Friday 29 December 2017

ग़ज़ल

ग़ज़ल
वज़न-2122/1122/1122/22
अरकान-फाइलातुन फइलातुन फइलातुन फेलुन

छोड़ कर आप मिरा प्यार किधर जाओगे
हर तरफ तेज़ हवाएँ हैं बिखर जाओगे
,
प्यार में दर्द मिला चोट है खाई हमने
देख कर दर्द हमारा तुम डर जाओगे
,
चाँदनी रात पिया चाँद उतर आया अब
आज हम साथ चलें चाँद जिधर जाओगे
,
छोड़ना तुम न कभी हाथ हमारा साजन
प्यार में साथ निभाना संवर जाओगे
,
आसमां में चमका आज सितारा साजन
देखना है उसको रात ठहर जाओगे

रेखा जोशी

Thursday 28 December 2017

अलविदा 2017

सूरज की पहली
किरण
देती दिलासा
उम्मीद का
धीरे धीरे ढल जाती
खूबसूरत भोर
सुनहरी शाम में
सुबह शाम से बँधा
चलता रहता यह
जीवन चक्र
इस जीवन चक्र में
गुज़र गया
एक और वर्ष
कुछ खुशियाँ
और
कुछ ग़म देकर
यही तो है ज़िंदगी
रहती फिसलती
हाथों से
करते अब अलविदा
भुला कर सभी ग़म
और
संजो कर खूबसूरत यादें
गुज़रे साल की
अलविदा 2017
अलविदा 2017

रेखा जोशी



बेचैन निगाहें


बेचैन निगाहें

जनवरी का सर्द महीना था ,सुबह के दस बज रहे थे और रेलगाड़ी तीव्र गति से चल रही थी वातानुकूल कम्पार्टमेंट होने के कारण ठण्ड का भी कुछ ख़ास असर नही हो रहा था ,दूसरे केबिन से एक करीब दो साल का छोटा सा बच्चा बार बार ऋतु के पास आ रहा था ,कल रात मुम्बई सेन्ट्रल से ऋतु ने हज़रात निजामुदीन के लिए गोलडन टेम्पल मेल गाडी पकड़ी थी ”मै तुम्हे सुबह से फोन लगा रही हूँ तुम उठा क्यों नही रहे ”साथ वाले केबिन से किसी युवती की आवाज़ ,अनान्यास ही ऋतु के कानो से टकराई,शायद वह उस बच्चे की माँ की आवाज़ थी ,”समझ रहे हो न चार बजे गाडी मथुरा पहुँचे गी ,हा पूरे चार बजे तुम स्टेशन पहुँच जाना ,मुझे पता है तुम अभी तक रजाई में ही दुबके बैठे होगे , एक नंबर के आलसी हो तुम इसलिए ही तो फोन नही उठा रहे,बहुत ठण्ड लग रही है तुम्हे ” | वह औरत बार बार अपने पति को उसे मथुरा के स्टेशन पर पूरे चार बजे आने की याद दिला रही थी ,उसकी बातों से ऐसा ही कुछ प्रतीत हो रहा था ऋतु को | ”हाँ हाँ मुझे पता है तुम्हारा ,पिछली बार तुम चार बजे की जगह पाँच बजे पहुँचे थे ,पूरा एक घंटा इंतज़ार करवाया था मुझे ,इस बार मै तुम्हारा इंतज़ार बिलकुल नही करूँगी , अगर तुम ठीक चार बजे नही पहुँचे तो मै वहाँ से चली जाऊँ गी बस ,फिर ढूँढ़ते रहना मुझे , कहीं भी जाऊँ परन्तु तुम्हे नही मिलूँगी अरे मै अकेली कैसे आऊँ गी ,सामान है मेरे साथ ,गोद में छोटा बच्चा भी है ,आप कैसी बात कर रहे हो | ”ऐसा लग रहा था जैसे उसका पति उसकी बात समझ नही पा रहा हो i उसकी बाते सुनते सुनते और गाड़ी के तेज़ झटकों से कब ऋतु की आँख लग गई उसे पता ही नही चला ,आँख खुली तो मथुरा स्टेशन के प्लेटफार्म पर गाड़ी रूकी हुई थी ,घड़ी में समय देखा तो ठीक चार बज रहे थे ,उसने प्लेटफार्म पर नज़र दौड़ाई तो देखा वह औरत बेंच की एक सीट पर गोद में बच्चा लिए बैठी हुई थी और उसकी बगल में दो बड़े बड़े अटैची रखे हुए थे ,लेकिन उसकी बेचैन निगाहें अपने पति को खोज रही थी ,पांच मिनट तक ऋतु उसकी भटकती निगाहों को ही देखती रही ,तभी गाड़ी चल पड़ी और वह औरत धीरे धीरे उसकी नज़रों से ओझल हो गई | मालूम नही उसकी बेचैन निगाहों को चैन मिला या नही , उसका पति उसे लेने पहुँचा या नही ,जो कुछ भी वह फोन पर अपने पति से कह रही थी क्या वह तो सिर्फ कहने भर के लिए था ?

