Tuesday, 30 April 2024

छंदमुक्त रचना

छंद मुक्त रचना 

हाल ए दिल क्या कहें अपना 
जो हाल तुम्हारा है 
यही हाल इधर भी है 

न दिन को चैन पाते हैं 
तुम से मिलने की
इक हूक सी उठती है
करवटे बदलते राते गुजरती है
हर धड़कन लेती है नाम तुम्हारा 
मेरी सांसों में समाये रहते हो 
उधर बैचैन तुम हो
इधर बैचन हम हैँ 

हाल ए दिल क्या कहें अपना 
जो हाल तुम्हारा है 
यही हाल इधर भी है 

रेखा जोशी 



2 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना

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  2. सादर आभार Onkar जी 🙏🙏

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