Saturday 28 December 2019

Happy New Year

ठिठुरता   कांपता  नव  वर्ष आया
संग  अपने खुशियाँ नव वर्ष लाया
कर रहे स्वागतम सब नये वर्ष का
झूम  झूम  नाचता  नव वर्ष आया

रेखा जोशी

Saturday 30 November 2019

शर्मनाक घटना

मैं जल रही हूँ जिंदा
रो रही हूँ चीख रही हूँ 
कहाँ हो तुम 
माँ डर लगता है 
बहुत बहुत डर लगता है 
मन आहत, तन आहत आत्मा भी आहत 
नहीं सुन रहा मेरी पुकार कोई
सो गया है आज ईश्वर भी
राक्षसों का संहार करने वाला कोई नहीं 
टूट पड़ा है कहर मुझ पर 
एक नहीं दो नहीं 
चार चार वहशी दरिंदों ने किया 
हरण  मेरे तन का, लड़ी बहुत लड़ी मैं 
नहीं बचा पाई  अपनी अस्मिता 
माँ मैं हार गई, नहीं बता सकती व्यथा अपनी 
कैसा जीवन मिला है मुझे 
अंग अंग जल रहा है आज मेरा 
दर्द दर्द दर्द बस दर्द ही दर्द की 
असहनीय पीड़ा से गुजर रही 
लाडो तेरी 
जा रही हूँ दूर बहुत दूर तुझसे 
जानती हूँ तुम भी तड़प रही हो  दर्द से 
और तुम रोती रहोगी  सारी उम्र 
याद कर के मुझे 
याद रखना सदा मेरी दर्दनाक मौत को 
करना संघर्ष तुम इसके लिए 
कोई भी बेटी इस देश की 
न गुजरे इस पीड़ा से कभी 
न गुजरे इस पीड़ा से कभी 

रेखा जोशी 


Tuesday 26 November 2019

जाम ए ज़िन्दगी तो पीना है यारों


न जाने यह ज़िन्दगी की राह कब कहाँ ले जाये गी
आज गम है तो कल इस जीवन में खुशी भी आये गी 
इस ज़िन्दगी में सुख और दुख तो सब है समय का फेर 
न हो उदास रात के बाद सुबह भी जरूर आये गी 

जाम ए ज़िन्दगी तो पीना है यारों
हमने  सदियों  कहां जीना है यारों
,
इबादत करें खुदा की मिली ज़िन्दगी
मानो  यह रब का  मदीना है यारों
,
साज बजाओ ज़िन्दगी में प्यार भरा
ज़िन्दगी मधुर  स्वर वीणा है यारों
,
भर लो दामन में अपने खुशियां यहां
ज़िन्दगी अनमोल नगीना है यारों
,
न जाने कब छोड़ दें यह संसार हम
पर्दा  मौत  का  तो झीना है यारों

रेखा जोशी

Thursday 21 November 2019

जिंदगी के सफर में

करता रहा सामना

मुश्किलों का

जिंदगी के सफर में

और

मैं चलता ही गया

.

रुका नहीं, झुका नहीं

ऊँचे पर्वत गहरी खाई

मैं लांघता गया

और

मैं चलता ही गया

.

कभी राह में मिली खुशी

मिला गले उसके

कभी दुखों का टूटा पहाड़

रोया बहुत पर

खुद को संभालता गया

और

मैं चलता ही गया

.

जीवन के सफर में

कई साथी मिले चल रहे हैं साथ कुछ

यादें अपनी देकर कुछ छोड़ चले गए

और

बंधनों से घिरा

मैं चलता ही गया

चलता ही जा रहा हूँ

और

चलता ही रहूँगा

जीवन के सफर में

अंतिम पड़ाव आने तक

अंतिम पड़ाव आने तक

रेखा जोशी

ये रात बहुत भारी है

अंधेरे सुनसान रास्ते

कोई भी नहीं संग हमारे

किसे पुकारें

ये रात बहुत भारी है

..

शांत मौन पर्वत

डूबता सूरज

धड़कन बढ़ाती ख़ामोशियाँ

दूर कहीं झोंपड़ी में

जलती लालटेन

रुक गया हो वक्त जैसे

कैसे कटे

ये रात बहुत भारी है

सुबह की इंतजार में

गुम हुई चांदनी

पेड़ों के पीछे आहट सी

किसी जंगली जानवर का एहसास

इस डर के माहौल में

ये रात बहुत भारी है

ये रात बहुत भारी है

रेखा जोशी

Tuesday 12 November 2019

आवारा हूँ मै बादल

आवारा हूँ मै बादल

हवा के संग संग घूमता रहता हूँ मैं

आज यहां कल कहीं और

चला जाता हूँ मैं

नहीं कोई मंजिल नहीं कोई राह

मन हुआ जहां

बरस जाता हूँ वहाँ

लेकिन

खत्म हो जाता है अस्तित्व मेरा

जल की धारा बन कर

आवारा हूँ तो क्या हुआ

भिगोकर आँचल अवनी का

हरियाली चहुँ ओर

फैलाता हूँ मैं 

खेत खलियान, पेड़ पौधे

आशीष सबका पाता हूँ मैं

आवारा हूँ मै बादल

खुशियां धरा पर

बरसाता हूँ मैं

रेखा जोशी 

Monday 28 October 2019

खिली खिली धूप तुम्हारी मुस्कराहट

भोली  भाली सूरत प्यारी  मुस्कुराहट 
खिली खिली धूप  तुम्हारी मुस्कराहट 
देखते  रह   गए  हम   सूरत  तुम्हारी 
बसी  आँखों  में   तुम्हारी  मुस्कुराहट 

