Sunday, 16 August 2015

बदल क्यों ली करवट मौसम ने

कैसे  हो सकती
इतनी
बेरहम ज़िंदगी
दिल ओ जान
 लुटा  दी जिस पर
 कैसे हो सकता
 है वह पत्थर दिल इंसान
उठ गया
भरोसा ज़िंदगी पर अब
आई थी बहार
कभी अंगना में हमारे
खिलखिलाती  थी  ख़ुशी
 हर ऋतु  में हमारी
बदल क्यों ली करवट
मौसम ने
क्यों बदल लिया रूप
फ़िज़ा ने खिज़ा का
ऐसी क्या खता हो गई
ज़िंदगी में हमसे

रेखा जोशी

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