बाहें फैला बुला रहा आसमान है
भर ली परिंदों ने ऊंची उड़ान है
,
नीले आसमां में विचरते लहरा कर
चहकती नील नभ में उनकी ज़ुबान है
,
इक दूजे का वह बनते सदा सहारा
साथियों पर करें वह जान कुर्बान है
,
मिलजुल कर उड़ते नहीं डरते किसी से
आये चाहे फिर कितने भी तूफान हैं
,
मधुर गीत गाते मिल कर सभी गगन में
देख कर उनको लब पर आती मुस्कान है
रेखा जोशी
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