रेखा जोशी

Friday 25 October 2019

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं


दीपावली का उत्सव मनायें 
फुलझड़ी और पटाखे चलायें 
सीखें मिलजुल कर रहना हम सब 
नेह का दीपक घर घर जलायें 

रेखा जोशी 

Thursday 24 October 2019

माँ

माँ जन्नत है तेरे कदमों तले

नहीं देखा खुदा को कभी

तू ही तो है खुदा मेरे लिए

कैसे जान लेती हो मेरे दिल की बात

पूरे कर देती हो अरमान मेरे कि

मेरे कहने से पहले ही

सफल हुआ यह जीवन मेरा

पा कर प्यार तेरा माँ

रखना सदा सर पर हाथ अपना

पाता रहूँ यूँ ही नेह तेरा

हर जन्म में माँ

तेरे चरणों. में रहे सदा भक्ति मेरी

मिलता रहे आशीर्वाद तेरा सदा

रेखा जोशी

Thursday 17 October 2019

मुक्तक


मुक्तक 

खिले  हैं फूल बगिया  मुस्काई
गुन  गुन  भंवरे  तितली   आई
डाल डाल कुहुकती कोयलिया 
मनोहरम    सुंदरम    कविताई


रेखा जोशी


Sunday 6 October 2019

ख्वाहिशें

अधूरे ख्वाब अधूरी ख्वाहिशें

जाने कब होंगी पूरी ख्वाहिशें

..

बहुत मिले जीवन के मेले में

रहे हम हमेशा ही हाशिये पे

..

हसरतें रहीं दिल ही दिल में बस

अरमान रहे सदा अधूरे से

..

साथ मिलता गर हमें तेरा तो

जिंदगी भरी होती उजाले से

लड़खड़ाती नैया बीच सागर

ले आए कोई तो किनारे पे

रेखा जोशी

Friday 4 October 2019

मुक्तक


खिले  हैं फूल बगिया  मुस्काई
गुन  गुन  भंवरे  तितली   आई
डाल डाल कुहुकती कोयलिया
मनोहरम    सुंदरम    कविताई

रेखा जोशी

Sunday 29 September 2019

जीवन सफर में

मुसाफ़िर हो तुम भी, मुसाफिर हैं हम भी

इस जीवन सफर में

शुरू हुआ यह सफर धरा पर आते ही

कितना सुहाने थे वोह बचपन के दिन

माँ की गोद, बाप का प्यार

यही थी दुनिया यही था संसार

संघर्षरत हुआ जीवन जवानी के आते ही

हुआ अहसास सुख दुख, हार जीत का

लेकिन सफर चलता रहा

आई है अब तो जीवन की शाम

बढ़ रहे हैं हम मंजिल की ओर

खत्म हो जाएगा इक दिन सब कुछ

रह जाएगी बस चिता की धूल

यही तो है अंतिम पड़ाव

जीवन के इस सफर का

रेखा जोशी

Friday 27 September 2019

कह मुकरियाँ

कह मुकरियाँ

मत लो और मेरी परीक्षा
कर  रही  हूँ तेरी प्रतीक्षा
रहता सदा तेरा ही ध्यान
का सखि साजन, न सखि भगवान
..
राह  निहारूं मैं बार बार
आने  से  है आये   बहार
खिले मनवा भरी दोपहरी
का सखि साजन, ना सखि महरी

रेखा जोशी

Thursday 19 September 2019

माँ


जगदंबिका जगत जननी
समझ सकती हूँ  पीड़ा तेरी
इक दूजे के खून के प्यासे
दो भाईयोँ को देख
दर्द से तिलमिला उठी कोख मेरी
.
ममतामयी माँ हो तुम
रचना जो की जग की
महसूस कर सकती हूँ मै
तड़प तुम्हारे मन की
क्या गुज़रती होगी सीने में तुम्हारे
रक्त से सनी लाल धरा देख कर
बमों के धमाको से जब गूँजता आसमान
दम तोड़ती जब तेरी सन्तान
.
हे माँ अब सुन  पुकार
आज अपने गर्भ की दिखा दे ममता
आँसू पोंछ उनके खून बन जो टपक रहे
सुख की साँस ले सकें सब
फिर नीले अम्बर तले
घृणा आपस की मिटा कर
दिखा शक्ति  अपने प्रेम  की

