Saturday, 4 May 2024

अब तो अंधेरा भी छाने लगा है

छंदमुक्त रचना 

तुम तो न आए पिया 
तेरे इंतज़ार में 
खोई रही मैं यादों में तेरी 
सुबह से लेकर अब शाम हो गई 
घर आजा सजन प्रीत मैंने निभाई 
दीपक प्यार का भी बुझने लगा है 
अब तो अंधेरा भी छाने लगा है 

गगन की लालिमा दे रही दुहाई
दिख रही मुझसे 
दूर होती मेरी ही परछाई 
डूब रहा सूरज ढल रही शाम 
क्षतिज का सूरज भी जाने लगा है
आ भी जाओ सजन 
अब तो अंधेरा भी छाने लगा है  

रेखा जोशी 


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