गीतिका
दिल मचलता रहा पर उनसे ना मुलाकात हुई बीता दिन इंतज़ार में अब तो सजन रात हुईं
रिमझिम बरसती बूंदों से है नहाया तन बदन
आसमान से आज फिर से जम कर बरसात हुईं
,काली घनी घटाओं संग चले शीतल हवाएँ उड़ने लगा मन मेरा ना जाने क्या बात हुई
झूला झूलती सखियाँ है पिया आवन की आस आए ना सजन मेरे बीती रैन प्रभात हुई
चमकती दामिनी गगन धड़के हैं मोरा जियरा
गर आओ मोरे बलम तो बरसात सौगात हुईं
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment