Wednesday 17 December 2014

जिया खिल खिल जाये ,लहराती जाये चुनरी

बदरी गरजे गगन में , घिरी घटा घनघोर 
रास रचा दामिनी से ,मचा रही है शोर 
मचा रही है शोर ,धड़काये है वो जिया
नाच रहे है मोर ,घर आये मोरे  पिया
जिया  खिल खिल जाये   ,लहराती जाये चुनरी  
भिगोये तन मोरा ,नभ से बरसती बदरी 

रेखा जोशी 

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