रेखा जोशी

Sunday 15 September 2019

Vastu tip

वास्तु शास्त्र के हिसाब से बेड के सिरहाने की दिशा दक्षिण होनी चाहिए, हमें मालूम है कि हमारी धरती में चुम्बकीय शक्ति है, चुंबकीय नॉर्थ पोल भौगोलिक साउथ पोल को तरफ होता है और चुंबकीय साउथ पोल भौगोलिक नॉर्थ पोल की तरफ होता है l चुंबकीय बल की रेखाएँ सदा नॉर्थ पोल से साउथ पोल की होती है, इसलिए अगर हमारा सर भौगोलिक साउथ की ओर होगा तो चुम्बकीय रेखाएँ हमारे सर से पांव की ओर गुज़रे गी, यानि कि चुम्बकीय रेखाओं की दिशा हमारे खून से बहाव के साथ होगी जबकि अगर हमारा सर उत्तर दिशा में होगा तो चुम्बकीय रेखाएँ हमारे खून के बहाव से उल्टी दिशा में प्रवाहित होगी, जिससे हम खून से संबंधित बीमारियों से ग्रस्त हो सकते हैं l

इसलिए सिरहाने की दिशा सदा दक्षिण की ओर होनी चाहिए l

रेखा जोशी

Wednesday 11 September 2019

बिन तेरे नहीं अब रहना

मुझे तुम से है कुछ कहना

बिन तेरे नहीं अब रहना

अकेले हैं जीवन में हम

ग़म जुदाई का नहीं सहना

..

चलेंगे हम अब साथ साथ

संग तेरे ही है रहना

जीवन है चलने का नाम

ज्यों नदिया में नीर बहना

..

तुमसे है सिंगार जीवन

तुम हो सजन मेरा गहना

रेखा जोशी

प्रार्थना


हे
शिव
शंकर
महादेव
देवों के देव
सुन लो पुकार
शम्भू पालनहार
....
हे
राम
दयालु
भगवन
शीश झुकाएं
करते प्रणाम
प्रभु कृपानिधान

रेखा जोशी

संस्मरण

करीब बीस वर्ष पहले की बात है जब मैं अपने कार्यकाल के दौरान महाविद्यालय की छात्राओं का एक ट्रिप लेकर शिमला गई थी, मेरे साथ तीन और प्राध्यापिकायें भी थी, हम ल़डकियों के सथ कालका से शिमला टोय ट्रेन से जा रहे थे, गाड़ी खचाखच भरी हुई थी हमारी सीट के सामने एक युवा दंपति आ कर खड़ा हो गया, युवती की गोद में एक गोल मटोल सुन्दर सा बच्चा था जिसे चलती गाड़ी में बच्चे के साथ खड़े रहने में उस युवती को बहुत असुविधा हो रही थी चूंकि मैं सीट पर बैठी हुई थी मैंने उस युवती से कहा जब तक आपको सीट नहीं मिलती आप बच्चे को मुझे पकडा दें, तो उसने अपने बच्चे को मुझे पकडा दिया और उस बच्चे के साथ छात्राएँ खेलने लगी, वह दंपति भी हम सबके साथ घुलमिल गया, बातों ही बातों में उनका स्टेशन आ गया और वह दोनों झटपट गाड़ी से उतर गए और हमें बाय बाय करने लगे, गाड़ी वहाँ बहुत ही कम समय के लिए रुकती है मैंने जोर से चिल्ला कर कहा, "अरे अपना बच्चा तो लेते जाओ" किसी तरह जल्दी जल्दी बच्चे को उन्हें सौंपा की गाड़ी चल पडी, गाड़ी में बैठे सभी लोग हँस रहे थे और उनके साथ हम सब भी हँसने लगे l
रेखा जोशी

Sunday 8 September 2019

इस मोड़ से जाते हैं

इस मोड़ से जाते हैं

अभिनंदन कर रहा सामने

रंगीला इंद्रधनुष

अभिवादन कर रहे हैं

नीले अम्बर पर सफेद बादल

बरस चुकी बरखा रानी

धुल गया है मैल सारा

चहचहाने लगी बुलबुल मन की

..

इस मोड़ से जाते हैं

झुक गया जहां सतरंगी आसमाँ

अंगना मेरे

लहराने लगा आंचल मेरा

शीतल हवा के झोंकों से

चली प्रीत की ऐसी लहर

डूब गया जहां तन मन मेरा

आते ही इस मोड़ पर

रेखा जोशी

Sunday 25 August 2019

प्यार न हमसे हो पायेगा

चाहती हूँ तुम्हें लेकिन

प्यार न हमसे हो पायेगा

बहुत प्यारी है सूरत और सीरत तेरी, लेकिन

क्या करूँ उस दिल का

जकड़ा हुआ जो कर्त्तव्य की जंजीरों में

भूख के मारों को

भरपेट खाना खिलाएं गे

निभाना है यह फ़र्ज़ भी मुझे, फिर

प्यार न हमसे हो पायेगा

….

आओ बन जाओ साथी मेरे

हाथ बटाना तुम भी मेरा

मिल कर दोनों इक बनायें गे स्वर्ग यहां

गिरे हुओं को उठा कर

नव राह उन्हें दिखायेंगे

उनके उदास चेहरों पर

मुस्कान लेकर आयेंगे

उनके वीरान

आंगन में स्नेह का दीप जलाना

देख ऐसी उनकी हालत अभी तो

प्यार न हमसे हो पायेगा

रेखा जोशी

Tuesday 20 August 2019

खुशियाँ लेकर आई दिवाली

फुलझड़ी  से निकले अंगारे
हवा  में  ज्यों नाचते  सितारे
...
घर घर  जलते नेह के दीपक
प्रेम  पथ  में  फैले  उजियारे
...
सजा प्यार से घर आंगन आज
प्रीत  की  डोर   से  बंधे   सारे
....
हर्षोल्लास  छाया   सभी  ओर
लक्ष्मी  गणेश  घर आज पधारे
...
खुशियाँ  लेकर  आई   दिवाली
खिले   बच्चों   के   चेहरे  प्यारे

रेखा जोशी

Friday 16 August 2019

मेरे भगवान

बार बार
पुकारती हूँ तुम्हे
कहाँ छुपे हो  त्रिपुरारि 
...
कभी तो सुध लो मेरी
कभी तो जानो मेरा प्यार
बार बार
क्यों ले रहे हो
तुम मेरा इम्तिहां
...
समा गए हो
तुम मुझ  में इस तरह
खत्म हो गया अब वजूद मेरा
तुम ही तुम हो
तन मन में बसे
बिन तेरे
कुछ नहीं हूँ मैं
कर दिया अर्पण खुद को
चरणों में तेरे
होना है तुम्हें शिव  शंकर 
खुद पर मेहरबान
होना है तुम्हें  शिव  शंकर 
खुद पर मेहरबान

रेखा जोशी

Wednesday 14 August 2019

स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं

नेह के कच्चे धागे
है सज रहे
वीर की कलाई पर
माथे तिलक लगा कर
ले बहना की दुआएँ
अति पवित्र शक्तिशाली
है बहनों की दुआएँ
भर देती जोश वीरों में
है फड़कने लगती
फिर उनकी भुजाएं
रक्षक  हैं  जो देश के
सीमा पर देते पहरा
मर मिटते वो देश पर
जान की बाजी लगा कर
शूरवीर हो जिसके बेटे
उस देश का क्या कहना
दुनिया में है सबसे प्यारा
राखी का यह बंधन
दुनिया में है सबसे न्यारा
राखी का यह बंधन

रेखा जोशी

Friday 19 July 2019

सजन रे झूठ मत बोलो

माना कि बन जाते
काम कई
लेकर झूठ का सहारा
मीठी छुरी
झूठ लगता सबको प्यारा
झूठों ने पाये
जीवन में मुकाम नये
सत्य लगता कडवा भले
लेकिन फिर भी है न्यारा
जो बोलोगे झूठ तुम
वाह वाही भी लूट लोगे
पकड़ा गया झूठ अगर तब
करेगा कौन एतबार तुम पर
सजन  रे झूठ मत बोलो
सच का दामन
गर थाम ले प्यारे
हो  जाएंगे वारे न्यारे

रेखा जोशी

Monday 8 July 2019

पुकारे गी इक दिन ज़िन्दगी मुझे

ऊँचे नीचे  पथरीले रास्तों पर
डगमगाती ज़िन्दगी
राह अंजान पथ है सूना
चला जा रहा हूं ज़िंदगी में अकेला
न साथी न कोई सहारा मेरा
लेकिन मुझे है यक़ीन
देगी आवाज ज़िंदगी मुझे
बाहें फैलाये किसी खूबसूरत मोड़ पर
पुकारे गी इक दिन ज़िन्दगी मुझे

रेखा जोशी

Thursday 27 June 2019

जब से हुई है तुमसे आँखें चार

जब से हुई है तुमसे आँखें चार
जग उठे हैं दिल में अरमान हजार
..
ख्यालों  में रहते हमारे सदा तुम
करने लगे तुमसे प्यार हम अपार
...
दिल में मेरे जब से आए हो तुम
आँखे बंद कर  निहारें बार  बार
...
जाओ गे दूर हमसे जब कभी तुम
ज़िंदगी भर करेंगे हम इंतजार
..
तुम ही तुम हो  जिंदगी में हमारी
है  तुमसे  ही अब  हमारा संसार

रेखा जोशी

Sunday 23 June 2019

जीवन में आ जाती बहार

जीवन में
आ जाती बहार
जो तुम आ जाते एक बार
..
सूना सूना अंगना
बिन तेरे सुन प्रियतम मेरे
रूठ गया जैसे सारा संसार
जो तुम आ जाते एक बार
..
लोचन व्याकुल
राह निहार रहे तेरी
हर आहट पर
पागल नैना ढूँढे तुम्हें
तरस रहे तेरा दीदार
जो तुम आ जाते एक बार
..
भोर हुई
न आए तुम
समाये रहे नैनों में तुम
रही बदलती करवटें
करती रही
रात बस तेरा इंतज़ार
जो तुम आ जाते एक बार