रेखा जोशी

Monday 25 December 2017

आदमी

जिंदगी  भर  ताने   बाने  बुनता  रहता  आदमी
कैसे  कैसे  धोखे    यहाँ  करता  रहता  आदमी
दुनिया दो दिन का मेला दो दिन की जिंदगी यहाँ
न जाने क्यों  पाप का घड़ा भरता रहता आदमी
,
ख़ुद  को  रब  का  बंदा है कहता आदमी
हिंदु  मुस्लिम  सिख ईसाई  बना  आदमी
जाति  धर्म  के  बंधन में जकड़े सभी जन
मानव न  कभी भी यहां बन सका आदमी

रेखा जोशी

Thursday 21 December 2017

सौभाग्य का प्रतीक आपके घर का प्रवेश द्वार 

सौभाग्य का प्रतीक आपके घर का प्रवेश द्वार 

वास्तु टिप्स
१ घर का मुख्य द्वार पूर्व  अथवा उत्तर दिशा में शुभ माना गया है |
२ द्वार के दो पल्ले होने चाहिए |
३ द्वार खोलने और बंद करने पर आवाज़ नही होनी चाहिए |
४ द्वार पर मंगल चिन्ह लगाना शुभ होता है |
५ मुख्य प्रवेश द्वार ईशान की ओर से पूर्व दिशा के मध्य में होना चाहिए

रेखा जोशी

मत आना बहकावे में


सबकी बात न माना कर
सही गलत को जाना कर
मत  आना  बहकावे  में
सच को भी पहचाना कर

रेखा जोशी

Wednesday 20 December 2017

भर ली परिंदों ने ऊंची उड़ान है

बाहें फैला बुला रहा आसमान है
भर ली  परिंदों ने ऊंची उड़ान है
,
नीले आसमां में विचरते लहरा कर
चहकती नील नभ में उनकी ज़ुबान है
,
इक दूजे का वह बनते  सदा सहारा
साथियों पर करें वह जान कुर्बान है
,
मिलजुल कर उड़ते नहीं डरते किसी से
आये चाहे फिर कितने भी तूफान हैं
,
मधुर गीत गाते मिल कर सभी गगन में
देख कर उनको लब पर आती मुस्कान है

रेखा जोशी

Monday 18 December 2017

सर्दी के मौसम में कंपकंपाती है ज़िन्दगी

सर्दी के मौसम में कंपकंपाती है ज़िन्दगी
घने कोहरे में भी तो मुस्कुराती है ज़िन्दगी
मिलती है गर्माहट यहां आलाव के ताप से
दोस्तों के संग फिर यहां खिलखिलाती है ज़िन्दगी

रेखा जोशी

Friday 8 December 2017

प्रेम होना चाहिए


वक्त के
आँचल तले
बीत रही है जिंदगी
चार दिन की चांदनी
है यहाँ
लम्हा लम्हा, हर पल
रेत सी हाथों से
फिसल रही है ज़िन्दगी
बीते लम्हे
लौट कर न आए फिर दुबारा
कभी ज़िंदगी में
आओ जी ले यहां 
हर पल
कर के प्यार सभी से
संवार दें जीवन यहां
दुख और गम से
भरी जिंदगी में सबकी
प्रेम  होना चाहिए

रेखा जोशी

Saturday 2 December 2017

तन्हा तन्हा  बीता हर पल


चाहत हो मेरी कहना था
दिल में मेरे वह रहता था
,
मेरी गलियों में आ जाना
रस्ता वह तेरे घर का था
,
कोई पूछे टूटे दिल से
किस की खातिर दिल रोया था
,
बहते थे आँखों से आँसू
तड़पा  के ज़ालिम हँसता था
,
खुश हूँ जीवन में तुम आये
बिन तेरे सब कुछ सूना था
,
तन्हा तन्हा  बीता हर पल
जीवन सूना ही गुज़रा था
,
तेरी सूरत लगती प्यारी
पर दिल तेरा तो काला था
,
ग़ैरों को अपना कर तुमने
क्यों तोड़ा अपना वादा था

रेखा जोशी