Friday 30 March 2018

जीने के सभी सहारे चले गये

जाने अब कहाँ नज़ारे चले गये
जीने के सभी सहारे चले गये
.
ढल गया दिन भी और छुप गया चाँद
जाने कहाँ सब सितारे चले गये
.
मालूम था तुम ना आओ गे यहाँ
फिर भी यूँ हि हम पुकारे चले गये
.
दर्द इस कदर भी सताये गा हमें
अरमान सब सँग तुम्हारे चले गये
.
तेरे बिन सूना हुआ घर हमारा
लूट कर सब तुम हमारे चले गये

रेखा जोशी

अँगना नाचे  मोर, गीत कोयल गाया


 छंद ..लौकिक अनाम मात्राभार २२ यति ११/११,मापनीमुक्त,पदान्त 2 गुरु
    
गीतिका..
 
छाई काली घटा,सखी सावन आया
झूमें मोरा जिया,गगन  बादल  छाया
,
बादल गरजे घनन ,जिया धड़के मोरा
भीगा तन मन आज , पिया बिना न भाया
,
हरियाली चहुँ ओर , हवा है मतवाली
अँगना नाचे  मोर, गीत कोयल गाया
,
झूला झूले आलि , खिली झूमती बगिया
सोंधी सोंधी  महक,फूल  उपवन हर्षाया
,
परदेस गये पिया, नही कुछ भी भाये
बिजुरी चमकी गगन ,ह्रदय है दहलाया

रेखा जोशी

Wednesday 28 March 2018

मुस्कुराता यौवन
सदा बहार हरा भरा
सुंदर तन जीवन आनंद
बेपरवाह झूमता गाता
मदमस्ती में मतवाला

मौसम बदला
गई बासंती रुत जब
पतझर ने तब रंग दिखाया
टूटा डाल से अपनी ज्यूँ
पीला पत्ता
मुरझाया उड़ा संग पवन के
कहीं न फिर चैन पाया
रहे बदलते रँग मौसम
और
रही बदलती काया
जर्जर हुआ तन अंत में
कभी न फिर ठौर पाया
है सृष्टि का नियम यही
इक दिन तो माटी में
इसको
है मिल जाना

रेखा जोशी

है सृष्टि का नियम यही


मुस्कुराता यौवन
सदा बहार हरा भरा
सुंदर तन जीवन आनंद
बेपरवाह झूमता गाता
मदमस्ती में मतवाला

मौसम बदला
गई बासंती रुत जब
पतझर ने तब रंग दिखाया
टूटा डाल से अपनी ज्यूँ
पीला पत्ता
मुरझाया उड़ा संग पवन के
कहीं न फिर चैन पाया
रहे बदलते रँग मौसम
और
रही बदलती काया
जर्जर हुआ तन अंत में
कभी न फिर ठौर पाया
है सृष्टि का नियम यही
इक दिन तो माटी में
इसको
है मिल जाना

रेखा जोशी

Tuesday 20 March 2018

अनोखा उपहार

आज नन्हा बब्लू बहुत खुश था ,उसका जन्मदिन जो था ,उसके मम्मी पापा ने अपने घर पर ही एक छोटी सी पार्टी का आयोजन किया| उसने अपने स्कूल के सभी मित्रों और अपने अध्यापक को भी पार्टी पर आमंत्रित किया | उसके मम्मी पापा ने अपने घर को रंग बिरंगे सुन्दर गुब्बारों से सजाया और शाम के समय धीरे धीरे उसके सभी मित्र उसके घर पर इकट्ठे होने लगे और वह सभी अपने प्यारे मित्र बब्लू के लिए सुन्दर सुन्दर उपहार लेकर आये ,जिन्हे देख कर बब्लू खुश हुआ था |

उसकी मम्मी ने बब्लू के सभी मित्रों को बढ़िया बढ़िया खेल भी खिलाये ,नाच गाना भी हुआ , केक काटने के बाद सब ने बब्लू को जन्मदिवस की बधाई दी ,उसकी मम्मी ने सभी बच्चों को स्वादिष्ट व्यंजन भी परोसे ,अभी प्रोग्राम चल ही रहा था कि बब्लू के अध्यापक भी वहाँ पहुँच गए ,सभी बच्चों के तालियाँ बजा कर उनका स्वागत किया |उनके हाथ में एक छोटा सा गमला देख कर सभी हैरान थे ,उनके अध्यापक जी ने उसे बब्लू को देते हुए कहा ,''बब्लू यह नन्हा सा पौधा मेरी ओर से तुम्हारे जन्मदिन पर उपहार है ,मुझे मालूम है तुम इसकी अच्छे से देखभाल करो गे ,तुम्हे मालूम है न पौधे हमे स्वच्छ हवा देते है और प्रदूषण को भगा देते है | ''अपने इस अनोखे उपहार को देख नन्हा बब्लू ख़ुशी के मारे फूला नही समा रहा था ,उसने अपने अध्यापक जी के हाथों से गमला ले कर अपने घर की बालकनी में रख दिया ताकि उसे सूरज की पर्याप्त धूप मिल सके |

पार्टी खत्म होते ही उसके सभी मित्र और अध्यापक जी भी अपने अपने घर चले गए |रात काफी हो चुकी थी और बब्लू थक भी रहा था ,बिस्तर पर लेटते ही उसे निंदिया देवी ने घेर लिया | सपने में उसने देखा कि उसका वह नन्हा सा पौधा उससे कह रहा था ''बब्लू तुम मुझे पा कर खुश हो न '',''हाँ हाँ मै बहुत खुश हूँ ,मुझे मालूम है पौधों से हमें आक्सीजन मिलती है और यह प्रदूषण को भी रोकते है ,मैने तो आज यह फैसला कर लिया है कि मै जब भी किसी को कोई उपहार दूँगा तो पौधे ही दूँगा |''बब्लू ने जवाब दिया | सुबह आँख खुलते ही उसने खिड़की से बाहर झांक कर बालकनी में देखा ,उसका नन्हा सा पौधा हवा के झोंकों से हिलता हुआ मुस्कुरा रहा था |

