Sunday 30 August 2015

आते जाते नित सुख दुःख साथी यहाँ


गहरा सागर मगर किनारा दूर नहीं 
काली रात मगर उजियारा दूर नहीं 
आते जाते नित सुख दुःख साथी यहाँ
भरोसा कर प्रभु का सहारा दूर नहीं 

रेखा जोशी 


Friday 28 August 2015

HAPPY RAKSHABANDHAN

नेह बंधन
है बहना का प्यार
रक्षाबंधन

भाई बहना
मनभावन रिश्ता
सबसे प्यारा

प्यार का धागा
बचपन का साथ
अटूट रिश्ता

फ़र्ज़ निभाना 
कलाई पर राखी
भूल न जाना


राखी के तार
मिलता उपहार
प्यारा त्यौहार

रेखा जोशी

Wednesday 26 August 2015

बहुत हो चुका अब न रोना मेरी प्यारी माँ

है   बह  रहे  मोती  तेरी  आँखों  के  आँसू
है  रोता  मन  देख  तेरी  आँखों   में आँसू
बहुत हो चुका अब न रोना मेरी प्यारी माँ
पोंछ  दूँगा  इक  दिन  तेरी आँखों से आँसू

रेखा जोशी 

धुन मुरली की सुन कर हो गई राधिका बांवरी

राधा का यह कृष्ण कन्हैया मुरली मधुर बजाये
मोर  मुकुट  पीतांबर  सोहे  बँसी  अधर   सुहाये
धुन  मुरली  की सुन कर हो गई  राधिका बांवरी
प्रेम में  पागल  राधा  की  प्रीती  अमर  कहलाये
रेखा जोशी 

Sunday 23 August 2015

है जीने का सहारा यह प्यार का बंधन

है जीने का सहारा यह प्यार का बंधन
है प्यार ने संवारा यह प्यार का बंधन
जी चाहता है डूब जायें इसमें हम तुम 
टूटे न कभी हमारा यह प्यार का बंधन
रेखा जोशी

Wednesday 19 August 2015

शर्मीला चाँद

सुन्दर सलोना
नभ पर
बादलों के झरोखों से
झाँक रहा
वह शर्मीला चाँद
.
शीतल चांदनी
मदमस्त पवन
संग संग मेरे
चल रहा
वह शर्मीला चाँद
.
लो वह उतर आया
धरा पर
बन प्रियतम देख
हर्षाया मन
खेल रहा मेरे संग
आँख मिचोली
वह शर्मीला चाँद
.
पिया मिलन
है चांदनी रात
हाथों में लिये हाथ
ओढ़े आँचल हया का
खिड़की से मुस्कुराया
वह शर्मीला चाँद
.
रेखा जोशी

Tuesday 18 August 2015

आज महकता उपवन हम से

तुम और मै
दोनों
फूल एक उपवन के
सींचा और सँवारा
माली ने
एक समान हमे
आज
भरा जीवन हम में
आज
महकता उपवन हम से
कल क्या होगा
मालूम नही
होंगे कहीं सज रहे
किसी के सुंदर केश में
या
बन गुलदस्ता
महकता होगा किसी का अँगना
या
प्रभु के चरणो से लिपट
होगा जीवन सफल
या
रौंद दिये जायें गे
पांव तले किसी के
लेकिन
छोडो यह सब
आज
भरा जीवन हम में
आज
महकता उपवन हम से


रेखा जोशी 

बहारों का मौसम

छाई बहार 
मदमस्त पवन 
गुंजित भौरा 
बगिया  गुलज़ार 
छलकता खुमार 
..................
खिलखिलाती 
धूप मेरे आंगन 
खुशियाँ लाई 
देखें मनभावन 
बाँवरे दो नयन 
……………… 
झूला झूलती 
अंगना मेरे आलि 
छाई है मस्ती 
बहारों का मौसम 
महकता है मन 

रेखा जोशी 

हिंदी भाषा से बढ़े विश्व में हमारा सम्मान

गर्व  से बोल  हिंदी  है  हिंदी  हमारा अभिमान
देश  का गौरव हिंदी भाषा  हमारा स्वाभिमान
सारे  जग से है  न्यारी  मातृ भाषा यह  हमारी
हिंदी  भाषा  से बढ़े  विश्व  में हमारा  सम्मान

रेखा जोशी 

Failure is a ladder to success



Two sides of life
Victory or defeat
But the life breathes
In between the two
Success and failure
Donot worry
Failure is a ladder
To success
Which shows the
Way that ends upto
The success

Rekha Joshi

Sunday 16 August 2015

घिर घिर आये बदरा उड़ता जाये आँचल

भीगा भीगा  मौसम यहाँ  भीगी सी रात 
पिया  है   परदेस  कैसे  होगी  मुलाकात 
घिर घिर आये बदरा उड़ता जाये आँचल 
भीगे  से  अरमान   ले कर आई  बरसात

रेखा जोशी 

खन खन चूड़ी खनके माथे बिंदिया सजाऊँ

मेहँदी रचे हाथ  नाम के तोरे सजना 
है तीज का त्यौहार बाबुल तोरे अँगना
खन खन चूड़ी खनके माथे बिंदिया सजाऊँ

राह तेरी निहारूँ घर आजा मोरे बलमा 

रेखा जोशी 

नहीं छोड़ जाना अकेले यहाँ अब

नहीं साथ तेरा मिला गर यहाँ अब
सजन ज़िंदगी बीत जाये यहाँ अब

मिला प्यार तेरा हमें है ख़ुशी
नहीं छोड़ जाना अकेले यहाँ अब

कभी तुम इधर डगमगाना न साजन
न तेरे कदम  लडख़ड़ायें यहाँ अब

जवानी सजन चार दिन यहाँ है
पता  क्या फिर न हम रहे यहाँ अब

करें क्या हमारा नहीं दिल लगे गर
दिया तोड़  दिल जो  तुमने  यहाँ अब

रेखा जोशी

हम अपना बना लेंगें तुम्हे देख लेना



हम  अपना बना   लेंगें  तुम्हे देख लेना
दिलो  जिगर लुटा देंगें तुम पे देख लेना 
सपनो  में  सदा  आते   रहेंगे    तुम्हारे
तुम्ही  को तुमसे  चुरा  लेंगें  देख लेना

रेखा जोशी

बदल क्यों ली करवट मौसम ने

कैसे  हो सकती
इतनी
बेरहम ज़िंदगी
दिल ओ जान
 लुटा  दी जिस पर
 कैसे हो सकता
 है वह पत्थर दिल इंसान
उठ गया
भरोसा ज़िंदगी पर अब
आई थी बहार
कभी अंगना में हमारे
खिलखिलाती  थी  ख़ुशी
 हर ऋतु  में हमारी
बदल क्यों ली करवट
मौसम ने
क्यों बदल लिया रूप
फ़िज़ा ने खिज़ा का
ऐसी क्या खता हो गई
ज़िंदगी में हमसे

रेखा जोशी

Saturday 15 August 2015

रह जाये गा सब कुछ यहीं पर इक दिन

किस बात का गरूर बंदे तू करता है 
चार दिन की चांदनी पर इठलाता है 
रह जाये गा सब कुछ यहीं पर इक दिन 
जब यहाँ से प्राण पखेरू हो जाता है


रेखा जोशी 

Friday 14 August 2015

जहाँ में देश चमकेगा सदा भारत


रहेगी देश की अब शान आँखों पे
तिरंगे का करें सम्मान आँखों पे

जहाँ  में देश चमकेगा सदा भारत
ज़ुबा पर अब रहेगा नाम आँखों पे

करें हम नमन भारत के जवानों को
शहीदों का रखेंगे मान  आँखों पे
....
करेंगे खत्म घोटाले सभी मिल कर
रखेंगे देश का अभिमान आँखों पे

