Sunday, 30 August 2020

गरजता बरसता सखी है आया सावन

मौसम हुआ है आज री सखी मनभावन 
लिपट  रहा  है बदरा  से गगन का दामन 
शीतल  हवाओं  से झूमता आज तन मन
गरजता  बरसता  सखी   है आया सावन

रेखा जोशी 

दर्द दिल का दिल में ही छिपाना होगा


दर्द  दिल  का  दिल  में  ही  छिपाना  होगा 
दिल  अपने  को  खुद  ही  समझाना  होगा 
दिखा नहीं सकते जख्में दिल हम किसी को 
रोग  लगा  दिल   का  उसे  मिटाना   होगा 

रेखा जोशी 


Wednesday, 26 August 2020

डूबता सूरज ढलती शाम

गोवा का डोना पोला टूरिस्ट स्थल ,चारों ओर मौज मस्ती का आलम और टूरिस्ट सेनानियों का जमघट ,ऐसा लग रहा था मानो पूरी दुनियां यहाँ इकट्ठी हो गई हो \सबको इंतजार था सूरज के डूबने का ,बेहद आकर्षक नजारा था \अपने चारों ओर लालिमा लिए सूरज धीरे धीरे क्षतिज की ओर बढ रहा था और सबकी आखें दूर आकाश पर टिकी हुई थी \समुद्र इस रंगीन स्थल को अपने में लपेट कर लहरों की धुन पर ठंडी हवा के तेज़ झोंकों से सबके दिलों को झूले सा हिला रहा था \कई देसी, विदेशी सेनानी ओर भीड़ में कई नवविवाहित जोड़े रंग बिरंगी ड्रेसिज़ और सिर पर अजीबोगरीब हैट पहने ,हाथों में हाथ लिए रोमांस कर रहे थे \कुछ मनचले युवक टोली बना कर घूम रहे थे और कई दम्पति अपने बच्चों सहित छुट्टियाँ मना रहे थे \ आकाश में सूरज तेज़ी से धरती के दूसरे छोर जहाँ दूर दूर तक पानी ही पानी दिखाई दे रहा था छूने को बेताब हो रहा था ,उसकी लालिमा समुद्र में बिखरने लगीं थी और धीरे धीरे लाल होता समुद्र सूरज को अपने आगोश में लेने को बैचेन हो रहा था\ अब कई लोग हाथों में कैमरे लिए उस अद्धभुत नजारे को कैद करने जा रहे थे\ तभी मेरी नजर दूर बेंच पर पड़ी ,एक बुजुर्ग जोड़े पर पड़ी जो आसमान की ओर टकटकी लगाये उस डूबते सूरज को देख रहा था ,उनके चेहरे पर खिंची अनेकों रेखाए जीवन में उनके अनगिनत संघषों को दर्शा रही थी,तभी वह दोनों धीरे से बेंच से उठे ,एक दूसरे का हाथ थामा और धीमी चाल से रेलिंग की ओर बढने लगे \हिलोरें मारती हुई समुद्र की विशाल लहरों का शोर उस ढलती शाम की शांति को भंग कर रहीं था\ लाल सूरज ने समुद्र के पानी की सतह को लगभग छू लिया था ,ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे एक विशालकाय आग का गोला पानी के उपर पड़ा हो \ भीड़ में से अनेकों हाथ कैमरा लिए उपर उठ चुके और अनेक फलैश की रोशनियाँ इधर उधर से चमकने लगी,परन्तु मेरी नजरें उसी बुज़ुर्ग दम्पति पर टिकी हुई थी \ अचानक उस बुज़ुर्ग महिला ने अपना संतुलन खो दिया और वह गिरने को हुई ,जब तक कोई उन्हें संभालता उनके पति कि बूढी बाँहों ने उन्हें थाम लिया \उन दोनों ने आँखों ही आँखों में इक दूसरे को देखा और उनके चेहरे हलकी सी मुस्कराहट के साथ खिल गए \तभीमै वहां पहुंच चुकी थी ,”’आंटी ,आप ठीक तो हैं ,” अचानक ही मै बोल पड़ी\ लेकिन उतर दिया उनके पति ने ,”बेटा पचपन साल का साथ है ,ऐसे कैसे गिरने देता”\मैंने अपना कैमरा उनकी ओर करते हुए पूछा ,”एक फोटो प्लीज़ और उनको डूबते सूरज के साथ अपने कैमरे में कैद कर लिया\सूरज अब जल समाधि ले चुका था \भीड़ भी अब तितर बितर होने लगी थी, लालिमा कि जगह कालिमा ने लेना शुरू कर दिया ,सुमुद्र की लहरें चट्टानों से टकरा कर शोर मचाती वापिस समुद्र में लीन हो रही थी परन्तु मेरी निगाहें उसी दम्पति का पीछा कर रही थी ,हाथों में हाथ लिए वह दोनों दूर बाहर की ओर धीरे धीरे चल रहे थे \जिंदगी की ढलती शाम में उनका प्यार सागर से भी गहरा था \ परछाइयां लम्बी होती जा रही थी और मै उसी रेलिंग पर खड़ी सुमुद्र की आती जाती लहरों को निहार रही थी ,मन व्याकुल सा हो रहा था ,कल फिर सूरज उदय होगा ,शाम ढलते ही डूब जाये गा परन्तु पचपन साल का प्यार और साथ, उनकी ढलती जिंदगी की शाम का एक मात्र सहारा \