रेखा जोशी

जीवन में आ जाती बहार

जीवन में
आ जाती बहार
जो तुम आ जाते एक बार
..
सूना सूना अंगना
बिन तेरे सुन प्रियतम मेरे
रूठ गया जैसे सारा संसार
जो तुम आ जाते एक बार
..
लोचन व्याकुल
राह निहार रहे तेरी
हर आहट पर
पागल नैना ढूँढे तुम्हें
तरस रहे तेरा दीदार
जो तुम आ जाते एक बार
..
भोर हुई
न आए तुम
समाये रहे नैनों में तुम
रही बदलती करवटें
करती रही
रात बस तेरा इंतज़ार
जो तुम आ जाते एक बार

रेखा जोशी

Sunday 9 June 2019

हार या जीत

ज़िंदगी के दो पहलू
जीत या हार पर
इसके बीच भी लेती
है साँस ज़िंदगी
कुछ सफलता
या कुछ असफलता लिए
न कर गम असफलता का
सीढ़ी है यह
जो दिखाती राह
सफलता की
होती है खत्म
जो जा कर जीत पर

रेखा जोशी

Friday 24 May 2019

भाजपा की जीत पर

बजने लगे ढोल नगाड़े खुशियाँ आई द्वार
पहली बार किया भाजपा ने तीन सौ को पार
कमल के खिलने पर है हर्षित भारत की जनता
मोदी के नाम की सुनामी आई अब की बार

रेखा जोशी

Tuesday 21 May 2019

तमसो मा ज्योतिर्गमय

तमसो मा ज्योतिर्गमय

मेरे पड़ोस में एक बहुत ही बुज़ुर्ग महिला रहती है ,उम्र लगभग अस्सी वर्ष होगी ,बहुत ही सुलझी हुई ,मैने न तो आज तक उन्हें किसी से लड़ते झगड़ते देखा और न ही कभी किसी की चुगली या बुराई करते हुए सुना है ,हां उन्हें अक्सर पुस्तकों में खोये हुए अवश्य देखा है| गर्मियों के लम्बे दिनों की शुरुआत हो चुकी थी ,चिलचिलाती धूप में घर से बाहर निकलना मुश्किल सा हो गया था ,लेकिन एक दिन,भरी दोपहर के समय मै उनके घर गई और उनके यहाँ मैने एक छोटा सा सुसज्जित पुस्तकालय ,जिसमे करीने से रखी हुई अनेको पुस्तकें थी ,देखा |

उस अमूल्य निधि को देखते ही मेरे तन मन में प्रसन्नता की एक लहर दौड़ने लगी ,”आंटी आपके पास तो बहुत सी पुस्तके है ,क्या आपने यह सारी पढ़ रखी है,”मेरे पूछने पर उन्होंने कहा,”नही बेटा ,मुझे पढने का शौंक है ,जहां से भी मुझे कोई अच्छी पुस्तक मिलती है मै खरीद लेती हूँ और जब भी मुझे समय मिलता है ,मै उसे पढ़ लेती हूँ ,पुस्तके पढने की तो कोई उम्र नही होती न ,दिल भी लगा रहता है और कुछ न कुछ नया सीखने को भी मिलता रहता है ,हम बाते कर ही रहे थे कि उनकी बीस वर्षीय पोती हाथ में मुंशी प्रेमचन्द का उपन्यास’ सेवा सदन’ लिए हमारे बीच आ खड़ी हुई ,दादी क्या आपने यह पढ़ा है ?आपसी रिश्तों में उलझती भावनाओं को कितने अच्छे से लिखा है मुंशी जी ने |

आंटी जी और उनकी पोती में पुस्तकों को पढ़ने के इस शौक को देख बहुत अच्छा लगा | अध्ययन करने के लिए उम्र की कोई सीमा नही है उसके लिए तो बस विषय में रूचि होनी चाहिए |मुझे महात्मा गांधी की लिखी पंक्तियाँ याद आ गयी ,” अच्छी पुस्तके मन के लिए साबुन का काम करती है ,”हमारा आचरण तो शुद्ध होता ही है ,हमारे चरित्र का भी निर्माण होने लगता है ,कोरा उपदेश या प्रवचन किसी को इतना प्रभावित नही कर पाते जितना अध्ययन या मनन करने से हम प्रभावित होते है ,कईबार महापुरुषों की जीवनियां पढने से हम भावलोक में विचरने लगते है और कभी कभी तो ऐसा महसूस होने लगता है जैसे वह हमारे अंतरंग मित्र है |

