अपनी धुन में पथिक दुर्गम पथ पर चल रहा था ऊँची नीची काँटों भरी राह पर बढ़ रहा था मन में आशा और विश्वास को वह थामे हुए शनै शनै मंजिल की ओर वह डग भर रहा था
रेखा जोशी
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