रेखा जोशी 

Monday, 10 August 2020

ज़िंदगी की नई सुबह


पल पल यूँ ही हमारी गुज़रती ज़िंदगी
हर पल यहाँ नये पल में ढलती ज़िंदगी
हर दिन सूरज लाये आशा की नवकिरण
रोशनी दामन हमारे भरती ज़िंदगी

अगर सुबह की रौशनी को अपने दामन में भरना चाहते हो तो मायूसियों से दामन छुड़ाना पड़ेगा | हार और जीत ज़िंदगी के दो पहलू है लेकिन हार को जीत में बदलना ही ज़िंदगी है ,जीत के लिए संघर्षरत इंसान अपनी गलतियों से सीखता हुआ ,चाहे देर से ही अंतः अपनी मंज़िल पा ही लेता है ,बस सिर्फ ज़िंदगी की नई सुबह को ओर कदम बढ़ाने का जज़्बा होना चाहिए | अक्सर लोग ज़िंदगी की परेशनियों से घबरा जाते है और उन से बचने के लिए नए नए रास्ते खोजना शुरू कर देते और कई बार तो वह खुद को कई चक्करों में बुरी तरह से फंसा लेते है जहां से उनका निकलना बहुत कठिन हो जाता है ,कभी ज्योतिषों ,तांत्रिकों के चक्कर में तो कभी उधारी की दलदल में फंस कर रह जाते है , यहां तक कि कई लोग अवसाद की स्थिति में पहुंच जाते है ,कभी कभी तो लोग अपनी नाकामियों से परेशान हो कर आत्महत्या कर लेते है |
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इस संसार में हर इंसान की जिंदगी में अच्छा और बुरा समय आता है ,लेकिन जब वह उन परस्थितियों का सामना करने में अपने आप को असुरक्षित एवं असमर्थ पाता है तो उस समय उसे किसी न किसी के सहारे या संबल की आवश्यकता महसूस होती है ,जिसे पाने के लिए वह इधर उधर भटक जाता है ,जिसका भरपूर फायदा उठाते है यह पाखंडी पोंगे पंडित |अपने बुरे वक्त में अगर इंसान विवेक से काम ले तो वह अपनी किस्मत को खुद बदलने में कामयाब हो सकता है ,आत्म विश्वास ,दृढ़ इच्छा शक्ति, लगन और सकारात्मक सोच किसी भी इंसान को सफलता प्रदान कर आकाश की बुलंदियों तक पहुंचा सकती है ,हम जिस नजरिये से जिंदगी को देखते है जिंदगी हमे वैसी ही दिखाई देती है लेकिन केवल ख्याली पुलाव पकाने से कुछ नही होता ,जो भी हम सोचते है उस पर पूरी निष्ठां और लगन से कर्म करने पर हम वो सब कुछ पा सकते है जो हम चाहते है,हम अपने भीतर की छुपी हुई ऊर्जा को पहचान नही पाते | ईश्वर ने हमे बुद्धि के साथ साथ असीम ऊर्जा भी प्रदान की है ,अक्सर मानव भूल जाता है कि अगर वह किसी भी कार्य को पूरे मन ,उत्साह और जी जान से करे तो उसमे ईश्वर भी उसकी सहायता करता है |
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कहते है ”बीती ताहि बिसार दे आगे की सुध ले ,हम सब जानते है हर रात के बाद एक नई सुबह आती है ,शाम का सूरज रात में ढल जाता है और फिर सुबह का सूरज एक नई आशा की किरण लेकर आता है ,कहते है उम्मीद पर दुनिया कायम है, अपनी नाकामियों पर निराश न हो कर अगर नए सिरे से पूरे जोश के साथ ज़िंदगी की शुरुआत करे तो हमे सफल होने से कोई रोक नहीं सकता |

रेखा जोशी