Sunday 9 August 2015

कितनी बेवफा है यह ज़िंदगी भी



कितनी बेवफा है यह  ज़िंदगी भी
घुट रही  यहाँ प्यार की बंदगी भी
अपने  बेगाने   हो  जाते  है  यहाँ
समझता नही है कोई सादगी भी

रेखा जोशी 

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