रेखा जोशी

Friday 16 March 2018

मुक्तक

अपनी धुन में पथिक दुर्गम पथ पर चल रहा था
ऊँची  नीची  काँटों  भरी  राह  पर  बढ़  रहा था
मन  में  आशा और  विश्वास  को  वह थामे हुए
शनै  शनै मंजिल  की ओर  वह डग भर रहा था

रेखा जोशी

Thursday 15 March 2018

चाहतें

चाहतें

दिल के
किसी  कोने में
उठती इक हूक सी
मचलती तड़पती
कुछ चाहतें
जो है अभी अधूरी
सिसकती फड़फड़ाती
दफना दिया था सीने में
जिन्हें कभी
ज़िन्दगी की हकीकत ने
चाहतें  चाहतें  चाहतें
वोह अधूरी चाहतें
पूरा होने की आस में
उड़ने लगी है फिर से
फैला कर पंख अपने
बेताब हैं आज
छूने को आकाश
इससे पहले कि
मौत ले हमें
आगोश में अपने
काश
हो जाएँ पूरी
वो सारी चाहतें

रेखा जोशी

भर देती अपने बच्चों की झोली

है बरकत मां के हाथों में
भर देती अपने बच्चों की झोली
खुशियों से
रह जाती सिमट कर दुनिया सारी
उसकी अपने बच्चों में
करती व्रत अपने परिवार के
कल्याण के लिए
चाहती सदा उन्नति उनकी
लेकिन अक्सर नहीं समझ पाते
बच्चे मां के प्यार को
जो चाहती सदा भलाई उनकी
नहीं देखा भगवान को कभी
लेकिन रहता
सदा वह संग तुम्हारे
धर कर रूप मां का
मां ही है ईश्वर का रूप
सदा करो सम्मान उसका
सदा करो सम्मान उसका

रेखा जोशी

Wednesday 14 March 2018

मुक्तक

माँ ने बनाये लड्डू  ढेर खाए हमने
खा लो भाई जी है प्यार समाया इसमे
लड्डू खा कर भैया बने हम गोल मटोल
जी भर के खाएं लड्डू मिलकर हैं सबने

रेखा जोशी

Saturday 10 March 2018

सिलसिले


सौगात में तुमने जो हमको दिये
वोह हसीन लम्हे
जिनकी  खामोशी  से मिले हमें
अजब से सिलसिले
है आस दिल में अब  यही  बस
गुफ्तगू हो उनसे हमारी कभी
प्यार भरी शाम में  यूंहीं सदा
गुज़र  जाये ज़िन्दगी हमारी
पूरे हो जाए अरमान दिल के सारे
तेरी यादों के हसीन लम्हों में
जी लें हम यह ज़िन्दगी सारी
इन्हीं खूबसूरत पलों में
है पा ली जन्नत हमनें
इन्हीं खूबसूरत पलों में
काश ठहर जाए वक्त यहीं
और हम खोये रहें इन्हीं खूबसूरत पलों में
ज़िन्दगी भर के लिए

रेखा जोशी

Thursday 8 March 2018

छूटा साथ गगन से मेरा

मै नीर  भरी दुख की बदली
आंसू  बन   नैनों  से छलकी
,
सीने  में  जज़्बात दबाये
पीर हृदय में शोर मचाये
,
कड़क कर दामिनी धमकाती
नभ के उर पर रही सिसकती
,
टूट कर आसमान से बिछड़ी
फिर भी पिघल पिघल कर बरसी
,
छूटा साथ गगन से मेरा
माटी  ही अब बना बसेरा

रेखा जोशी

Tuesday 6 March 2018

कलमकार

जब एकरस
होते
दिल और दिमाग
जज़्बात उतर आते
कागज़ पर
कम नही
किसी जादूगर से
कलमकार
मचा सकता तहलका
आ सकती
क्रान्ति विश्व में
उसकी कलम की
पैनी धार से
जो खामोश करती वार
हम सबके दिलों पर
झकझोर कर
विचारों को
दिखा देती
इक नवीन दिशा

रेखा जोशी

Sunday 4 March 2018

चल आज ज़िन्दगी अब मेरा हिसाब कर

221 2121 1221 212

जीना अगर यहां पर तो इंकलाब कर
अपना न इस कदर अब जीवन खराब कर
,
सुन ज़िन्दगी तुझे अब अपना  बना लिया
इकरार प्यार का कर ले आज बाब कर
.
आती नहीं बहार कभी ज़िन्दगी यहां
चल आज ज़िन्दगी अब मेरा हिसाब कर
.
छाया नशा पिया कुछ ऐसा बहार का
पी जाम ज़िन्दगी मत अब तू हिजाब कर
.
साथी कभी मिले हम पूछें उसे ज़रा
तुम रंग प्यार का भर अब लाजवाब कर

रेखा जोशी

Friday 2 March 2018

होली की हार्दिक शुभकामनाएं

सभी मित्रों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं

भर  पिचकारी  कान्हा ने मारी
भीगी   राधा की  चुनरी   सारी
लाल  गुलाल  से रंग  ली  राधा
मारो न श्याम भर के पिचकारी

रेखा जोशी