Tuesday 27 December 2016

चाँद आया उतर अब गगन में पिया

हाल दिल का सजन अब कहें  कम से कम

बात  दिल  की  न दिल में रहे कम से कम 

चाँद आया उतर अब गगन में पिया

चांदनी रात में हम मिलें  कम से कम

रेखा जोशी

है शाश्वत सत्य यही

परिवर्तनशील
इस जग में
नही कुछ भी यहां स्थिर
पिघल जाता 
है लोहा भी इक दिन
चूर चूर हो जाता 
पर्वत भी
बहा ले जाता 
समय संग अपने
सब कुछ
नहीं टिक पाता
समय के आगे
कुछ भी 
रह जाती  बस 
माटी ही माटी 
है शाश्वत  सत्य यही
समाया इक तू ही 
सृष्टि के कण कण में
छू नही
सकता जिसे 
समय  भी कभी

रेखा जोशी

Monday 26 December 2016

मिली सिर्फ उनसे हमको है बेवफाई


जिनके लिए हमने दिल औ जान लुटाई .

मिली  सिर्फ  उनसे हमको है  बेवफाई |

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सजदा किया उसका निकला वो हरजाई ,

मुहब्बत के बदले पायी  हमने रुसवाई |

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धडकता है दिले नादां सुनते ही शहनाई,

पर तक़दीर से हमने तो  मात  ही खाई |

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न भर नयन तू आग तो दिल ने है लगाई ,

धोखा औ फरेब फितरत में, दुहाई है दुहाई,|

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छोड़ गए क्यूँ तन्हां दे कर लम्बी जुदाई,

जी लेंगे बिन तेरे ,काट लेंगे सूनी तन्हाई |

रेखा जोशी

Sunday 25 December 2016

चले आओ तुम यहां

सातवें आसमान से
है आवाज़ आई
चले आओ तुम यहां
बना लो आशियाँ

ख़ुशी की लहर पे
होकर सवार
है चलती कश्तियाँ
मुस्कुराती हर शह यहां
नाचती  तितलियाँ
बिखेर कर रंग अपने
हर्षाती ह्रदय को
लुभाते झरने
झर झर बहते पर्वतों की
श्रंखलाओं से नीचे
मधुर तान छेड़ कर
संगीत अलौकिक  ने
घोल दिया कानो में
अनुपम स्वर
चले आओ तुम यहां
बना लो आशियाँ

टिमटिमाते सितारे
उतर आये ज़मीं पे
जगमगाने लगा
आँचल भी धरा का
मुस्कुराती वसुधा ने
हर लिये सभी गम
चले आओ तुम यहाँ
बना लो आशियाँ

सुघन्दित पुष्पों से भरी
पुकारे वादियां
चले आओ तुम यहां
बना लो आशियाँ

रेखा जोशी

Tuesday 20 December 2016

मुक्तक

मुखर

मिलजुल कर रहे सदा आपस  में प्यार लिखें
मुखर हो कर हम सब प्यार का इज़हार  लिखें
प्रेम से हर पल बीते हर  लें पीर सबकी
सँवार लें  ज़िंदगी ख़ुशी भरा सँसार लिखें
,,
मौन
हे प्रभु सर पे मेरे सदा तेरा हाथ रहे
हर मुश्किल में  हमें मिलता तेरा साथ रहे
हूँ मौन फिर भी सुन लेते तुम पुकार मेरी
भरे  सभी की झोली कृपा तेरी नाथ रहे

रेखा जोशी

Friday 16 December 2016

रिमझिम रिमझिम बरस रही काली घटायें


झूला  झूलती  सखियाँ  लो  आया सावन 
बरसात  लाई  खुशियाँ  लो  आया सावन 
रिमझिम रिमझिम बरस रही काली घटायें 
धड़काये   मेरा  जिया   लो  आया  सावन 

रेखा जोशी 

Thursday 15 December 2016

जानी कभी न तुमने रीत प्रीत की पिया

रोती   रही   हसरते   टूट  गये   अरमान
अहम  में  डूबे  तुम  करते  रहे अपमान
जानी कभी न तुमने  रीत प्रीत की पिया
लो आज  सजन हम दूर  ले चले सामान

रेखा जोशी



Thursday 1 December 2016

अब हमारा यह ज़माना हो गया

आज फिर मौसम सुहाना  हो  गया 
प्यार में दिल यह दिवाना  हो गया
...
रूठ  कर हमसे  न जाना तुम कहीं 
प्यार  में घर का बसाना हो गया 
.... 
मिल गई हमको ख़ुशी आये पिया 
ज़िंदगी  का  मुस्कुराना  हो गया 
.... 
तुम हमें जो मिल गये दुनिया मिली 
घर हमारे का ठिकाना हो गया 
.... 
चाह अब हम को नहीं है किसी की 
अब हमारा यह ज़माना हो  गया 

रेखा जोशी