अच्छी पुस्तकों के पास होने से हमें अपने प्रिय मित्रों के साथ न रहने की कमी नही खटकती |जितना हम अध्ययन करते है ,उतनी ही अधिक हमें उसकी विशेषताओं के बारे जानकारी मिलती है | हमारे ज्ञानवर्धन के साथ साथ अध्ययन से हमारा मनोरंजन भी होता है |हमारे चहुंमुखी विकास और मानसिक क्षितिज के विस्तार के लिए अच्छी पुस्तकों ,समाचार पत्र आदि का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है |ज्ञान की देवी सरस्वती की सच्ची आराधना ,उपासना ही हमे अज्ञान से ज्ञान की ओर ले कर जाती है |

हमारी भारतीय संस्कृति के मूल धरोहर , एक उपनिषिद से लिए गए मंत्र ,”तमसो मा ज्योतिर्गमय ”,अर्थात हे प्रभु हमे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो ,और अच्छी पुस्तकें हमारे ज्ञान चक्षु खोल हमारी बुद्धि में छाये अंधकार को मिटा देती है | इस समय मै अपनी पड़ोसन आंटी जी के घर के प्रकाश पुँज रूपी पुस्तकालय में खड़ी पुस्तको की उस अमूल्य निधि में से पुस्तक रूपी अनमोल रत्न की खोज में लगी हुई थी ताकि गर्मियों की लम्बी दोपहर में मै भी अपने घर पर बैठ कर आराम से उस अनमोल रत्न के प्रकाश से अपनी बुद्धि को प्रकाशित कर सकूं |

रेखा जोशी

Thursday 16 May 2019

एक कप चाय का प्याला और सौगंध बाप की

एक कप चाय का प्याला और सौगंध बाप की

शर्मा जी ने हाल ही में सरकारी नौकरी का कार्यभार संभाला था,अपनी प्रभावशाली लेखन शैली के कारण वह बहुत जल्दी अपने ऑफ़िस में प्रसिद्ध हो गए। जिस किसी को भी अपनी रिपोर्ट उपर के ऑफ़ीसर को भेजनी होती थी, वह एक बार उनसे  राय जरूर ले लेता था। उसी ऑफ़िस में कार्यरत एक कर्मचारी हर रोज़ शाम के समय शर्मा जी के कमरे में आकर मित्रता  के नाते बैठने लगा,और धीरे धीरे अपनी रिपोर्ट भी उनसे बनवाने लगा। जब शर्मा जी उसकी रिपोर्ट लिख रहे होते वह उनके लिए एक कप चाय मंगवा देता ,कुछ दिन तक यह सिलसिला चलता रहा और एक दिन  शर्मा जी को ऐसा लगा जैसे वह उन्हें चाय रिपोर्ट लिखने के बदले में पिला रहा है तो उसी क्षण उन्होंने उसके लिए लिखना बंद कर दिया।

शर्मा जी के मना करने पर वह कर्मचारी गुस्से से लाल पीला हो गया ,आव देखा न ताव एक घूंसा शर्मा जी की तरफ बढ़ा दिया जिसे उन्होंने  ने बीच में ही  काट उस कर्मचारी के मुख पर जोर से घूंसा जड़ दिया। आग की तरह जल्दी ही बात पूरे ऑफ़िस में फैल गई। दोनों को बड़े साहब ने बुलाया ,चोट लगे कर्मचारी के साथ पूरे स्टाफ की सहानुभूति थी और उसने भी रोते हुए बड़े साहब से अपने बाप की सौगंध खाते हुए कहा कि वह बिलकुल निर्दोष है ,नतीजतन शर्मा जी से लिखित स्पष्टीकरण माँगा गया। उस रात शर्मा जी सो न सके,सुबह उठते ही इस्तीफा लिख कर जेब में रखा और ऑफ़िस पहुंच गए।

वहां पहुंचते ही पता चला कि रात को उस कर्मचारी के पिता जी परलोक सिधार गए।

रेखा जोशी

Wednesday 8 May 2019

उनको शिकायत है

उनको शिकायत है

रितु और नीलांश का अभी हाल ही में विवाह हुआ है और वह भी प्रेम विवाह लेकिन माता पिता की मर्ज़ी से ,जहाँ प्यार होता है वहां एक दूसरे से गिले ,शिकवे और शिकायत तो होती ही रहती है ,आजकल यही कुछ उन दोनों के साथ भी हो रहा है ,हर सुबह शुरू होती है प्यार की मीठी तकरार से और हर रात गुजरती है ढेरों गिले, शिकवे और शिकायते लिए हुए ,यही अदायें तो जिंदगी को रंगीन बनाती है पहले रूठना और फिर मनाना ,मान कर फिर रूठ जाना l