 मिला कर कदम चलते ही रहेंगे हम
रखेंगे देश की अब आन आँखों पे

रेखा जोशी 

आवाज़ दो हम एक है ---स्वतंत्रता दिवस पर मेरी पुरानी रचना


”दिशा जागो तुमने आज कालेज जाना है न ”जागृति ने अपनी प्यारी बेटी को सुबह सुबह जगाते हुए कहा |दिशा ने नींद में ही आँखे मलते हुए कहा ,”हाँ माँ आज स्वतंत्रता दिवस है , हमे अपने कालेज के ध्वजारोहण समारोह में जाना है और इस राष्टीय पर्व को मनाने के लिए हमने बहुत बढ़िया कार्यक्रम भी तैयार किया हुआ है ,”जल्दी से दिशा ने अपना बिस्तर छोड़ा और कालेज जाने की तैयारी में जुट गई|

 दिशा को कालेज भेज कर जागृति भी अपने गृहकार्य में व्यस्त हो गई | जब तक जागृति ने अपना कार्य निपटाया, दिशा घर आ गई ,उत्साह और जोश से भरी हुई दिशा ने आते ही माँ को अपनी बाहों भर लिया ,”वाह माँ आज तो मजा ही आ गया ,देश भक्ति के जोशीले गीतों ने क्या समां बाँध दिया , माँ क्या अनुभूति हो रही थी उस समय ,जब कालेज के सभी विधार्थियों से खचाखच भरा हुआ पूरा का पूरा हाल राष्ट्र प्रेम से ओत प्रोत था, हमारे प्रिंसिपल ,सब टीचर और सारे विधार्थी एक ही सुर में गा रहे थे ,”आवाज़ दो हम एक है ,हम एक है ,”ऐसा लग रहा था मानो पूरा हिंदुस्तान एक ही सुर में गा रहा हो ,हम एक है ,हम एक है और माँ वह नाटक ,जो मैने और मेरी सहेलियों ने मिल कर तैयार किया था ,”आजादी के मतवाले ”एकदम हिट रहा ,क्या एक्टिंग की थी हम सबने, स्वतन्त्रता संग्राम की पहली लड़ाई में ,वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ने कैसे अपने छोटे से बच्चे को पीठ पर बाँध कर अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे ,क्या जोशीले संवाद थे सुभाषचन्द्र बोस के ,”तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आज़ादी दूंगा ,”आज़ादी के दीवाने भगत सिंह ,सुखदेव और राजगुरु ने हँसते हँसते फांसी को गले लगा लिया था |

दिशा का देश प्रेम के प्रति उत्साह देख कर जागृति का रोम रोम खिल उठा ,कितना जोश और उत्साह भरा हुआ है आज के युवा में ,इस देश की संगठित युवा शक्ति ही भारत का नव निर्माण कर सकती है |आज हमारा देश अनगिनत समस्याओं से घिरा हुआ है ,एक ओर तो भटका हुआ युवा रेव पार्टीज़ ,पब,नशीले पदार्थो का सेवन कर दिशाविहीन हो अंधाधुंध पाश्चात्य सभ्यता का अनुसरण कर रहा है तो दूसरी तरफ बेरोज़गारी ,महंगाई से झूझते कई परिवार दो समय की रोटी के लिए संघर्षरत है ,भ्रष्टाचार रूपी राक्षस हरेक की जिंदगी को निगल रहा है ,अपनी संस्कृति और संस्कारों को भूल कर हर इंसान पैसे के पीछे भाग रहा है ,चाहे कैसे भी मिले बस हाथ में पैसा आना चाहिए ओर ईमानदार इंसान को आज बेफकूफ समझा जाने लगा है,आतंकवाद की तलवार सदा हमारे सिर पर मंडराती रहती है ,किसान आत्महत्या कर रहे है ,बहू बेटियों की अस्मिता असुरक्षित है ,आसाम सुलग रहा है,अपने ही देश में लोग परायों सी जिंदगी जीने पर मजबूर है ,अनेक घोटालों में घिरी यह भ्रष्ट सरकार क्या जनता को सुरक्षा प्रदान कर पाए गी ? 

