज़्न-  २१२२/१२१२/२२

काफ़िया अर
रदीफ़- पर है

चल रहे  प्यार की डगर पर है
अब मिला प्यार ही  सफर पर है

है   हमें   इंतज़ार तेरा  अब
राह तेरी पिया  नज़र  पर है

हम कभी प्यार को नहीं भूले
चाहतें भी अभी मगर पर है

छोड़ना ना कभी हमें साजन
आज तो प्यार आप घर पर हैं

आप आ कर चले गये थे पर
प्यार अपना पिया अमर पर है

रेखा जोशी

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