Sunday 13 March 2016

मचलते इस मौसम में चल रहे तुम साथ साथ मेरे

अपने सपनों में
खोई
आ गई मै कहाँ
चाँद तारों से सजा
खुला आसमाँ
है चूम  रहा आँचल
धरा का
लहराती  दुधिया चाँदनी से
जगमगा रही अवनी
शीतल
हवा के झोंकों से
सिहरता तन मन
महकती वादियों में
थिरक रहे पाँव मेरे
जाने क्यों
गीत गुनगुना रहे
आज सारे नज़ारे
संग संग मेरे
शायद
मचलते इस मौसम में
चल रहे तुम
साथ साथ मेरे

रेखा जोशी




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