ह रूठने और मनाने का सिलसिला जब तक यूं ही चलता रहे तो समझ लो उनकी शादी को ईश्वर का वरदान मिला हुआ है ,ऐसे झगड़े हमेशा उनकी शादी की ताजगी बनाये रखते है|वैसे तो हमारे शास्त्रों में लिखा हुआ है कि शादी के बाद पति और पत्नी का मिलन ऐसे होना चाहिए जैसे दो जगह का पानी मिल कर एक हो जाता है फिर उस पानी को पहले जैसे अलग नही किया जा सकता ,लेकिन ऐसा होना बहुत ही मुश्किल है क्योंकि दो व्यक्ति अलग अलग विचारधारा लिए अलग अलग परिवेश में बड़े हुए जब एक दूसरे के साथ रहने लगते है तो यह सम्भाविक है कि उन दोनों की सोच भी एक दूसरे से भिन्न ही होगी ,उनका खान पान ,रहन सहन, बातचीत करने का ढंग ,कई ऐसी बाते है जो उनके अलग अलग व्यक्तित्व को दर्शाती है | पति पत्नी के इस खूबसूरत रिश्ते में और भी निखार लाता है उनकी एक दूसरे के प्रति नाराज़गी का होना और फिर उसकी वह नारजगी को दूर कर एक दूसरे के और करीब आना

|रितु को अगर घर का खाना पसंद आता है तो नीलांश को बाहर खाना अच्छा लगता है ,रितु को यदि घर सजाना अच्छा लगता है तो नीलांश को घर फैलाना ,बस इन छोटी छोटी बातों से वह दोनों एक दूसरे पर खीजते रहते है और शिकवे शिकायतों का यह सिलसिला यूँ ही चलता रहता है ,कभी रितु नाराज़ ,तो कभी नीलांश लेकिन वह ऐसी नोक झोंक का भी लुत्फ़ लेते हुए आनंदित रहते है ,वह इसलिए कि उनका प्रेम एक दूसरे के प्रति विश्वास और मित्रता पर आधारित है,वह दोनों आपस में खुल कर एक दूसरे से अपने विचार अभिव्यक्त करते है ,लेकिन जब वैवाहिक जिंदगी में एक दूसरे के प्रति अविश्वास पनपने लगे या पति पत्नी का अहम आड़े आने लगे तो ऐसे में असली मुद्दा तो बहुत पीछे छूट कर रह जाता है और शुरू हो जाता है उनके बीच न खत्म होने वाली शिकायतों का दौर ,पति पत्नी दोनों को एक दूसरे की हर छोटी बड़ी बात चुभने लगती है ,इसके चलते उन दोनों का बेचारा कोमल दिल शिकवे शिकायतों के बोझ तले दब कर रह जाता है और बढ़ा देता है उनके बीच न खत्म होने वाली दूरियाँ ,जो उन्हें मजबूर कर देती है कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने पर और खत्म होती है उनके वैवाहिक जीवन की कहानी तलाक पर जा कर ,अगर किसी कारणवश वह तलाक नही भी लेते और सारी जिंदगी उस बोझिल शादी से समझौता कर उसे बचाने में ही निकाल देतें है l
पति पत्नी का आपस में सामंजस्य दुनिया के हर रिश्ते से प्यारा हो सकता है ,अगर पति पत्नी दोनों इस समस्या को परिपक्व ढंग से अपने दिल की भावनाओं को एक दूसरे से बातचीत कर सुलझाने की कोशिश करें तो इसमें कोई दो राय नही होगी कि उनके बीच हो रहे शिकवे और शिकायतों का सिलसिला उन्हें भी रितु और नीलांश कि तरह आनंद प्रदान करेगा और एक दिन वह अपनी शादी की सिल्वर जुबली या गोल्डन जुबली अवश्य मनाएं गे |

रेखा जोशी

Monday 6 May 2019

माँ

हाथ जोड़  झुकाये मस्तक
उर में भाव हृदय में वंदन
पूछा भक्त ने भगवन से
पूजा करूँ निस दिन तिहारी
कब दोगे  दरस अपने
कब  मिलोगे हे प्रभु
शीश झुकाये करूँ नित वंदन
हे करुणानिधान
अंतरघट  तक प्यासे  नैना
दरस तेरा पाने को
अलौकिक चमत्कार
हुआ इक फिर
आकाशवाणी से गूंजे
प्रभु के स्वर मधुर
मै तो रहता साथ तेरे
हर घड़ी हर पल
देख माँ के नैनों में
ममता दिखेगी मेरी
पूरी करती  इच्छायें  तेरी
लूटा कर
अपना सब कुछ तुम पर
तेरे लिए प्रार्थना  करती
जीती वह तेरे लिये
खुद को स्वाहा कर
तेरे लिये मरती
माँ ही भगवान माँ ही ईश्वर
दिल न कभी दुखाना उसका
माँ की पूजा जो करता
वह है मुझे प्रिये
वह है मुझे प्रिये

रेखा जोशी

Friday 26 April 2019

टेढ़ा है पर मेरा है

यह जिंदगी भी कितनी अजीब होती है खासतौर पर लड़कियों के लिए ,जन्म देने वाले माता पिता ,पालपोस और पढ़ा लिखा कर अपनी बेटी को अपने ही हाथों किसी पराये पुरुष के हाथ सौंप कर निश्चिन्त हो जाते है ,बस उनका कर्तव्य पूरा हुआ ,बेटी अपने घर गई गंगा नहाए |

