Monday 1 June 2020

है जीवन यहाँ बस दो दिन का मेला

है जीवन यहाँ बस दो दिन का मेला
रहता सुलझता झमेले पे झमेला
न दिन को चैन न रात को ही आराम 
पंछी आता अकेला जाता अकेला 
रेखा जोशी 

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