Wednesday 11 April 2018

अजब है प्रकृति की माया

खिल  ही  जाते हैं फूल
सूखी चाहे हो धरा
अजब है प्रकृति की माया
हैं रँग इसके निराले
विषम प्रस्थितियों में भी
जीवंत हो उठता है जीवन
हो जाता है फूटाव पौधों का
चीर के सीना
कड़ी से कड़ी चट्टानों का भी
अंत महकेगा सफर जीवन का
संघर्ष है जीवन हमारा
सिखलाती प्रकृति हमें
संघर्ष से ही खिलेगा
हर लम्हा जीवन का

रेखा जोशी

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