Wednesday, 8 May 2019

उनको शिकायत है

उनको शिकायत है

रितु और नीलांश का अभी हाल ही में विवाह हुआ है और वह भी प्रेम विवाह लेकिन माता पिता की मर्ज़ी से ,जहाँ प्यार होता है वहां एक दूसरे से गिले ,शिकवे और शिकायत तो होती ही रहती है ,आजकल यही कुछ उन दोनों के साथ भी हो रहा है ,हर सुबह शुरू होती है प्यार की मीठी तकरार से और हर रात गुजरती है ढेरों गिले, शिकवे और शिकायते लिए हुए ,यही अदायें तो जिंदगी को रंगीन बनाती है पहले रूठना और फिर मनाना ,मान कर फिर रूठ जाना l

ह रूठने और मनाने का सिलसिला जब तक यूं ही चलता रहे तो समझ लो उनकी शादी को ईश्वर का वरदान मिला हुआ है ,ऐसे झगड़े हमेशा उनकी शादी की ताजगी बनाये रखते है|वैसे तो हमारे शास्त्रों में लिखा हुआ है कि शादी के बाद पति और पत्नी का मिलन ऐसे होना चाहिए जैसे दो जगह का पानी मिल कर एक हो जाता है फिर उस पानी को पहले जैसे अलग नही किया जा सकता ,लेकिन ऐसा होना बहुत ही मुश्किल है क्योंकि दो व्यक्ति अलग अलग विचारधारा लिए अलग अलग परिवेश में बड़े हुए जब एक दूसरे के साथ रहने लगते है तो यह सम्भाविक है कि उन दोनों की सोच भी एक दूसरे से भिन्न ही होगी ,उनका खान पान ,रहन सहन, बातचीत करने का ढंग ,कई ऐसी बाते है जो उनके अलग अलग व्यक्तित्व को दर्शाती है | पति पत्नी के इस खूबसूरत रिश्ते में और भी निखार लाता है उनकी एक दूसरे के प्रति नाराज़गी का होना और फिर उसकी वह नारजगी को दूर कर एक दूसरे के और करीब आना

|रितु को अगर घर का खाना पसंद आता है तो नीलांश को बाहर खाना अच्छा लगता है ,रितु को यदि घर सजाना अच्छा लगता है तो नीलांश को घर फैलाना ,बस इन छोटी छोटी बातों से वह दोनों एक दूसरे पर खीजते रहते है और शिकवे शिकायतों का यह सिलसिला यूँ ही चलता रहता है ,कभी रितु नाराज़ ,तो कभी नीलांश लेकिन वह ऐसी नोक झोंक का भी लुत्फ़ लेते हुए आनंदित रहते है ,वह इसलिए कि उनका प्रेम एक दूसरे के प्रति विश्वास और मित्रता पर आधारित है,वह दोनों आपस में खुल कर एक दूसरे से अपने विचार अभिव्यक्त करते है ,लेकिन जब वैवाहिक जिंदगी में एक दूसरे के प्रति अविश्वास पनपने लगे या पति पत्नी का अहम आड़े आने लगे तो ऐसे में असली मुद्दा तो बहुत पीछे छूट कर रह जाता है और शुरू हो जाता है उनके बीच न खत्म होने वाली शिकायतों का दौर ,पति पत्नी दोनों को एक दूसरे की हर छोटी बड़ी बात चुभने लगती है ,इसके चलते उन दोनों का बेचारा कोमल दिल शिकवे शिकायतों के बोझ तले दब कर रह जाता है और बढ़ा देता है उनके बीच न खत्म होने वाली दूरियाँ ,जो उन्हें मजबूर कर देती है कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने पर और खत्म होती है उनके वैवाहिक जीवन की कहानी तलाक पर जा कर ,अगर किसी कारणवश वह तलाक नही भी लेते और सारी जिंदगी उस बोझिल शादी से समझौता कर उसे बचाने में ही निकाल देतें है l
पति पत्नी का आपस में सामंजस्य दुनिया के हर रिश्ते से प्यारा हो सकता है ,अगर पति पत्नी दोनों इस समस्या को परिपक्व ढंग से अपने दिल की भावनाओं को एक दूसरे से बातचीत कर सुलझाने की कोशिश करें तो इसमें कोई दो राय नही होगी कि उनके बीच हो रहे शिकवे और शिकायतों का सिलसिला उन्हें भी रितु और नीलांश कि तरह आनंद प्रदान करेगा और एक दिन वह अपनी शादी की सिल्वर जुबली या गोल्डन जुबली अवश्य मनाएं गे |

रेखा जोशी

6 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (10-05-2019) को "कुछ सीख लेना चाहिए" (चर्चा अंक-3331) पर भी होगी।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. सादर आभार आपका आदरणीय 🙏

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  2. सार्थक प्रस्तुति

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    1. सादर आभार आपका 🙏

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  3. Sahi kaha aapne aapsi samanjasya hi pati patni ke rishte ki madhurta hai.
    Shayad ye bhi aapko pasand aayen- Sustainable agriculture in India , Land degradation in India

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