Friday 28 July 2017

चांद निकला आंगन हमारे

शाम कठिन है रात कड़ी है
आंसूओं  की लगी  झड़ी है
,
राह  निहारे प्रियतम तेरी
पथ पर आज गोरी खड़ी है
,
चांद निकला आंगन हमारे
पिया मिलन की आज घड़ी है
,
खोये रहते सपनों में हम
जबसे साजन आंख लड़ी है
,
दिलों से दिल जोड़ कर देखो
लफ्जों की  बात बहुत बड़ी है

रेखा जोशी

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