आज़ादी के मतवालों ने अपने प्राणों की आहुति दे कर हमे सदियों से चली आ रही गुलामी की जंजीरों से तो मुक्त करवा दिया,लेकिन क्या हमने उनकी कुर्बानी के साथ न्याय किया है ?हमारे देश का भविष्य आज भारत युवा शक्ति पर निर्भर है लेकिन उन्हें आज जरूरत है एक सशक्त मार्गदर्शक की , जो उन्हें सही दिशा दिखला सके , भारत माता के प्रति उनके प्रेम को जोश और जनून में बदल कर उन्हें राष्ट्र के लिए जीना और राष्ट्र के लिए मरना सिखा सके ,अखंड भारत का स्वरूप दिखा कर उन्हें एकजुट कर सके ,तभी देशभक्ति का वह सुंदर गीत सार्थक हो सकेगा ,”आवाज़ दो हम एक है |”

रेखा जोशी 

Thursday 13 August 2015

रखेंगे देश का अभिमान आँखों पे


रहेगी देश की अब शान  आँखों पे
तिरंगे  का  रखेंगे  मान  आँखों पे 
करेंगे खत्म घौटाले सभी मिल कर 
रखेंगे देश का अभिमान आँखों पे 

रेखा जोशी 

द्वार कृपा के जब वो खोले

शिव शम्भू शंकर बम बम भोले
द्वार  कृपा  के  जब  वो   खोले
रखते    हाथ  हमारे   सर   पर
भर  जाते  है   सभी  के   झोले

रेखा जोशी 

Wednesday 12 August 2015

हिम्मत नहीं हारे भारत की नारियाँ

डरती  नहीं श्रम से भारत की नारियाँ
पीछे   नहीं   है   ये  भारत की नारियाँ
 है कर सकती ज़िंदगी में वह हर काम
हिम्मत नहीं  हारे  भारत  की नारियाँ

रेखा जोशी 

जान अपनी वार दी हमने मगर

मुश्किलें आती यहाँ पर आम है 
ज़िंदगी  जीना  इधर  संग्राम है 
.... 
ढूँढ़ते हम तो रहे तुम्हे  सनम 
ज़िंदगी की आ गई अब शाम है 
… 
रात भर जलता रहा दीपक यहाँ 
भोर ने रौशन किया फिर धाम है 
.... 
मिट चुके है प्यार में जब  फ़ासले 
मत लगाना तुम सजन इल्जाम है 
.... 
जान अपनी वार दी हमने मगर 
हम रहे फिर प्यार में नाकाम है 

रेखा जोशी 

Tuesday 11 August 2015

जब से ज़िंदगी में आये हो तुम


जब  से ज़िंदगी  में आये हो तुम 
ख़ुशी जीवन में अब लाये हो तुम 
दिल में मेरे हो सिर्फ तुम ही तुम 
आँखों में बस अब समाये हो तुम 

रेखा जोशी 

Monday 10 August 2015

तिल तिल कर तड़पते रहे सदा ज़िंदगी भर हम

जब  घायल हुआ दिल तेरे नैनों  के तीर से
फिर क्यों दी चोट हमें  तेरे शब्दों के तीर ने
तिल तिल कर तड़पते रहे सदा ज़िंदगी भर हम
छटपटाते  रहे  मीन  से  नदिया  के तीर  पे

रेखा जोशी

चोट देकर फिर ज़मीं पर क्यों गिराया आपने

दिल हमारा  प्यार में दिलबर  चुराया आपने 
तीर दिल में आज साजन क्यों चुभाया आपने 
उड़ रहे थे  आसमाँ पर प्यार में तेरे सजन 
चोट  देकर फिर ज़मीं पर क्यों गिराया आपने 

