सूरज की पहली
किरण
देती दिलासा
उम्मीद का
धीरे धीरे ढल जाती
खूबसूरत भोर
सुनहरी शाम में
सुबह शाम से बँधा
चलता रहता यह
जीवन चक्र
इस जीवन चक्र में
गुज़र गया
एक और वर्ष
कुछ खुशियाँ
और
कुछ ग़म देकर
यही तो है ज़िंदगी
रहती फिसलती
हाथों से
करते अब अलविदा
भुला कर सभी ग़म
और
संजो कर खूबसूरत यादें
गुज़रे साल की
अलविदा 2017
अलविदा 2017
रेखा जोशी
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