मीनू ने भी अपने माँ बाप का घर छोड़ कर अपने ससुराल में जब कदम रखा तो उसका स्वागत करने उसकी सासू माँ दरवाज़े पर खड़ी थी हाथ में आरती की थाली लिए ,उसकी आरती उतारी गई ,अपने पाँव से चावल से भरे लोटे को उल्टाने के बाद मीनू ने आलता भरे पावों से घर के दरवाज़े के अंदर कदम रखा ,घर के भीतर कदम रखते ही उसने दरवाज़े की तरफ देखा ,”अरे यह क्या घर का मुख्य दरवाज़ा टेढ़ा ”उसे क्या पता था कि उसका अब कितने टेढ़े लोगों से पाला पड़ने वाला है ,ख़ैर जब शादी के बाद की सारी रस्मे पूरी हो गई तो प्रेम उसे घुमाने मनाली की सुंदर वादियों में ले गया ,अल्हड़ जवान लडकी की भाँती कल कल करती ब्यास नदी ने उसका मन मोह लिया और उपर से शहद से भी मीठा प्रेम का प्रेम रस ,ऐसा लगने लगा जैसे अनान्यास ही सारी खुशियाँ उसकी झोली में आन पड़ी हो ,परन्तु यह सब खुशियाँ कुछ ही दिनों की मेहमान थी ,ससुराल में पतिदेव ,सास ससुर के साथ साथ बड़े भैया , भाभी ,नन्द ,छोटा देवर ,सबको खुश रख पाना मीनू के लिए एक चुनौती भरा कार्य था ,एक जन खुश होता तो दूसरा नाराज़ ,सब की सोच अलग ,खानपान अलग,उसे कभी किसी के ताने सुनने पड़ते तो कभी किसी की डांट फटकार ,लेकिन एक बात तो थी उसके पति प्रेम सदा एक मजबूत ढाल बन कर उसके आगे खड़े हो जाते,और बंद हो जाती सबकी बोलती ,किन्तु मीनू के लिए इस सबसे भी कठिन था अपने प्यारे पतिदेव प्रेम को समझना ,उसे पता ही नही चल पाता कि उसकी किस बात से उसके पिया रूठ जाते और उन्हें मनाना तो और भी मुश्किल ,ख़ैर दिन महीने साल गुजर गए अब मीनू इस घर के हर सदस्य को अच्छी तरह जान चुकी थी ,बहुत मुश्किलों से गुजरना पड़ा था उसे अपने ससुराल में सबके साथ सामंजस्य स्थापित करने में ,लेकिन अपने पतिदेव को समझ पाना उफ़ माँ अभी तक उसके लिए टेढ़ी खीर थी , भगवान् ही जाने ,सीधे चलते चलते कब किस दिशा करवट मोड़ ले ,मीनू इसे कभी समझ नही पाई ,चित भी अपनी और पट भी अपनी ,खुद ही अपना सामान रख कर भूल जाना तो उनकी पुरानी आदत है ,चलो आदत है तो मान लो ,लेकिन नहीं प्रेम जैसा सम्पूर्ण व्यक्तित्व वाला इंसान गलती करे ,ऐसा तो कभी हो ही नही सकता ,पूरी दुनिया में कुछ भी घटित हो जाए उस सबके लिए ज़िम्मेदार है तो सिर्फ और सिर्फ मीनू ,लेकिन दुनिया में जो सबसे प्यारी है तो वह भी तो सिर्फ और सिर्फ मीनू ,अपने पतिदेव के ऐसे व्यवहार के कारण न जाने कितनी राते रो रो कर गुजारी थी मीनू ने ,न जाने क्यों प्रेम मीनू की हर बात को उल्टा क्यों ले लेता ,वह कुछ भी कहती तो प्रेम ठीक उसके विपरीत बात कहता ,कहीं से भी वह उसके साथ तालमेल नहीं बिठा पाती ,हार कर चुप हो जाती ,शायद यह उसका अहम था यां फिर कुछ और , परन्तु जैसा जिसका स्वभाव होता है उसे शायद ही कोई बदल पाता हो

|प्रेम दिल का बहुत अच्छा इंसान होते हुए भी पता नही क्यों मीनू के जज़्बात को नही समझ पाया ,वह मीनू से बहुत प्यार करता था लेकिन अपने ही तरीके से |काश प्रेम मीनू को समझ पाता,उसके मन में उमड़ते प्रेम के प्रति बह रहे प्यार के सैलाब को देख पाता,यह सब सोचते सोचते मीनू की आँखे फिर से भर आई |आज पच्चीस साल हो गए उनकी शादी को, वैसा ही प्रेम और वैसा ही उसका स्वभाव ,अबतो घर में बहू भी आ गई जिसने भी आते ही प्रेम से कहा ,”पापा इस घर के टेढ़े दरवाज़े को बदलवा दो ,यह देखने में अच्छा नही लगता ,”|चौंक पड़ी मीनू ,हंस कर कहा ,”बेटा,कोई बात नही ,यह टेढ़ा है पर हमारा अपना है ”l

रेखा जोशी