रेखा जोशी 

क्रांति की मशाल लिये निकल पड़े वीर

 हरने   नहीं   देंगे   हम   द्रोपदी के चीर
लड़ेंगे   अब   हर   बुराई     से   शूरवीर
मिट जायेंगे  भारत  पर लुटा कर जान
क्रांति की मशाल लिये निकल पड़े वीर  

रेखा जोशी 

Sunday 9 August 2015

नैन निहारे राह , न आये घर साँवरिया

कुण्डलिया छंद
काली काली बदरिया , मचा रही है शोर
हरियाली चहुँ ओर है ,बन में नाचे मोर
बन में नाचे मोर, है लागे कहीं न जिया
नैन निहारे राह , न आये घर साँवरिया
हिचकोले दे पवन है झूला झूले आली
अँसुवन भीगे नयन,, है छाई घटा काली
रेखा जोशी

जीवन के दो रंग हार मिले या जीत



चला  चल  अकेला  चाहे  मिले  ना मीत 
जीवन  गमों  का   मेला  गाता  जा गीत 
आज मिली हार गर फिर जीत होगी कल 
जीवन  के  दो   रंग   हार  मिले या जीत 

रेखा जोशी 

तांका

बरखा रानी
बरस रहा पानी
घटायें छायी
झूले पर सखियाँ
मिलते हिचकोले

रेखा जोशी

कितनी बेवफा है यह ज़िंदगी भी



कितनी बेवफा है यह  ज़िंदगी भी
घुट रही  यहाँ प्यार की बंदगी भी
अपने  बेगाने   हो  जाते  है  यहाँ
समझता नही है कोई सादगी भी

रेखा जोशी 

जल संरक्षण [व्यंग ]

पत्नी पति से बोली 
ऐ जी ज़रा सुनना
जल संकट है भारी 
ढंग से करना ज़रा 
तुम इस्तेमाल पानी 
पानी नहीं होगा जब 
नही बनेगा खाना तब 
भूखे पेट भजना तुम 
जय जय हे गोपाला 
पतिदेव बोले जानेजां 
मत करो तुम अपना
यूं ही हाल  बेहाल 
पानी का मै कर लूँगा 
सही ढंग से इस्तेमाल 
नहाता था हररोज़ मै 
फुव्वारे की फुहार से 
नहा लूंगा आज बस 
मै मग दो एक डाल 
पतिदेव बोले ''डार्लिंग ''
तुम न पानी बहाना 
न ही भोजन पकाना 
न तो घर में बनाना 
न बाहर से मँगवाना 
सेहत के लिए अच्छा 
होता उपवास होंना

रेखा जोशी 



Saturday 8 August 2015

धूप यहाँ फिसलती जा रही है

धूप यहाँ फिसलती जा रही है
दिन ढलते ही चली जा रही है 

बगिया से फिसलती दीवार पे 
देख  धूप सिमटती जा रही है 

महकता था चमन जहाँ प्यार से 
महक प्यार की  चली जा रही है 

न समझ पाये मुझे तुम कभी भी 
तड़प अब  बढ़ती ही जा  रही  है 

कब तक निहारें हम राह तेरी 
हवा रुख  बदलती  जा  रही है 

रेखा जोशी 

Friday 7 August 2015

आये न मोरे सजना रूठे है चितचोर

सावन आया झूमता घिरी घटा घनघोर
है चहुँ ओर  हरियाली  बन में नाचे मोर
पेड़ों  पे  झूले  पड़े   पवन  दे   हिचकोले
आये  न  मोरे  सजना  रूठे  है चितचोर

