Monday, 27 May 2024

बहुत करीब से देखा है तुम्हेंजिंदगी

बहुत करीब से देखा है तुम्हें

जिंदगी

बच्चों के पेट की खातिर

देखा है माँ को मजबूर होते हुए

न चाहते हुए भी बिक जाती वो

बहुत करीब से देखा है तुम्हें

जिंदगी

..

देखा है नन्हें नन्हें हाथों को

पुस्तकों की जगह

ढो रहे बोझ अपने घर का

किसी को हँसाती और किसी को

रुलाती

किसी के हिस्से बांटे खुशिया

किसी के नसीब में ग़मों का साया

बहुत करीब से देखा है तुम्हें

जिंदगी

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