जिंदगी भर ताने बाने बुनता रहता आदमी
कैसे कैसे धोखे यहाँ करता रहता आदमी
दुनिया दो दिन का मेला दो दिन की जिंदगी यहाँ
न जाने क्यों पाप का घड़ा भरता रहता आदमी
,
ख़ुद को रब का बंदा है कहता आदमी
हिंदु मुस्लिम सिख ईसाई बना आदमी
जाति धर्म के बंधन में जकड़े सभी जन
मानव न कभी भी यहां बन सका आदमी
रेखा जोशी
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