रेखा जोशी 

झूला झूले सखियाँ पिया तोहे पुकारूँ

गीत

झूला झूले सखियाँ पिया तोहे पुकारूँ
उड़ उड़ जाये चुनरी राह तेरी  निहारूँ
……
है तीज का त्यौहार बाबुल तोरे अँगना
मेहँदी रचे हाथ  नाम के  तोरे  सजना
खन खन चूड़ी खनके माथे बिंदिया सजाऊँ
झूला झूले सखियाँ पिया तोहे पुकारूँ
उड़ उड़ जाये चुनरी राह तेरी  निहारूँ
…...
न लागे मोरा  जिया  तेरे बिन ओ सैयाँ
पकड़ो  मोरी  बैयाँ  लूँगी सजन  बलैयाँ
छन छन पायल बाजे  रूठा बलम मनाऊँ
झूला झूले सखियाँ पिया तोहे पुकारूँ
उड़ उड़ जाये चुनरी राह तेरी  निहारूँ
……
रिम झिम बरसे पानी  ठंडी पड़े फुहारें
धड़के मोरा जियरा साजन तुम्हे पुकारे
संग चलूँ मै तेरे सातों वचन निभाऊँ
झूला झूले सखियाँ पिया तोहे पुकारूँ
उड़ उड़ जाये चुनरी राह तेरी  निहारूँ

रेखा जोशी 

Thursday 6 August 2015

कौन है अपना कर रहा जो इंतज़ार

है छुपी ज़िंदगी
मेरी
घने कोहरे में
नही दिखाई देता
आर पार
उसके
मालूम नही
कौन है अपना
कर रहा जो इंतज़ार
मेरा
नैन बिछाये राहों में
मेरी
है साकार वो
कल्पनाओं में
मेरी
ढूँढ रही उसे आँखे
मेरी
धुंध के उस पार

रेखा जोशी 

बहारें हो जहाँ साजन वहाँ जायें


बहारें   हो  जहाँ साजन   वहाँ   जायें 
ख़ुशी मिलती रहे  साजन जहाँ जायें 
नहीं  तेरे  बिना  अब  जी सकेंगे हम 
जुदा हो कर बता अब हम कहाँ जायें 

रेखा जोशी

पार लगाओ जननी नैया मोरी

सुनो पुकार  हमारी मैया मोरी
बीच भँवर  डूब रही नैया मोरी
कृपा करो सदा हे माँ जगदम्बे
पार लगाओ  जननी नैया मोरी

रेखा जोशी

Wednesday 5 August 2015

कान्हा की प्यारी सखी राधिका

कान्हा की  प्यारी सखी राधिका
प्यार   में उसके   डूबी   राधिका
नदी   किनारे   वह  राह   निहारे
रंग   में   उसके   रंगी   राधिका

रेखा जोशी 

हाथ तेरा थाम कर जब ज़िंदगी में हम चले

दिल हमारा  प्यार में दिलबर  चुराया आपने 
तीर दिल में आज साजन क्यों चुभाया आपने 
.... 
मिल गया जो साथ तेरा राह पर चलते हुये 
फूल राहों पर बिछा साजन रिझाया आपने 

उड़ रहे थे  आसमाँ पर प्यार में तेरे सजन 
चोट  देकर फिर ज़मीं पर क्यों गिराया आपने 
.... 
काश फिरसे वो ज़माना लौट आये अब सजन 
ज़िंदगी में जब हमें  अपना बनाया आपने 

हाथ तेरा थाम कर जब ज़िंदगी में हम चले 
प्यार का इक दीप साजन फिर जलाया आपने 

रेखा जोशी 

Tuesday 4 August 2015

दे आशीष स्नेह भरकर माँ का अरमान



पूत चमके जैसा दिनकर माँ का अरमान
आकाश को छू ले उड़कर माँ का अरमान
अपने बालकों में माँ की बसती है जान
दे आशीष स्नेह भरकर माँ का अरमान
रेखा जोशी

ज़िंदगी कहीं यूँही न तमाम हो जाये

आओ आज इक प्यार का जाम हो जाये
इससे  पहले   जीवन  की  शाम हो जाये
जी ले आज  हम ज़िंदगी के हसीन लम्हे
ज़िंदगी  कहीं  यूँही  न  तमाम  हो  जाये

रेखा जोशी 

एक ख्वाहिश आपके दिल में मचलनी चाहिए

ज़िंदगी में  हमे   बहुत  सताती   है ख्वाहिशें 
छोटी  छोटी  खुशियाँ  भी   लाती है ख्वाहिशें 
एक ख्वाहिश आपके दिल में मचलनी चाहिए
ज़िंदगी   हमारी  को    महकाती  है ख्वाहिशें 

रेखा जोशी 

Monday 3 August 2015

घट घट में हो यहाँ समाये

हे  प्रभु  तुम्हे  हम पुकारें
मन  मंदिर में तुम हमारे
घट घट में हो यहाँ समाये
हम  सबके हो तुम सहारे

रेखा जोशी 

दो अपना वरदान तुम हमें भगवन

है  अनमोल  उपासना  ईश्वर की
करते हम अभियाचना ईश्वर की
दो अपना वरदान तुम हमें भगवन
करें  सदा   आराधना  ईश्वर  की

रेखा जोशी 

Sunday 2 August 2015

पिया के द्वार

एक पुरानी छंदमुक्त रचना 

सात समुद्र पार कर,
आई पिया के द्वार
नव नीले आसमां पर,
झूलते इन्द्रधनुष पे
प्राणपिया के अंगना
सप्तऋषि के द्वार
उतर रहा वह नभ पर
सातवें आसमान से
सवार सात घोड़ों पर
करता हुआ सब पार
प्रकाशित हुआ  जहां
अलौकिक , आनंदित
खिल उठा तन बदन
वो आशियाना दीप्त
थिरक रही अम्बर में
अरुण की ये रश्मियाँ,
चमकी धूप सुनहरी सी
रोशन हुआ घर बाहर 
 . 
निभाने वो सात वचन
आई  पिया के द्वार 

रेखा जोशी 


है ज़िंदगी इक बनी पहेली

सदा उलझन में रही अकेली
मिले   कोई न संगी   सहेली
नहीं सुलझती मेरी मुश्किलें
है   ज़िंदगी  इक बनी  पहेली

रेखा जोशी

अनमोल है यह रिश्ता दोस्ती का

महक 
दोस्ती की 
जोड़ती दिलों को 
बंधन सिर्फ नेह का 
रिश्तों से ऊपर 
लेन देन से ऊपर 
दौलत से ऊपर 
हर बंधन से ऊपर 
नहीं देखते दोस्त 
गुण अवगुण इक दूजे के 
नहीं होती कोई कीमत 
दोस्ती के प्यार की 
अर्पित करते जीवन अपना 
दोस्ती के नाम 
होती है बेमिसाल 
दोस्ती कृष्ण सुदामा सी 
सब रिश्तों से 
अनमोल है यह रिश्ता 
दोस्ती का 

रेखा जोशी 

मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें 

जीवन  में  दोस्त बनता  कोई कोई
सुख दुःख में साथ चलता कोई कोई
यूं तो  हमे  सफर  में मिलते हज़ारों
पर  दिल के करीब रहता कोई कोई

रेखा जोशी 

क्षणिकाएँ [उम्मीद पर ]

टकटकी बांधे 
निहार रहे शून्य में
कुछ अर्द्धनग्न 
मैले कुचैले कपड़ों में
लिपटे हुए बच्चे 
कभी तो खिलें गे
उम्मीदों के कमल
हँसेगे तब वह भी
सुन कर लोरियाँ
माँ की
ख्वाबो के महल में
ढेर सारी ख्वाहिशें लिये
मन में
सो गये उम्मीद की इक
आस लिए
.......... 
चलती नही 
ज़िंदगी 
तकिये पर बिखरे 
ख्वाबों से 
मिलते है शूल भी 
फूलों के संग 
पर सँजोये आस 
फूलों की 
टिकी है ज़िंदगी 
उम्मीद के संग 
.......... 
जला ले दीप 
आस का 
हृदय में अपने 
मत हो निराश 
जीवन में 
कट जायेगे 
दुःख भरे पल 
उम्मीद के सहारे 
महकाता चल 
जीवन अपना 

रेखा जोशी